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{{सूचना बक्सा
'''विनोद मेहरा''' (अंग्रेजी: ''Vinod Mehra''; जन्म- [[13 फरवरी]], [[1945]], [[अमृतसर]]; मृत्यु- [[30 अक्टूबर]], [[1990]], [[मुम्बई]]) [[भारतीय सिनेमा]] के [[अभिनेता]] थे। इन्होंने 100 से अधिक फ़िल्मों में अभिनय किया था। वर्ष [[1958]] फ़िल्म रजनी में एक बाल कलाकार के रूप में किशोर कुमार की भूमिका निभाने वाले चरित्र के छोटे संस्करण के रूप में मेहरा की शुरुआत हुई।


== संक्षिप्त परिचय ==
विनोद मेहरा का जन्म [[13 फरवरी]], [[1945]] को [[अमृतसर]] में हुआ था। इन्होंने तीन शादियाँ की थी। मीना ब्रोका इनकी पहली पत्नी थी। बिंदिया गोस्वामी इनकी दूसरी पत्नी जिनके साथ विनोद ने कई फ़िल्मों में काम किया। किरण विनोद मेहरा की तीसरी  पत्नी थी। किरण और विनोद की एक बेटी सोनिया और एक बेटा रोहन है।
==फ़िल्म सफ़र==
{{main|विनोद मेहरा का फ़िल्म सफ़र}}
विनोद मेहरा के फ़िल्म करियर के मौसम को खुशनुमा बनाने में अभिनेत्री [[मौसमी चटर्जी]] का योगदान रहा है। [[शक्ति सामंत]] की फ़िल्म अनुराग ([[1972]]) में मौसमी चटर्जी और विनोद मेहरा पहली बार साथ आए। मौसमी ने एक दृष्टिहीन युवती का रोल संजीदगी के साथ किया था। विनोद एक आदर्शवादी [[नायक]] थे और अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध वह मौसमी से शादी करना चाहते थे। इसके बाद फ़िल्म उस पार (बसु चटर्जी), दो झूठ (जीतू ठाकुर) तथा स्वर्ग नरक (दसारी नारायण राव) में मौसमी के नायक बने।
== प्रमुख फ़िल्में ==
{{main|विनोद मेहरा की प्रमुख फ़िल्में}}
विनोद मेहरा ने भारतीय सिनेमा में 100 से अधिक फ़िल्मों में अभिनय किया है। बाल कलाकार के रूप में विनोद मेहरा ने फ़िल्मों में शुरुआत की। इनकी फ़िल्म लाल पत्थर (1972), अनुराग (1972), सबसे बड़ा रुपैया (1976), नागिन (1976), अनुरोध (1977), साजन बिना सुहागन (1978), घर (1978), दादा (1979), कर्तव्य (1979), अमर दीप (1979), जानी दुश्र्मन (1979) आदि।
विनोद मेहरा भारतीय सिनेमा के जाने माने अभिनेता थे। वर्ष [[1958]] फ़िल्म रजनी में एक बाल कलाकार के रूप में किशोर कुमार की भूमिका निभाने वाले चरित्र के छोटे संस्करण के रूप में मेहरा की शुरुआत हुई।
== फ़िल्म करियर की शुरुआत ==
विनोद मेहरा के फ़िल्म करियर के मौसम को खुशनुमा बनाने में अभिनेत्री [[मौसमी चटर्जी]] का योगदान रहा है। [[शक्ति सामंत]] की फ़िल्म अनुराग ([[1972]]) में मौसमी चटर्जी और विनोद मेहरा पहली बार साथ आए। मौसमी ने एक दृष्टिहीन युवती का रोल संजीदगी के साथ किया था। विनोद एक आदर्शवादी [[नायक]] थे और अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध वह मौसमी से शादी करना चाहते थे। इसके बाद फ़िल्म उस पार (बसु चटर्जी), दो झूठ (जीतू ठाकुर) तथा स्वर्ग नरक (दसारी नारायण राव) में मौसमी के नायक बने। विनोद को स्वतंत्र रूप से नायक बनने और हीरोइन से रोमांस लड़ाने अथवा पेड़ों के इर्दगिर्द गाना गाने के अवसर ए ग्रेड के बजाय बी ग्रेड फ़िल्मों में ज्यादा मिले क्योंकि बड़े निर्देशकों की फ़िल्मों में उन्हें ज्यादातर दूसरी लीड का नायक माना गया।
