"रेल संरक्षा आयोग": अवतरणों में अंतर
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'''रेल संरक्षा आयोग''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Commission of Railway Safety'') [[भारत सरकार]] के [[नागर विमानन मंत्रालय]] के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है, जिसका सम्बंध रेल यात्रा तथा ट्रेन के संचालन मेंं संरक्षा से सम्बंधित माामलों से है। | '''रेल संरक्षा आयोग''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Commission of Railway Safety'') [[भारत सरकार]] के [[नागर विमानन मंत्रालय]] के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है, जिसका सम्बंध रेल यात्रा तथा ट्रेन के संचालन मेंं संरक्षा से सम्बंधित माामलों से है। | ||
==कार्य== | ==कार्य== | ||
रेल संरक्षा आयोग को भारतीय अधिनियम 1989 में निर्धारित कुछ सांविधिक कार्य भी सौपे गए हैं,जो जाॅचपरक, निरीक्षणात्मक और सलाहकारी प्रकृति के हैं। आयोग रेलवे अधिनियम के अधीन बनाये कुछ निश्चित नियमों और समय-समय पर जारी किये गये कार्यकारी अनुदेशों के अनुसार कार्य करता है। आयोग का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह सुनिश्चित करना है कि यात्रियों के सार्वजनिक परिवहन के लिए खोली जाने वाली नई रेलवे लाइन रेल मंत्रालय द्वारा निर्धारित किये गए मानक और विनिर्देशन के अनुरूप है तथा नई रेलवे लाइन यात्री परिवहन के लिए सभी दृष्टिकोण से सुरक्षित है। यह अन्य निर्माण कार्यों, जैसे- गेज परिवर्तन, लाइनों का दोहरीकरण और मौजूदा लाइनों के विद्युतीकरण पर भी लागू होता है। आयोग भारतीय रेलवे मे होने वाली भयंकर ट्रेन दुर्घटनाओं की सांविधिक जाॅच भी करता है और [[भारत]] मे रेल संरक्षा के सुधार के लिये संस्तुति करता है। दिल्ली मेट्रो, मेट्रो रेलवे (ओ. एण्ड एम.) अधिनियम 2002 द्वारा शासित होता है।<ref>{{cite web |url=http://crs.gov.in/hn/history.php |title=रेल संरक्षा आयोग |accessmonthday= 09 सितम्बर|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=crs.gov.in |language= हिंदी}}</ref> | रेल संरक्षा आयोग को भारतीय अधिनियम 1989 में निर्धारित कुछ सांविधिक कार्य भी सौपे गए हैं,जो जाॅचपरक, निरीक्षणात्मक और सलाहकारी प्रकृति के हैं। आयोग रेलवे अधिनियम के अधीन बनाये कुछ निश्चित नियमों और समय-समय पर जारी किये गये कार्यकारी अनुदेशों के अनुसार कार्य करता है। आयोग का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह सुनिश्चित करना है कि यात्रियों के सार्वजनिक परिवहन के लिए खोली जाने वाली नई रेलवे लाइन रेल मंत्रालय द्वारा निर्धारित किये गए मानक और विनिर्देशन के अनुरूप है तथा नई रेलवे लाइन यात्री परिवहन के लिए सभी दृष्टिकोण से सुरक्षित है। यह अन्य निर्माण कार्यों, जैसे- गेज परिवर्तन, लाइनों का दोहरीकरण और मौजूदा लाइनों के विद्युतीकरण पर भी लागू होता है। आयोग भारतीय रेलवे मे होने वाली भयंकर ट्रेन दुर्घटनाओं की सांविधिक जाॅच भी करता है और [[भारत]] मे रेल संरक्षा के सुधार के लिये संस्तुति करता है। दिल्ली मेट्रो, मेट्रो रेलवे (ओ. एण्ड एम.) अधिनियम 2002 द्वारा शासित होता है।<ref>{{cite web |url=http://crs.gov.in/hn/history.php |title=रेल संरक्षा आयोग |accessmonthday= 09 सितम्बर|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=crs.gov.in |language= हिंदी}}</ref> | ||
