"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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-[[गुप्त साम्राज्य|गुप्त]] | -[[गुप्त साम्राज्य|गुप्त]] | ||
||[[चित्र:Kanishka-Coin.jpg|right|100px|कनिष्क का सिक्का]]कुषाण सम्राट [[कनिष्क]] [[बौद्ध धर्म]] का अनुयायी होते हुए भी अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णु था। इसके सिक्कों पर पार्थियन, [[यूनानी]] एवं भारतीय [[हिन्दू देवी-देवता|देवी-देवताओं]] की आकृतियाँ मिली हैं। कनिष्क के सिक्कों पर ग्रीक अक्षर में जिन [[देवता|देवताओं]] के नाम लिखे हैं, वे हैं- 'हिरैक्लीज', 'सिरापीज', ग्रीक नामधारी [[सूर्य देव|सूर्य]] और [[चन्द्र देव|चन्द्र]], हेलिओस और सेलिनी, मीइरो (सूर्य), अर्थों ([[अग्नि देव|अग्नि]]), ननाइया, [[शिव]] आदि। सिक्कों पर [[महात्मा बुद्ध]] तथा भारतीय देवी-देवताओं की आकृतियाँ यूनानी शैली में उकेरी गई हैं। [[कनिष्क]] के [[तांबा|तांबे]] के सिक्कों पर उसे 'बलिवेदी' पर बलिदान करते हुए दर्शाया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुषाण साम्राज्य]] | ||[[चित्र:Kanishka-Coin.jpg|right|100px|कनिष्क का सिक्का]]कुषाण सम्राट [[कनिष्क]] [[बौद्ध धर्म]] का अनुयायी होते हुए भी अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णु था। इसके सिक्कों पर पार्थियन, [[यूनानी]] एवं भारतीय [[हिन्दू देवी-देवता|देवी-देवताओं]] की आकृतियाँ मिली हैं। कनिष्क के सिक्कों पर ग्रीक अक्षर में जिन [[देवता|देवताओं]] के नाम लिखे हैं, वे हैं- 'हिरैक्लीज', 'सिरापीज', ग्रीक नामधारी [[सूर्य देव|सूर्य]] और [[चन्द्र देव|चन्द्र]], हेलिओस और सेलिनी, मीइरो (सूर्य), अर्थों ([[अग्नि देव|अग्नि]]), ननाइया, [[शिव]] आदि। सिक्कों पर [[महात्मा बुद्ध]] तथा भारतीय देवी-देवताओं की आकृतियाँ यूनानी शैली में उकेरी गई हैं। [[कनिष्क]] के [[तांबा|तांबे]] के सिक्कों पर उसे 'बलिवेदी' पर बलिदान करते हुए दर्शाया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुषाण साम्राज्य]] | ||
{[[एनी बेसेन्ट|श्रीमती एनी बेसेन्ट]] और [[बाल गंगाधर तिलक]] दोनों ने अलग-अलग '[[इंडियन होमरूल लीग|होमरूल लीग]]' स्थापित कीं, किंतु दोनों लीग किस वर्ष में एक साथ संयुक्त हो गईं? | {[[एनी बेसेन्ट|श्रीमती एनी बेसेन्ट]] और [[बाल गंगाधर तिलक]] दोनों ने अलग-अलग '[[इंडियन होमरूल लीग|होमरूल लीग]]' स्थापित कीं, किंतु दोनों लीग किस वर्ष में एक साथ संयुक्त हो गईं? | ||
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-[[मोहनदास करमचंद गाँधी]] | -[[मोहनदास करमचंद गाँधी]] | ||
-[[ईश्वरचन्द्र विद्यासागर]] | -[[ईश्वरचन्द्र विद्यासागर]] | ||
+ | +[[रमेश चन्द्र दत्त]] | ||
||रमेश चन्द्र दत्त धन के बहिर्गमन की विचारधारा के प्रवर्तक, मशहूर लेखक तथा महान शिक्षाशास्त्री थे। वर्ष [[1899]] ई. में '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के '[[कांग्रेस अधिवेशन लखनऊ|लखनऊ अधिवेशन]]' की अध्यक्षता इन्होंने की थी। इनकी रचनाओं में 'ब्रिटिश भारत का आर्थिक इतिहास', 'विक्टोरिया युग में भारत' और 'प्राचीन भारतीय सभ्यता का इतिहास' आदि शामिल हैं। इन्होंने सिविल सेवा के भारतीयकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रमेश चन्द्र दत्त]] | |||
{निम्नांकित [[संस्कार|संस्कारों]] में से किसका शिक्षा की समाप्ति से सम्बन्ध है? | {निम्नांकित [[संस्कार|संस्कारों]] में से किसका शिक्षा की समाप्ति से सम्बन्ध है? |
09:37, 19 जनवरी 2013 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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