"कर्णसुवर्ण": अवतरणों में अंतर
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'''कर्णसुवर्ण''' प्राचीन काल में [[बंगाल]] का एक महत्त्वपूर्ण भाग था। उस समय यह भाग 'बंग'<ref>[[गंगा]] की मुख्य धारा [[पद्मा नदी|पद्मा]] के दक्षिण का भाग</ref> के पश्चिम में स्थित माना जाता था। कर्णसुवर्ण में वर्तमान में वर्दवान, [[मुर्शिदाबाद]] और वीरभूम के ज़िले सम्मिलित हैं। | '''कर्णसुवर्ण''' प्राचीन काल में [[बंगाल]] का एक महत्त्वपूर्ण भाग था। उस समय यह भाग 'बंग'<ref>[[गंगा]] की मुख्य धारा [[पद्मा नदी|पद्मा]] के दक्षिण का भाग</ref> के पश्चिम में स्थित माना जाता था। कर्णसुवर्ण में वर्तमान में वर्दवान, [[मुर्शिदाबाद]] और वीरभूम के ज़िले सम्मिलित हैं। | ||
*चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] के वर्णन से ज्ञात होता है कि [[ | *चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] के वर्णन से ज्ञात होता है कि [[हर्षवर्धन]] के राजत्वकाल में यह प्रदेश पर्याप्त धनी एवं उन्नतिशील था। | ||
*कर्णसुवर्ण की तत्कालीन राजधानी का अभिधान ठीक-ठीक निश्चित नहीं है। यह लगभग चार मील के घेरे में बसी हुई थी। | *कर्णसुवर्ण की तत्कालीन राजधानी का अभिधान ठीक-ठीक निश्चित नहीं है। यह लगभग चार मील के घेरे में बसी हुई थी। | ||
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*इसके पश्चात [[कामरूप]] के नरेश भास्करवर्मन का आधिपत्य यहाँ स्थापित हो गया, जैसा कि विधानपुर ताम्रपट्ट लेखों से सूचित होता है। *मध्यकाल में [[सेन वंश|सेनवंशीय]] नरेशों ने कर्णसुवर्ण नगर में ही [[बंगाल]] की राजधानी बनाई थी। | *इसके पश्चात [[कामरूप]] के नरेश भास्करवर्मन का आधिपत्य यहाँ स्थापित हो गया, जैसा कि विधानपुर ताम्रपट्ट लेखों से सूचित होता है। *मध्यकाल में [[सेन वंश|सेनवंशीय]] नरेशों ने कर्णसुवर्ण नगर में ही [[बंगाल]] की राजधानी बनाई थी। | ||
*नगर का तद्भव नाम 'कानसोना' था। आधुनिक [[मुर्शिदाबाद]] प्राचीन कर्णसुवर्ण के स्थान पर ही बसा है। | *नगर का तद्भव नाम 'कानसोना' था। आधुनिक [[मुर्शिदाबाद]] प्राचीन कर्णसुवर्ण के स्थान पर ही बसा है। | ||
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कर्णसुवर्ण प्राचीन काल में बंगाल का एक महत्त्वपूर्ण भाग था। उस समय यह भाग 'बंग'[1] के पश्चिम में स्थित माना जाता था। कर्णसुवर्ण में वर्तमान में वर्दवान, मुर्शिदाबाद और वीरभूम के ज़िले सम्मिलित हैं।
- चीनी यात्री युवानच्वांग के वर्णन से ज्ञात होता है कि हर्षवर्धन के राजत्वकाल में यह प्रदेश पर्याप्त धनी एवं उन्नतिशील था।
- कर्णसुवर्ण की तत्कालीन राजधानी का अभिधान ठीक-ठीक निश्चित नहीं है। यह लगभग चार मील के घेरे में बसी हुई थी।
- हर्षवर्धन के ज्येष्ठभ्राता राज्यवर्धन की हत्या करने वाला नरेश शशांक इसी प्रदेश का राजा था (619-637 ई.)।
- इसके पश्चात कामरूप के नरेश भास्करवर्मन का आधिपत्य यहाँ स्थापित हो गया, जैसा कि विधानपुर ताम्रपट्ट लेखों से सूचित होता है। *मध्यकाल में सेनवंशीय नरेशों ने कर्णसुवर्ण नगर में ही बंगाल की राजधानी बनाई थी।
- नगर का तद्भव नाम 'कानसोना' था। आधुनिक मुर्शिदाबाद प्राचीन कर्णसुवर्ण के स्थान पर ही बसा है।