विनोद मेहरा के करियर की यह ट्रेजेडी मानी जाएगी कि उन्हें बड़े बैनर्स से ज्यादा ऑफर नहीं आए। बी.आर. चोपड़ा की फ़िल्म द बर्निंग ट्रेन में वे सवार थे। लेकिन इस फ़िल्म में ट्रेन के
मुसाफ़िरों की भीड़ के समान कलाकार थे। इसके बावजूद बर्निंग ट्रेन बॉक्स ऑफ़िस पर भी बुरी तरह जल गई थी। कोई सफल सितारा अपने इंटरव्यू में बर्निंग ट्रेन का जिक्र तक नहीं करना चाहता। लिहाजा इस फ़िल्म में विनोद मेहरा का होना नहीं जैसा था। उन्हें दक्षिण भारतीय फ़िल्म डायरेक्टर्स ने भी मौके दिए जो उन दिनों [[हिन्दी फ़िल्म जगत|हिन्दी फ़िल्में]] लगातार निर्देशित कर रहे थे। ऐसे फ़िल्मकारों में कृष्णन पंजू (शानदार), आर.कृष्णमूर्ति (अमरदीप) एस. रामानाथन् (दो फूल तथा सबसे बड़ा रुपैया) तथा दसारी नारायण राव (स्वर्ग नरक) के नाम उल्लेखनीय हैं।
== फ़िल्मों मे अभिनेय ==
अस्सी के दशक में विनोद मेहरा को वैरायटी की फ़िल्में और वैरायटी भरे रोल मिले, लेकिन इन फ़िल्मों में जो मुख्य नायक-नायिका थे, वे सारी लोकप्रियता बटोर कर ले गए। मोहन सहगल निर्देशित फ़िल्म कर्तव्य की सफलता [[धर्मेन्द्र]] और [[रेखा]] के खाते में लिखी गई।
बेमिसाल (ऋषिकेश मुखर्जी) और खुद्दार (रवि टंडन) की कामयाबी का लाभ [[अमिताभ बच्चन|अमिताभ]] को मिला। लाल पत्थर में [[राजकुमार]]-[[हेमा मालिनी]] का स्क्रीन प्रजेंस विनोद पर भारी पड़ा। शोले के गब्बरसिंह उर्फ [[अमजद खान]] को जब अपार लोकप्रियता मिली, तो उन्होंने चोर पुलिस फ़िल्म बनाकर हाथ साफ किए। इसमें विनोद को उन्होंने मौका दिया मगर वह कोई काम नहीं आ सका।
;फ़िल्म निर्देशन का आरम्भ
[[भारतीय सिनेमा]] में अपनी प्रतिभा को प्रतिष्ठा नहीं मिलने से विनोद अक्सर उदास रहा करते थे। जब [[अभिनेता]] के रूप में उनके पास ज्यादा कुछ करने को नहीं रहा तो वे निर्देशन के मैदान में उतरे। उन्होंने [[ऋषि कपूर]]-[[अनिल कपूर]] और [[श्रीदेवी]] को लेकर फ़िल्म 'गुरुदेव' शुरू की जो उस वक्त के कामयाब सितारे थे, लेकिन गुरुदेव को बनने में लंबा वक्त लगा। कहा जाता है कि इन सितारों ने डेट्स देने में विनोद को बेहद सताया और विनोद तनाव में रहने लगे। फ़िल्म के रिलीज होने के पूर्व ही वे चल बसे। 30 अक्टूबर 1990 को तमाम बातों पर विनोद की मौत ने फुलस्टाप लगा दिया। अचानक दिल का दौरा आ जाने से वे असमय मात्र 45 वर्ष की उम्र में ही बिदा हो गए। उनकी मौत के बाद प्रतीक्षा (1993, लॉरेंस डिसूजा), सरफ़िरा (1992), इंसानियत (1994) टोनी जुनेजा) जैसी कुछ फ़िल्में रिलीज हुईं, लेकिन पंछी पिंजरा छोड़ चुका था।
विनोद मेहरा ने 100 से अधिक फ़िल्मों में [[अभिनेय]] किया था। उन्होंने अपनी पिछली फ़िल्मों में कई मल्टीस्टार कलाकारों के नेतृत्त्व मे कार्य किया है विनोद मेहरा ने एक भाई, दोस्त, चाचा, पिता और पुलिस अधिकारी जैसे सहायक भूमिकाएं निभाई हैं।
== प्रमुख फ़िल्में ==
{{main|विनोद मेहरा की प्रमुख फ़िल्में}}
{| class="wikitable"
|-
! वर्ष!! फ़िल्म
|-
| [[1994]] ||इंसानियत
|-
| [[1993]] ||प्रतीक्षा
|-
| [[1992]] ||सरफिरा
|-
| [[1991]] ||पत्थर के फूल
|-
| [[1990]] ||प्यार का कर्ज़
|-
| 1990 ||वर्दी ||कमिश्नर वर्मा
|-
| [[1989]] ||हम इन्तज़ार करेंगे
|-
| [[1989]] ||प्रेम प्रतिज्ञा
|-
| 1989 ||मिट्टी और सोना
|-
| 1989 ||मेरी ज़बान
|-
| 1989 ||ईश्वर
|-
| [[1988]] ||नामुमकिन
|-
| 1988 ||आखिरी अदालत
|-
| 1988 ||फ़ैसला
|-
| 1988 ||साजिश
|-
| 1988 ||मर मिटेंगे
|-
| 1988 ||महावीरा
|-
| 1988 ||बीस साल बाद
|-
| 1987 ||प्यार की जीत
|-
| [[1987]] ||आग ही आग
|-
| 1987 ||औलाद
|-
| [[1986]] ||लॉकेट
|-
| 1986 ||समय की धारा
|-
| 1986 ||जाल
|-
| 1986 ||आप के साथ
|-
| 1986 ||प्रीती
|-
| 1986 ||ऐसा प्यार कहाँ
|-
| 1986 ||स्वाति
|-
| [[1985]] ||संजोग
|-
| 1985 ||अनकही
|-
| 1985 ||प्यारी बहना
|-
| 1985 ||नया बकरा
|-
| 1985 ||मौजां डुबई दियाँ
|-
| 1985 ||शिवा का इन्साफ
|-
| [[1984]] ||एक नया इतिहास
|-
| 1984 ||धर्म और कानून
|-
| 1984 ||ज़ख्मी शेर
|-
| 1984 ||यह देश
|-
| [[1983]]||स्वीकार
|-
| [[1983]] ||मेंहदी
|-
| 1983 ||शुभ कामना
|-
| 1983 ||प्रेम तपस्या
|-
| 1983 ||नौकर बीवी का
|-
| 1983 ||चोर पुलिस
|-
| [[1982]] ||संबंध
|-
| 1982 ||खुद्दार
|-
| 1982 ||बेमिसाल
|-
| [[1981]] ||साजन की सहेली
|-
| 1981 ||चेहरे पे चेहरा
|-
| 1981 ||प्यासा सावन
|-
| 1981 ||सनसनी
|-
| [[1980]] ||यह कैसा इंसाफ़
|-
| 1980 ||ज्योति बने ज्वाला
|-
| 1980 ||ज्वा्ला्मुखी
|-
| 1980 ||सबूत
|-
| 1980 ||टक्कर
|-
| 1980 ||द बर्निंग ट्रेन
|-
| [[1979]] ||अमर दीप
|-
| 1979 ||बिन फेरे हम तेरे
|-
| 1979 ||कर्तव्य
|-
| 1979 ||जानी दुश्मन
|-
| 1979 ||लव इन कनाडा
|-
| [[1978]] ||घर
|-
| 1978 ||स्वर्ग नर्क
|-
| 1977 ||सफेद झूठ
|-
| 1977 ||जाग्रति
|-
| [[1977]] ||अनुरोध
|-
| 1977 ||एक ही रास्ता
|-
| [[1976]] ||सबसे बड़ा रुपैया
|-
| 1976 ||नागिन
|-
| 1976 ||ज़िन्दगी
|-
| 1976 ||अर्जुन पंडित
|-
| 1975 ||दो झूठ
|-
| [[1975]] ||मज़ाक
|-
| 1975 ||उमर कैद
|-
| 1975 ||रफ़्तार
|-
| 1974 ||उजाला ही उजाला
|-
| [[1974]] ||उस पार
|-
| 1974 ||शानदार
|-
| 1974 ||फ़ासला
|-
| 1974 ||कुँवारा बाप
|-
| [[1973]] ||दो फूल
|-
| 1972 ||अनुराग
|-
| [[1971]] ||लाल पत्थर
|-
| 1971 ||एलान
|}

13:01, 16 जुलाई 2017 का अवतरण

{{सूचना बक्सा विनोद मेहरा (अंग्रेजी: Vinod Mehra; जन्म- 13 फरवरी, 1945, अमृतसर; मृत्यु- 30 अक्टूबर, 1990, मुम्बई) भारतीय सिनेमा के अभिनेता थे। इन्होंने 100 से अधिक फ़िल्मों में अभिनय किया था। वर्ष 1958 फ़िल्म रजनी में एक बाल कलाकार के रूप में किशोर कुमार की भूमिका निभाने वाले चरित्र के छोटे संस्करण के रूप में मेहरा की शुरुआत हुई।

संक्षिप्त परिचय

विनोद मेहरा का जन्म 13 फरवरी, 1945 को अमृतसर में हुआ था। इन्होंने तीन शादियाँ की थी। मीना ब्रोका इनकी पहली पत्नी थी। बिंदिया गोस्वामी इनकी दूसरी पत्नी जिनके साथ विनोद ने कई फ़िल्मों में काम किया। किरण विनोद मेहरा की तीसरी पत्नी थी। किरण और विनोद की एक बेटी सोनिया और एक बेटा रोहन है।

फ़िल्म सफ़र

विनोद मेहरा के फ़िल्म करियर के मौसम को खुशनुमा बनाने में अभिनेत्री मौसमी चटर्जी का योगदान रहा है। शक्ति सामंत की फ़िल्म अनुराग (1972) में मौसमी चटर्जी और विनोद मेहरा पहली बार साथ आए। मौसमी ने एक दृष्टिहीन युवती का रोल संजीदगी के साथ किया था। विनोद एक आदर्शवादी नायक थे और अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध वह मौसमी से शादी करना चाहते थे। इसके बाद फ़िल्म उस पार (बसु चटर्जी), दो झूठ (जीतू ठाकुर) तथा स्वर्ग नरक (दसारी नारायण राव) में मौसमी के नायक बने।

प्रमुख फ़िल्में

विनोद मेहरा ने भारतीय सिनेमा में 100 से अधिक फ़िल्मों में अभिनय किया है। बाल कलाकार के रूप में विनोद मेहरा ने फ़िल्मों में शुरुआत की। इनकी फ़िल्म लाल पत्थर (1972), अनुराग (1972), सबसे बड़ा रुपैया (1976), नागिन (1976), अनुरोध (1977), साजन बिना सुहागन (1978), घर (1978), दादा (1979), कर्तव्य (1979), अमर दीप (1979), जानी दुश्र्मन (1979) आदि।


विनोद मेहरा भारतीय सिनेमा के जाने माने अभिनेता थे। वर्ष 1958 फ़िल्म रजनी में एक बाल कलाकार के रूप में किशोर कुमार की भूमिका निभाने वाले चरित्र के छोटे संस्करण के रूप में मेहरा की शुरुआत हुई।

फ़िल्म करियर की शुरुआत

विनोद मेहरा के फ़िल्म करियर के मौसम को खुशनुमा बनाने में अभिनेत्री मौसमी चटर्जी का योगदान रहा है। शक्ति सामंत की फ़िल्म अनुराग (1972) में मौसमी चटर्जी और विनोद मेहरा पहली बार साथ आए। मौसमी ने एक दृष्टिहीन युवती का रोल संजीदगी के साथ किया था। विनोद एक आदर्शवादी नायक थे और अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध वह मौसमी से शादी करना चाहते थे। इसके बाद फ़िल्म उस पार (बसु चटर्जी), दो झूठ (जीतू ठाकुर) तथा स्वर्ग नरक (दसारी नारायण राव) में मौसमी के नायक बने। विनोद को स्वतंत्र रूप से नायक बनने और हीरोइन से रोमांस लड़ाने अथवा पेड़ों के इर्दगिर्द गाना गाने के अवसर ए ग्रेड के बजाय बी ग्रेड फ़िल्मों में ज्यादा मिले क्योंकि बड़े निर्देशकों की फ़िल्मों में उन्हें ज्यादातर दूसरी लीड का नायक माना गया।

विनोद मेहरा के करियर की यह ट्रेजेडी मानी जाएगी कि उन्हें बड़े बैनर्स से ज्यादा ऑफर नहीं आए। बी.आर. चोपड़ा की फ़िल्म द बर्निंग ट्रेन में वे सवार थे। लेकिन इस फ़िल्म में ट्रेन के मुसाफ़िरों की भीड़ के समान कलाकार थे। इसके बावजूद बर्निंग ट्रेन बॉक्स ऑफ़िस पर भी बुरी तरह जल गई थी। कोई सफल सितारा अपने इंटरव्यू में बर्निंग ट्रेन का जिक्र तक नहीं करना चाहता। लिहाजा इस फ़िल्म में विनोद मेहरा का होना नहीं जैसा था। उन्हें दक्षिण भारतीय फ़िल्म डायरेक्टर्स ने भी मौके दिए जो उन दिनों हिन्दी फ़िल्में लगातार निर्देशित कर रहे थे। ऐसे फ़िल्मकारों में कृष्णन पंजू (शानदार), आर.कृष्णमूर्ति (अमरदीप) एस. रामानाथन् (दो फूल तथा सबसे बड़ा रुपैया) तथा दसारी नारायण राव (स्वर्ग नरक) के नाम उल्लेखनीय हैं।

फ़िल्मों मे अभिनेय

अस्सी के दशक में विनोद मेहरा को वैरायटी की फ़िल्में और वैरायटी भरे रोल मिले, लेकिन इन फ़िल्मों में जो मुख्य नायक-नायिका थे, वे सारी लोकप्रियता बटोर कर ले गए। मोहन सहगल निर्देशित फ़िल्म कर्तव्य की सफलता धर्मेन्द्र और रेखा के खाते में लिखी गई।

बेमिसाल (ऋषिकेश मुखर्जी) और खुद्दार (रवि टंडन) की कामयाबी का लाभ अमिताभ को मिला। लाल पत्थर में राजकुमार-हेमा मालिनी का स्क्रीन प्रजेंस विनोद पर भारी पड़ा। शोले के गब्बरसिंह उर्फ अमजद खान को जब अपार लोकप्रियता मिली, तो उन्होंने चोर पुलिस फ़िल्म बनाकर हाथ साफ किए। इसमें विनोद को उन्होंने मौका दिया मगर वह कोई काम नहीं आ सका।

फ़िल्म निर्देशन का आरम्भ

भारतीय सिनेमा में अपनी प्रतिभा को प्रतिष्ठा नहीं मिलने से विनोद अक्सर उदास रहा करते थे। जब अभिनेता के रूप में उनके पास ज्यादा कुछ करने को नहीं रहा तो वे निर्देशन के मैदान में उतरे। उन्होंने ऋषि कपूर-अनिल कपूर और श्रीदेवी को लेकर फ़िल्म 'गुरुदेव' शुरू की जो उस वक्त के कामयाब सितारे थे, लेकिन गुरुदेव को बनने में लंबा वक्त लगा। कहा जाता है कि इन सितारों ने डेट्स देने में विनोद को बेहद सताया और विनोद तनाव में रहने लगे। फ़िल्म के रिलीज होने के पूर्व ही वे चल बसे। 30 अक्टूबर 1990 को तमाम बातों पर विनोद की मौत ने फुलस्टाप लगा दिया। अचानक दिल का दौरा आ जाने से वे असमय मात्र 45 वर्ष की उम्र में ही बिदा हो गए। उनकी मौत के बाद प्रतीक्षा (1993, लॉरेंस डिसूजा), सरफ़िरा (1992), इंसानियत (1994) टोनी जुनेजा) जैसी कुछ फ़िल्में रिलीज हुईं, लेकिन पंछी पिंजरा छोड़ चुका था।


विनोद मेहरा ने 100 से अधिक फ़िल्मों में अभिनेय किया था। उन्होंने अपनी पिछली फ़िल्मों में कई मल्टीस्टार कलाकारों के नेतृत्त्व मे कार्य किया है विनोद मेहरा ने एक भाई, दोस्त, चाचा, पिता और पुलिस अधिकारी जैसे सहायक भूमिकाएं निभाई हैं।

प्रमुख फ़िल्में

वर्ष फ़िल्म
1994 इंसानियत
1993 प्रतीक्षा
1992 सरफिरा
1991 पत्थर के फूल
1990 प्यार का कर्ज़
1990 वर्दी कमिश्नर वर्मा
1989 हम इन्तज़ार करेंगे
1989 प्रेम प्रतिज्ञा
1989 मिट्टी और सोना
1989 मेरी ज़बान
1989 ईश्वर
1988 नामुमकिन
1988 आखिरी अदालत
1988 फ़ैसला
1988 साजिश
1988 मर मिटेंगे
1988 महावीरा
1988 बीस साल बाद
1987 प्यार की जीत
1987 आग ही आग
1987 औलाद
1986 लॉकेट
1986 समय की धारा
1986 जाल
1986 आप के साथ
1986 प्रीती
1986 ऐसा प्यार कहाँ
1986 स्वाति
1985 संजोग
1985 अनकही
1985 प्यारी बहना
1985 नया बकरा
1985 मौजां डुबई दियाँ
1985 शिवा का इन्साफ
1984 एक नया इतिहास
1984 धर्म और कानून
1984 ज़ख्मी शेर
1984 यह देश
1983 स्वीकार
1983 मेंहदी
1983 शुभ कामना
1983 प्रेम तपस्या
1983 नौकर बीवी का
1983 चोर पुलिस
1982 संबंध
1982 खुद्दार
1982 बेमिसाल
1981 साजन की सहेली
1981 चेहरे पे चेहरा
1981 प्यासा सावन
1981 सनसनी
1980 यह कैसा इंसाफ़
1980 ज्योति बने ज्वाला
1980 ज्वा्ला्मुखी
1980 सबूत
1980 टक्कर
1980 द बर्निंग ट्रेन
1979 अमर दीप
1979 बिन फेरे हम तेरे
1979 कर्तव्य
1979 जानी दुश्मन
1979 लव इन कनाडा
1978 घर
1978 स्वर्ग नर्क
1977 सफेद झूठ
1977 जाग्रति
1977 अनुरोध
1977 एक ही रास्ता
1976 सबसे बड़ा रुपैया
1976 नागिन
1976 ज़िन्दगी
1976 अर्जुन पंडित
1975 दो झूठ
1975 मज़ाक
1975 उमर कैद
1975 रफ़्तार
1974 उजाला ही उजाला
1974 उस पार
1974 शानदार
1974 फ़ासला
1974 कुँवारा बाप
1973 दो फूल
1972 अनुराग
1971 लाल पत्थर
1971 एलान