"चील (1) -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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<poem>बहुत दिनों बाद दिखी | <poem>बहुत दिनों बाद दिखी | ||
एक चील | एक चील | ||
गहरे अनन्त आकाश में | गहरे अनन्त आकाश में | ||
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डूबती उतराती काली गेंद | डूबती उतराती काली गेंद | ||
क्या ढूंढ रही है चील | क्या ढूंढ रही है चील | ||
इतनी | इतनी ऊँचाई से आकाश में | ||
पृथ्वी को निशाने में रखकर | पृथ्वी को निशाने में रखकर | ||
जबकि इतने मृत पशु हैं | जबकि इतने मृत पशु हैं | ||
पंक्ति 75: | पंक्ति 74: | ||
जहां ढेर सा जमा हो गया है | जहां ढेर सा जमा हो गया है | ||
चीलों का भोजन | चीलों का भोजन | ||
और चीलें हैं कि कहीं दिख नहीं | और चीलें हैं कि कहीं दिख नहीं रहीं | ||
अब एक अकेली चील | अब एक अकेली चील | ||
जो शायद पृथ्वी की चिन्ता में | जो शायद पृथ्वी की चिन्ता में |
06:14, 29 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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बहुत दिनों बाद दिखी |