"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Rann-Of-Kachchh.jpg|right|120px|कच्छ का रण, कच्छ, गुजरात]]'गुजरात' अत्यधिक विषमता वाला राज्य है। इसके पश्चिमी तट और [[मुंबई]] (भूतपूर्व बंबई) के उत्तर में नम उर्वर [[चावल]] उत्पादक मैदानों से लेकर पश्चिमोत्तर में [[कच्छ]] के लगभग | ||[[चित्र:Rann-Of-Kachchh.jpg|right|120px|कच्छ का रण, कच्छ, गुजरात]]'गुजरात' अत्यधिक विषमता वाला राज्य है। इसके पश्चिमी तट और [[मुंबई]] (भूतपूर्व बंबई) के उत्तर में नम उर्वर [[चावल]] उत्पादक मैदानों से लेकर पश्चिमोत्तर में [[कच्छ]] के लगभग वर्षा विहीन लवणीय रेगिस्तान हैं। [[कच्छ ज़िला]] दक्षिण में [[कच्छ की खाड़ी]] तथा उत्तर व पूर्व में [[पाकिस्तान]] व मुख्य भारतीय भूमि से [[कच्छ के रण]] द्वारा विभाजित है, जिसका वर्णन लगभग 20,720 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में विस्तृत एक विशाल लवणीय दलदल के रूप में बेहतर तरीके से किया जा सकता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुजरात]] | ||
{[[पृथ्वी]] के अन्दर जिस स्थान से [[भूकम्प]] की उत्पत्ति होती है, वह स्थान कहलाता है- | {[[पृथ्वी]] के अन्दर जिस स्थान से [[भूकम्प]] की उत्पत्ति होती है, वह स्थान कहलाता है- | ||
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-[[हिमालय पर्वत]] | -[[हिमालय पर्वत]] | ||
-[[हिन्द महासागर]] | -[[हिन्द महासागर]] | ||
||[[चित्र:Bay-Of-Bengal.jpg|right|120px|बंगाल की खाड़ी]]'बंगाल की खाड़ी', जो कि विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी मानी जाती है, [[हिन्द महासागर]] का उत्तर पूर्वी भाग है। इस खाड़ी का नाम भारतीय राज्य [[पश्चिम बंगाल]] के नाम पर रखा गया है। यह खाड़ी आकार में त्रिभुजाकार है। [[बंगाल की खाड़ी]] के उत्तर में [[बांग्लादेश]] और पश्चिम बंगाल, पूर्व में [[म्यांमार]] और [[अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह]] और पश्चिम में [[भारत]] और [[श्रीलंका]] स्थित हैं।{{point}}अधिक | ||[[चित्र:Bay-Of-Bengal.jpg|right|120px|बंगाल की खाड़ी]]'बंगाल की खाड़ी', जो कि विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी मानी जाती है, [[हिन्द महासागर]] का उत्तर पूर्वी भाग है। इस खाड़ी का नाम भारतीय राज्य [[पश्चिम बंगाल]] के नाम पर रखा गया है। यह खाड़ी आकार में त्रिभुजाकार है। [[बंगाल की खाड़ी]] के उत्तर में [[बांग्लादेश]] और पश्चिम बंगाल, पूर्व में [[म्यांमार]] और [[अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह]] और पश्चिम में [[भारत]] और [[श्रीलंका]] स्थित हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बंगाल की खाड़ी]] | ||
{[[ज्वालामुखी]] से लावा के अतिरिक्त शैलों तथा [[खनिज|खनिजों]] के टुकड़े बाहर आते हैं, उन्हें क्या कहते हैं? | {[[ज्वालामुखी]] से लावा के अतिरिक्त शैलों तथा [[खनिज|खनिजों]] के टुकड़े बाहर आते हैं, उन्हें क्या कहते हैं? | ||
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-[[गुजरात]] | -[[गुजरात]] | ||
+[[कर्नाटक]] | +[[कर्नाटक]] | ||