आयोग का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि यात्री यातायात के लिए आरंभ होने वाली कोई नई लाइन यात्री यातायात के वहन के हर दृष्टिकोण से सुरक्षित है। यह अन्य कार्यों पर भी लागू है जैसे आमान परिवर्तन, लाइन दोहरीकरण तथा मोजूदा लाइनों का विद्युतीकरण। आयोग भरतीय रेलों में हुई गंभीर रेल दुर्घटनाओं की सांविधिक जांच भी करता है और [[भारत]] में रेल की सुरक्षा में सुधार के लिए सिफारिशें भी करता है। | |||
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[[लखनऊ]] स्थित आयोग का अध्यक्ष मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त (मु.रे.सं.आ.) होता है जो रेल संरक्षा से सम्बधित सभी मामलों मे केन्द्र सरकार के प्रधान तकनीकी सलाहकार के रूप मे कार्य करता हैं। मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन नौ रेल संरक्षा आयुक्त (रे,सं.आ.) कार्यरत हैं और प्रत्येक रेल संरक्षा आयुक्त अपने क्षेत्राधिकार मे आने वाले जोनल रेलवे मे कार्य करते है। इसके अलावा कुछ आयुक्तों के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत जोनल रेलवे के अतिरिक्त रेलवे के अन्य प्रतिष्ठान भी आते है जैसे- | [[लखनऊ]] स्थित आयोग का अध्यक्ष मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त (मु.रे.सं.आ.) होता है जो रेल संरक्षा से सम्बधित सभी मामलों मे केन्द्र सरकार के प्रधान तकनीकी सलाहकार के रूप मे कार्य करता हैं। मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन नौ रेल संरक्षा आयुक्त (रे,सं.आ.) कार्यरत हैं और प्रत्येक रेल संरक्षा आयुक्त अपने क्षेत्राधिकार मे आने वाले जोनल रेलवे मे कार्य करते है। इसके अलावा कुछ आयुक्तों के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत जोनल रेलवे के अतिरिक्त रेलवे के अन्य प्रतिष्ठान भी आते है जैसे- |
09:53, 9 सितम्बर 2016 का अवतरण
रेल संरक्षा आयोग
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विवरण | 'रेल संरक्षा आयोग' का सम्बंध रेल यात्रा तथा ट्रेन के संचालन मेंं संरक्षा से सम्बंधित माामलों से है। यह भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है। |
देश | भारत |
मुख्यालय | लखनऊ |
आयोग अध्यक्ष | मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त |
संबंधित लेख | नागर विमानन मंत्रालय, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, रेल मंत्रालय |
अन्य जानकारी | लखनऊ स्थित आयोग का अध्यक्ष मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त (मु.रे.सं.आ.) होता है जो रेल संरक्षा से सम्बधित सभी मामलों मे केन्द्र सरकार के प्रधान तकनीकी सलाहकार के रूप मे कार्य करता हैं। |
रेल संरक्षा आयोग (अंग्रेज़ी: Commission of Railway Safety) भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है, जिसका सम्बंध रेल यात्रा तथा ट्रेन के संचालन मेंं संरक्षा से सम्बंधित माामलों से है।
कार्य
रेल संरक्षा आयोग को भारतीय अधिनियम 1989 में निर्धारित कुछ सांविधिक कार्य भी सौपे गए हैं,जो जाॅचपरक, निरीक्षणात्मक और सलाहकारी प्रकृति के हैं। आयोग रेलवे अधिनियम के अधीन बनाये कुछ निश्चित नियमों और समय-समय पर जारी किये गये कार्यकारी अनुदेशों के अनुसार कार्य करता है। आयोग का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह सुनिश्चित करना है कि यात्रियों के सार्वजनिक परिवहन के लिए खोली जाने वाली नई रेलवे लाइन रेल मंत्रालय द्वारा निर्धारित किये गए मानक और विनिर्देशन के अनुरूप है तथा नई रेलवे लाइन यात्री परिवहन के लिए सभी दृष्टिकोण से सुरक्षित है। यह अन्य निर्माण कार्यों, जैसे- गेज परिवर्तन, लाइनों का दोहरीकरण और मौजूदा लाइनों के विद्युतीकरण पर भी लागू होता है। आयोग भारतीय रेलवे मे होने वाली भयंकर ट्रेन दुर्घटनाओं की सांविधिक जाॅच भी करता है और भारत मे रेल संरक्षा के सुधार के लिये संस्तुति करता है। दिल्ली मेट्रो, मेट्रो रेलवे (ओ. एण्ड एम.) अधिनियम 2002 द्वारा शासित होता है।[1]
