"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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||आज तक सर्वसम्मति से यह निश्चित नहीं हो पाया है, कि 'ध्रुपद' का अविष्कार कब और किसने किया। इस सम्बन्ध में विद्वानों के कई मत हैं। [[अकबर]] के समय में इसे [[तानसेन]] और उनके गुरु [[हरिदास|स्वामी हरिदास]], [[बैजू बावरा|नायक बैजू]] और [[गोपाल नायक|गोपाल]] आदि प्रख्यात गायक ही गाते थे। ध्रुपद गंभीर प्रकृति का गीत है। इसे गाने में कण्ठ और [[फेफड़ा|फेफड़े]] पर बल पड़ता है। इसलिए लोग इसे 'मर्दाना गीत' कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ध्रुपद]] | ||आज तक सर्वसम्मति से यह निश्चित नहीं हो पाया है, कि 'ध्रुपद' का अविष्कार कब और किसने किया। इस सम्बन्ध में विद्वानों के कई मत हैं। [[अकबर]] के समय में इसे [[तानसेन]] और उनके गुरु [[हरिदास|स्वामी हरिदास]], [[बैजू बावरा|नायक बैजू]] और [[गोपाल नायक|गोपाल]] आदि प्रख्यात गायक ही गाते थे। ध्रुपद गंभीर प्रकृति का गीत है। इसे गाने में कण्ठ और [[फेफड़ा|फेफड़े]] पर बल पड़ता है। इसलिए लोग इसे 'मर्दाना गीत' कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ध्रुपद]] | ||
{ | {[[भुवनेश्वर]] तथा [[पुरी]] के मन्दिर किस शैली में निर्मित हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | +नागर शैली | ||
- | -द्रविड़ शैली | ||
-मुग़ल शैली | |||
- | -राजपूत शैली | ||
{[[बुद्ध]] के धार्मिक विचारों और वचनों का संग्रह किस [[ग्रंथ]] में है? | {[[बुद्ध]] के धार्मिक विचारों और वचनों का संग्रह किस [[ग्रंथ]] में है? | ||
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-[[अभिधम्मपिटक]] | -[[अभिधम्मपिटक]] | ||
-[[जातक कथा]] | -[[जातक कथा]] | ||
||बुद्ध के धार्मिक विचारों व उपदेशों के संग्रह वाला गद्य-पद्य मिश्रित | ||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|right|100px|बौद्ध धर्म का प्रतीक]]'सुत्त' शब्द का शाब्दिक अर्थ है-'धर्मोपदेश'। [[महात्मा बुद्ध]] ने अपने जीवन में असंख्य कल्याणकारी उपदेश दिये थे। बुद्ध के धार्मिक विचारों व उपदेशों के संग्रह वाला गद्य-पद्य मिश्रित [[सुत्तपिटक]] सम्भवतः [[त्रिपिटक|त्रिपिटकों]] में सर्वाधिक बड़ा एवं श्रेष्ठ है। इस [[ग्रन्थ]] में महात्मा बुद्ध के अनमोल वचनों का सग्रंह है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुत्तपिटक]] | ||
{सरहुल पर्व का | {सरहुल पर्व का सम्बन्ध किस राज्य से है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[राजस्थान]] | -[[राजस्थान]] | ||
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-[[मध्य प्रदेश]] | -[[मध्य प्रदेश]] | ||
-[[पश्चिम बंगाल]] | -[[पश्चिम बंगाल]] | ||
||[[चित्र:Vaidyanath-Temple.jpg | ||[[चित्र:Vaidyanath-Temple.jpg|100px|right|वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर]]झारखण्ड के अधिकांश जनजातीय गाँवों में एक नृत्यस्थली होती है। प्रत्येक गाँव का अपना पवित्र वृक्ष (सरना) होता है, जहाँ गाँव के [[पुरोहित]] द्वारा [[पूजा]] अर्पित की जाती है। साप्ताहिक हाट जनजातीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जनजातीय त्योहार, जैसे- 'सरहुल', 'बसंतोत्सव' (सोहरी) और 'शीतोत्सव' (माघ परब) आदि उल्लास के अवसर हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[झारखण्ड]] | ||
{[[दुमका]] का हिजला मेला किस नदी के किनारे आयोजित होता है? | {[[दुमका]] का 'हिजला मेला' किस नदी के किनारे आयोजित होता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[दामोदर नदी|दामोदर]] | -[[दामोदर नदी|दामोदर]] | ||
- | -[[स्वर्णरेखा नदी]] | ||
-[[बराकर नदी|बराकर]] | -[[बराकर नदी|बराकर]] | ||
+[[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी]] | +[[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी]] | ||
||[[चित्र:Masanjore-Dam.jpg | ||[[चित्र:Masanjore-Dam.jpg|100px|right|मसनजोर बांध, मयूराक्षी नदी]][[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी नदी]] का उद्गम स्थल [[त्रिकुट]] में है, जो [[वैद्यनाथधाम]] से 16 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। मयूराक्षी नदी को 'मोड' नाम से भी जाना जाता है। यह नदी [[दुमका]], [[झारखण्ड]] की एक प्रमुख नदी है। इस नदी के किनारे पर आयोजित होने वाला 'हिजला मेला' अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए दूर-दूर तक जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी]] | ||
{[[माउण्ट आबू]] का [[दिलवाड़ा जैन मंदिर | {[[माउण्ट आबू]] का [[दिलवाड़ा जैन मंदिर|दिलवाड़ा मंदिर]] किसको समर्पित है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[भगवान विष्णु]] | -[[भगवान विष्णु]] | ||
-[[शिव|भगवान शिव]] | -[[शिव|भगवान शिव]] | ||
-[[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] | -[[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] | ||
+[[जैन|जैन तीर्थंकर]] | +[[जैन|जैन तीर्थंकर]] | ||
||[[चित्र:Jainism-Symbol.jpg| | ||[[चित्र:Jainism-Symbol.jpg|80px|right|जैन धर्म का प्रतीक]]'दिलवाड़ा जैन मंदिर' [[राजस्थान]] राज्य के [[सिरोही ज़िला|सिरोही ज़िले]] के [[माउंट आबू]] नगर में स्थित है। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच में हुआ था। यह विशाल एवं दिव्य मंदिर [[जैन धर्म]] के तीर्थंकरों को समर्पित है। दिलवाड़ा जैन मंदिर का प्रवेशद्वार गुंबद वाले मंडप से होकर है, जिसके सामने एक वर्गाकृति भवन है। इसमें छ: स्तंभ और दस [[हाथी|हाथियों]] की प्रतिमाएँ हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दिलवाड़ा जैन मंदिर|दिलवाड़ा मंदिर]] | ||
{राजस्थान की प्रसिद्ध 'ब्लू-पॉटरी' दस्तकारी का उद्भव कहाँ से हुआ? | {राजस्थान की प्रसिद्ध 'ब्लू-पॉटरी' दस्तकारी का उद्भव कहाँ से हुआ? |
07:32, 17 दिसम्बर 2011 का अवतरण
कला और संस्कृति
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