||[[चित्र:Shivanasamudra-Falls.jpg|right|100px|शिवनासमुद्र झरना, कर्नाटक]]'कर्नाटक' के कुछ स्थानों में उच्च [[खनिज]] भंडार वाली पूर्व कैंब्रियन युग की चट्टानें हैं, जो कम से कम 57 करोड़ वर्ष पुरानी हैं। [[कर्नाटक]] [[भारत]] में [[क्रोमाइट]] का सबसे बड़ा उत्पादन कर्ता है। यह देश में [[मैग्नेसाइट]] उत्पादक दो राज्यों में से एक है, जबकि दूसरा राज्य [[तमिलनाडु]] है। उच्च गुणवत्ता वाले [[लौह अयस्क]] के भंडार मुख्यत: चिकमगलूर और [[चित्रदुर्ग ज़िला|चित्रदुर्ग]] ज़िलों में हैं। अल्प मात्रा में [[अभ्रक]], [[ताम्र|ताम्र अयस्क]], [[बॉक्साइट]], रक्तमणि का भी खनन यहाँ होता है।{{point}}अधिक | ||[[चित्र:Shivanasamudra-Falls.jpg|right|100px|शिवनासमुद्र झरना, कर्नाटक]]'कर्नाटक' के कुछ स्थानों में उच्च [[खनिज]] भंडार वाली पूर्व कैंब्रियन युग की चट्टानें हैं, जो कम से कम 57 करोड़ वर्ष पुरानी हैं। [[कर्नाटक]] [[भारत]] में [[क्रोमाइट]] का सबसे बड़ा उत्पादन कर्ता है। यह देश में [[मैग्नेसाइट]] उत्पादक दो राज्यों में से एक है, जबकि दूसरा राज्य [[तमिलनाडु]] है। उच्च गुणवत्ता वाले [[लौह अयस्क]] के भंडार मुख्यत: चिकमगलूर और [[चित्रदुर्ग ज़िला|चित्रदुर्ग]] ज़िलों में हैं। अल्प मात्रा में [[अभ्रक]], [[ताम्र|ताम्र अयस्क]], [[बॉक्साइट]], रक्तमणि का भी खनन यहाँ होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्नाटक]] | ||
{वे क्रिस्टल जो केवल [[माइक्रोस्कोप]] की सहायता से देखे जाते हैं, उन्हें क्या कहा जाता है? | {वे क्रिस्टल जो केवल [[माइक्रोस्कोप]] की सहायता से देखे जाते हैं, उन्हें क्या कहा जाता है? | ||
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-[[अरब सागर]] | -[[अरब सागर]] | ||
+[[प्रशांत महासागर]] | +[[प्रशांत महासागर]] | ||
||[[चित्र:Prashant-Mahasagar.JPG|right|120px|प्रशान्त महासागर]]'प्रशान्त महासागर' विश्व का सबसे बड़ा तथा सबसे गहरा [[समुद्र]] है। तुलनात्मक भौगौलिक अध्ययन से पता चलता है कि इस महासागर में [[पृथ्वी]] का भाग कम तथा जलीय क्षेत्र अधिक है। वैज्ञानिक अन्वेषकों तथा साहसिक नाविकों द्वारा इस महासागर के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के अनेक प्रयत्न किए गए तथा अब भी इसका अध्ययन जारी है। इसका क्षेत्रफल 6,36,34,000 वर्ग मील, अर्थात अंटार्कटिक महासागर के दुगुने से भी अधिक है।{{point}}अधिक | ||[[चित्र:Prashant-Mahasagar.JPG|right|120px|प्रशान्त महासागर]]'प्रशान्त महासागर' विश्व का सबसे बड़ा तथा सबसे गहरा [[समुद्र]] है। तुलनात्मक भौगौलिक अध्ययन से पता चलता है कि इस महासागर में [[पृथ्वी]] का भाग कम तथा जलीय क्षेत्र अधिक है। वैज्ञानिक अन्वेषकों तथा साहसिक नाविकों द्वारा इस महासागर के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के अनेक प्रयत्न किए गए तथा अब भी इसका अध्ययन जारी है। इसका क्षेत्रफल 6,36,34,000 वर्ग मील, अर्थात अंटार्कटिक महासागर के दुगुने से भी अधिक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रशांत महासागर]] | ||
{अब तक मिलने वाला सबसे बड़ा [[हीरा]] निम्न में से कौन-सा है? | {अब तक मिलने वाला सबसे बड़ा [[हीरा]] निम्न में से कौन-सा है? | ||
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+[[जलोढ़ मिट्टी]] | +[[जलोढ़ मिट्टी]] | ||
-[[लैटेराइट मिट्टी]] | -[[लैटेराइट मिट्टी]] | ||
||'जलोढ़ मिट्टी' [[उत्तर भारत]] के पश्चिम में [[पंजाब]] से लेकर सम्पूर्ण उत्तरी विशाल मैदान को आवृत करते हुए [[गंगा नदी]] के डेल्टा क्षेत्र तक फैली हुई है। इस प्रकार की मिट्टी [[गंगा]], [[ब्रह्मपुत्र]], [[महानदी]], [[गोदावरी नदी|गोदावरी]], [[कृष्णा नदी|कृष्णा]], [[कावेरी नदी|कावेरी]] आदि बड़ी नदियों के डेल्टा क्षेत्र में ही मिलती है। [[जलोढ़ मिट्टी]] दलदली एवं नमकीन प्रकृति की होती है। इसके कण अत्यधिक बारीक होते हैं तथा इसमें पोटाश, चूना, फ़ॉस्फ़ोरस, [[मैग्नीशियम]] एवं जीवांशों की अधिक मात्रा समाहित रहती है।{{point}}अधिक | ||'जलोढ़ मिट्टी' [[उत्तर भारत]] के पश्चिम में [[पंजाब]] से लेकर सम्पूर्ण उत्तरी विशाल मैदान को आवृत करते हुए [[गंगा नदी]] के डेल्टा क्षेत्र तक फैली हुई है। इस प्रकार की मिट्टी [[गंगा]], [[ब्रह्मपुत्र]], [[महानदी]], [[गोदावरी नदी|गोदावरी]], [[कृष्णा नदी|कृष्णा]], [[कावेरी नदी|कावेरी]] आदि बड़ी नदियों के डेल्टा क्षेत्र में ही मिलती है। [[जलोढ़ मिट्टी]] दलदली एवं नमकीन प्रकृति की होती है। इसके कण अत्यधिक बारीक होते हैं तथा इसमें पोटाश, चूना, फ़ॉस्फ़ोरस, [[मैग्नीशियम]] एवं जीवांशों की अधिक मात्रा समाहित रहती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जलोढ़ मिट्टी]] | ||
{सर्वप्रथम किस देश का मृदा वर्गीकरण सम्पूर्ण रूप से [[1938]] में प्रकाशित हुआ? | {सर्वप्रथम किस देश का मृदा वर्गीकरण सम्पूर्ण रूप से [[1938]] में प्रकाशित हुआ? | ||
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-चक्रवात | -चक्रवात | ||
-अंधड़ | -अंधड़ | ||
||'लू' उत्तर-पश्चिम [[भारत]] के शुष्क भागों में चलने वाली तेज़ उष्ण हवाओं को कहा जाता है। कभी-कभी इन हवाओं के साथ धूल भी उड़ती है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। इस प्रकार की उष्ण हवाएँ प्राय: [[मई]] तथा [[जून]] के महीने में चलती हैं। इन हवाओं के सम्पर्क में ज़्यादा समय तक रहने पर [[मानव शरीर|शरीर]] में [[नमक]] तथा [[जल]] की कमी हो जाती है।{{point}}अधिक | ||'लू' उत्तर-पश्चिम [[भारत]] के शुष्क भागों में चलने वाली तेज़ उष्ण हवाओं को कहा जाता है। कभी-कभी इन हवाओं के साथ धूल भी उड़ती है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। इस प्रकार की उष्ण हवाएँ प्राय: [[मई]] तथा [[जून]] के महीने में चलती हैं। इन हवाओं के सम्पर्क में ज़्यादा समय तक रहने पर [[मानव शरीर|शरीर]] में [[नमक]] तथा [[जल]] की कमी हो जाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लू]] | ||
{उत्तरी गोलार्द्ध में [[वर्ष]] का सबसे लम्बा दिन कौन-सा होता है? | {उत्तरी गोलार्द्ध में [[वर्ष]] का सबसे लम्बा दिन कौन-सा होता है? | ||
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-[[गेंहूँ]] | -[[गेंहूँ]] | ||
+[[मक्का]] | +[[मक्का]] | ||
||[[चित्र:Maize.jpg|right|120px|मक्का]][[भारत]] में [[मक्का]] मुख्यतः [[उत्तर भारत]] में पैदा किया जाता है। ऊपरी [[गंगा]] की घाटी, उत्तर पूर्वी [[पंजाब]], दक्षिण-पश्चिम [[कश्मीर]], दक्षिण [[राजस्थान]] में यह उगाया जाता है। मक्का [[मई]] से [[जुलाई]] तक बोई जाती है और [[नवम्बर]] तक काट ली जाती है। अब मक्का की अनेक सुधरी हुई किस्में बोई जाने लगी हैं, जिनमें 'गंगा-101', 'गंगा-3', 'गंगा श्वेत-3', 'रणजीत', 'दक्कन-103', 'हिमालय-123', 'हाई स्टार्च', 'जवाहर', 'सोना', 'विजय बस्ती', 'विक्रम' और 'उदयपुर' आदि चयनित हैं।{{point}}अधिक | ||[[चित्र:Maize.jpg|right|120px|मक्का]][[भारत]] में [[मक्का]] मुख्यतः [[उत्तर भारत]] में पैदा किया जाता है। ऊपरी [[गंगा]] की घाटी, उत्तर पूर्वी [[पंजाब]], दक्षिण-पश्चिम [[कश्मीर]], दक्षिण [[राजस्थान]] में यह उगाया जाता है। मक्का [[मई]] से [[जुलाई]] तक बोई जाती है और [[नवम्बर]] तक काट ली जाती है। अब मक्का की अनेक सुधरी हुई किस्में बोई जाने लगी हैं, जिनमें 'गंगा-101', 'गंगा-3', 'गंगा श्वेत-3', 'रणजीत', 'दक्कन-103', 'हिमालय-123', 'हाई स्टार्च', 'जवाहर', 'सोना', 'विजय बस्ती', 'विक्रम' और 'उदयपुर' आदि चयनित हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मक्का]] | ||
{'उकटा रोग' से किसकी फ़सल को नुकसान पहुँचता है? | {'उकटा रोग' से किसकी फ़सल को नुकसान पहुँचता है? | ||
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+[[अरहर]] | +[[अरहर]] | ||
-[[ज्वार]] | -[[ज्वार]] | ||
||[[चित्र:Pigeon-Pea-3.jpg|right|120px|अरहर]]'अरहर' [[भारत]] में उगायी जाने वाली लगभग सभी [[दाल|दालों]] में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। इसका उत्पादन देश के सभी भागों में होता है, किन्तु इसका उपभोग [[गुजरात]], [[उत्तर प्रदेश]], [[मध्य प्रदेश]], [[बिहार]], [[कर्नाटक]], [[आन्ध्र प्रदेश]], [[महाराष्ट्र]] और [[दक्षिण भारत]] में सबसे अधिक होता है। [[अरहर]] में लगने वाले रोगों में 'उकटा रोग' सबसे अधिक दिखाई देता है। यह रोग फ़्यूजेरियम नामक [[कवक]] से फैलता है। रोग के लक्षण साधारणतया फ़सल में [[फूल]] लगने की अवस्था पर दिखाई देते हैं।{{point}}अधिक | ||[[चित्र:Pigeon-Pea-3.jpg|right|120px|अरहर]]'अरहर' [[भारत]] में उगायी जाने वाली लगभग सभी [[दाल|दालों]] में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। इसका उत्पादन देश के सभी भागों में होता है, किन्तु इसका उपभोग [[गुजरात]], [[उत्तर प्रदेश]], [[मध्य प्रदेश]], [[बिहार]], [[कर्नाटक]], [[आन्ध्र प्रदेश]], [[महाराष्ट्र]] और [[दक्षिण भारत]] में सबसे अधिक होता है। [[अरहर]] में लगने वाले रोगों में 'उकटा रोग' सबसे अधिक दिखाई देता है। यह रोग फ़्यूजेरियम नामक [[कवक]] से फैलता है। रोग के लक्षण साधारणतया फ़सल में [[फूल]] लगने की अवस्था पर दिखाई देते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अरहर]] | ||
{निम्न में से किस पशु को 'गरीबों की गाय' कहा जाता है? | {निम्न में से किस पशु को 'गरीबों की गाय' कहा जाता है? | ||
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-अलसी | -अलसी | ||
-तोरिया | -तोरिया | ||
||[[चित्र:Colourful-Peanut-Gujarat.jpg|right|120px|रँगीन मूँगफली, गुजरात]][[भारत]] में [[मूँगफली]] को 'ग़रीबों का काजू' के नाम से भी जाना जाता है। सिकी हुई मूँगफली खाना भारत काफ़ी समय से प्रचलित है। इसे हम आमतौर पर 'टाइम पास' के नाम से भी जानते हैं। भारत में इसका उत्पादन [[महाराष्ट्र]], [[कर्नाटक]], [[गुजरात]], [[मध्य प्रदेश]], [[राजस्थान]] और [[तमिलनाडु]] राज्यों में [[काली मिट्टी]] और दक्षिण के [[पठार]] की [[लाल मिट्टी]] वाले क्षेत्रों में होता है। [[गंगा]] की कछारी बालू मिट्टी में भी यह बोयी जाती है।{{point}}अधिक | ||[[चित्र:Colourful-Peanut-Gujarat.jpg|right|120px|रँगीन मूँगफली, गुजरात]][[भारत]] में [[मूँगफली]] को 'ग़रीबों का काजू' के नाम से भी जाना जाता है। सिकी हुई मूँगफली खाना भारत में काफ़ी समय से प्रचलित है। इसे हम आमतौर पर 'टाइम पास' के नाम से भी जानते हैं। भारत में इसका उत्पादन [[महाराष्ट्र]], [[कर्नाटक]], [[गुजरात]], [[मध्य प्रदेश]], [[राजस्थान]] और [[तमिलनाडु]] राज्यों में [[काली मिट्टी]] और दक्षिण के [[पठार]] की [[लाल मिट्टी]] वाले क्षेत्रों में होता है। [[गंगा]] की कछारी बालू मिट्टी में भी यह बोयी जाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मूँगफली]] | ||
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10:03, 11 जून 2012 का अवतरण
भूगोल सामान्य ज्ञान
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