आयोग का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि यात्री यातायात के लिए आरंभ होने वाली कोई नई लाइन यात्री यातायात के वहन के हर दृष्टिकोण से सुरक्षित है। यह अन्य कार्यों पर भी लागू है जैसे आमान परिवर्तन, लाइन दोहरीकरण तथा मोजूदा लाइनों का विद्युतीकरण। आयोग भरतीय रेलों में हुई गंभीर रेल दुर्घटनाओं की सांविधिक जांच भी करता है और भारत में रेल की सुरक्षा में सुधार के लिए सिफारिशें भी करता है।
संगठनात्मक संरचना
लखनऊ स्थित आयोग का अध्यक्ष मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त (मु.रे.सं.आ.) होता है जो रेल संरक्षा से सम्बधित सभी मामलों मे केन्द्र सरकार के प्रधान तकनीकी सलाहकार के रूप मे कार्य करता हैं। मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन नौ रेल संरक्षा आयुक्त (रे,सं.आ.) कार्यरत हैं और प्रत्येक रेल संरक्षा आयुक्त अपने क्षेत्राधिकार मे आने वाले जोनल रेलवे मे कार्य करते है। इसके अलावा कुछ आयुक्तों के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत जोनल रेलवे के अतिरिक्त रेलवे के अन्य प्रतिष्ठान भी आते है जैसे-
- मेट्रो रेलवे, कोलकाता
- डी.एम.आर.सी., दिल्ली
- एम.आर.टी.पी., चेन्नई
- कोंकण रेलवे
- डी.एम.आर.सी.एल., बैंगलोर
मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त की आवश्यकतानुसार सहायता के लिए लखनऊ स्थित मुख्यालय में 5 उप मुख्य संरक्षा आयुक्त पदास्थापित है। इसके अतिरिक्त प्रत्येंक परिमण्डल में सिगनलिंग, दूरसंचार, सिविल इंजीनियरिंग एवं विधुतकर्षण के क्षेत्र मे रेल संरक्षा आयुक्तों की सहायता करने के लिए फील्ड उप रेल संरक्षा आयुक्त कार्यरत हैं।
परिमण्डल तथा क्षेत्राधिकार
रेल प्रशासन के ऊपर मुख्यालय तथा प्रत्येक परिमण्डल का क्षेत्राधिकार निम्नलिखित हैः-
क्र.सं. | परिमण्डल का नाम | मुख्यालय | प्रधान रेलवे |
---|---|---|---|
1. | मध्य परिमण्डल | मुम्बई | मंध्य रेलवे, पश्चिम मध्य रेलवे,तथा कोंकण रेलवे |
2. | पूर्व परिमण्डल | कोलकाता | पूर्व रेलवे तथा पूर्व मध्य रेलवे |
3. | उत्तर परिमण्डल | नई दिल्ली | उत्तर रेलवे तथा दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन |
4. | पूर्वोत्तर परिमण्डल | लखनऊ | पूर्वोत्तर रेलवे तथा उत्तर मध्य रेलवे |
5. | उत्तर पूर्व सीमान्त परिमण्डल | कोलकाता | उत्तर पूर्व सीमांत रेलवे तथा मेट्रो कोलकाता |
6. | दक्षिण परिमण्डल | बैंगलोर | दक्षिण रेलवे, दक्षिण पश्चिम रेलवे तथा बैंगलोर मेट्रो रेलवे |
7. | दक्षिण मध्य परिमण्डल | सिकंदराबाद | दक्षिण मध्य रेलवे |
8. | दक्षिण पूर्व परिमण्डल | कोलकाता | दक्षिण पूर्व रेलवे, पूर्व तटीय रेलवे तथा दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे |
9. | पश्चिम परिमण्डल | मुम्बई | पश्चिम रेलवे, उत्तर पश्चिम रेलवे तथा एम आर वी सी मुम्बई |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रेल संरक्षा आयोग (हिंदी) crs.gov.in। अभिगमन तिथि: 09 सितम्बर, 2016।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख