"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{एक पूर्ण चित्र में कितने ग्राउंड (सतह) हो | {एक पूर्ण चित्र में कितने ग्राउंड (सतह) हो सकते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-164,प्रश्न-50 | ||
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-एक | -एक | ||
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{खनिज रंग में बाइंडर मिला होता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-173,प्रश्न-51 | {खनिज रंग में बाइंडर मिला होता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-173,प्रश्न-51 | ||
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-अलसी का तेल | -[[अलसी]] का तेल | ||
-तारपीन का तेल | -[[तारपीन]] का तेल | ||
+प्राकृतिक ग्लू | +प्राकृतिक ग्लू | ||
-कोई नहीं | -कोई नहीं | ||
||[[खनिज]] रंग में प्राकृतिक ग्लू का बाइंडर मिला होता है। प्राकृतिक ग्लू (गोंद) का प्रयोग पेंटिंगों को आपस में जोड़ने के लिए प्रतिवर्ती रंगों को बनाने के लिए किया जाता है। | ||[[खनिज]] रंग में प्राकृतिक ग्लू का बाइंडर मिला होता है। प्राकृतिक ग्लू (गोंद) का प्रयोग पेंटिंगों को आपस में जोड़ने के लिए प्रतिवर्ती रंगों को बनाने के लिए किया जाता है। | ||
{'नवप्रभाववाद' का प्रवर्तक कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-121,प्रश्न-41 | {'नवप्रभाववाद' का प्रवर्तक कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-121,प्रश्न-41 | ||
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-[[भवभूति]] | -[[भवभूति]] | ||
||'अभिज्ञानशाकुंतलम' के रचयिता कालिदास हैं। ऋतु संहार, अभिज्ञानशाकुंतकम्, [[मेघदूत]], [[कुमारसंभव]] तथा यघुवंश आदि [[कालिदास]] की प्रमुख रचनाएं हैं। [[कवि]] और नाटककार के रूप में [[कालिदास]] का अद्वितीय स्थान है। | ||'अभिज्ञानशाकुंतलम' के रचयिता कालिदास हैं। [[ऋतुसंहार|ऋतु संहार]], अभिज्ञानशाकुंतकम्, [[मेघदूत]], [[कुमारसंभव]] तथा यघुवंश आदि [[कालिदास]] की प्रमुख रचनाएं हैं। [[कवि]] और नाटककार के रूप में [[कालिदास]] का अद्वितीय स्थान है। | ||
{गढ़ी कला केंद्र संबंधित है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-93 | {गढ़ी कला केंद्र संबंधित है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-93 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-भारत कला भवन से | -[[भारत कला भवन वाराणसी|भारत कला भवन]] से | ||
-भारत भवन से | -[[भारत भवन भोपाल|भारत भवन]] से | ||
-सांस्कृतिक केंद्र से | -सांस्कृतिक केंद्र से | ||
+ललित कला अकादमी से | +[[ललित कला अकादमी]] से | ||
||ललित कला अकादमी स्वतंत्र भारत में गठित एक स्वायत्त संस्था है जो [[5 अगस्त]], [[1954]] को [[भारत सरकार]] द्वारा स्थापित की गई। यह एक केंद्रीय संगठन है जो भारत सरकार द्वारा ललित कलाओं के क्षेत्र में कार्य करने के लिए स्थापित किया गया था। इसका मुख्यालय [[नई दिल्ली]] के रबींद्र भवन में है। इसके अतिरिक्त भुवनेश्वर, [[चेन्नई]], गढ़ी ([[दिल्ली]]), [[कोलकाता]], [[लखनऊ]], एवं [[शिमला]] में क्षेत्रीय कार्यालय है। प्रश्नकाल में डॉ. अशोक वाजपेयी (अप्रैल, 2008- | ||[[ललित कला अकादमी]] स्वतंत्र भारत में गठित एक स्वायत्त संस्था है जो [[5 अगस्त]], [[1954]] को [[भारत सरकार]] द्वारा स्थापित की गई। यह एक केंद्रीय संगठन है जो भारत सरकार द्वारा ललित कलाओं के क्षेत्र में कार्य करने के लिए स्थापित किया गया था। इसका मुख्यालय [[नई दिल्ली]] के रबींद्र भवन में है। इसके अतिरिक्त [[भुवनेश्वर]], [[चेन्नई]], गढ़ी ([[दिल्ली]]), [[कोलकाता]], [[लखनऊ]], एवं [[शिमला]] में क्षेत्रीय कार्यालय है। प्रश्नकाल में डॉ. अशोक वाजपेयी ([[अप्रैल]], [[2008]]-[[दिसंबर]], [[2011]]) इसके अध्यक्ष थे। | ||
{वुडकट तकनीक कौन-सी के अंतर्गत है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-174,प्रश्न-61 | {वुडकट तकनीक कौन-सी कला के अंतर्गत है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-174,प्रश्न-61 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[चित्रकला]] | -[[चित्रकला]] | ||
+ | +मुद्रणकला | ||
-पुष्प संयोजन | -पुष्प संयोजन | ||
-पॉटरी | -[[पॉटरी कला]] | ||
||वुडकट तकनीक, छापाकला | ||वुडकट तकनीक, छापाकला (मुद्रण) के अंतर्गत है। [[भारत]] में वुडकट तकनीक 19वीं शताब्दी में सर्वप्रथम कंपनी शैली के चित्रकारी द्वारा प्रचलित हुई। छापा चित्रण की चार पद्धतियों में से रिलीफ प्रोसेस के अंतर्गर वुडकट तथा लीनोकट तकनीके आती हैं। | ||
शैली के चित्रकारी द्वारा प्रचलित हुई। छापा चित्रण की चार पद्धतियों में से रिलीफ प्रोसेस के अंतर्गर वुडकट तथा लीनोकट तकनीके आती हैं। | |||
{भारतीय चित्रकला में रंग के साथ महत्त्व है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-43 | {भारतीय चित्रकला में रंग के साथ महत्त्व है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-43 |
09:44, 8 नवम्बर 2017 का अवतरण
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