"सदस्य:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास4": अवतरणों में अंतर

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{किस [[सिक्ख]] [[गुरु]] ने [[गुरु नानक]] की जीवनी लिखी थी?
{किस [[सिक्ख]] गुरु ने [[गुरु नानक]] की जीवनी लिखी थी?
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-[[गुरु अंगद देव]] ने
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-[[बटुकेश्वर दत्त]]
-[[बटुकेश्वर दत्त]]
-बरकतुल्ला
-बरकतुल्ला
||[[चित्र:Ram-Prasad-Bismil.jpg|राम प्रसाद बिस्मिल|100px|right]]पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[शाहजहाँपुर]] ज़िले में 11 जून, 1897 को हुआ। यह वह समय था, जब देश में राष्ट्रीय आन्दोलन ज़ोरों पर था। देश में ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक ऐसी लहर उठने लगी थी, जो पूरे [[अंग्रेज़]] शासन को लीलने के लिए बेताब हो चली थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राम प्रसाद बिस्मिल]]  
||[[चित्र:Ram-Prasad-Bismil.jpg|राम प्रसाद बिस्मिल|100px|right]]पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[शाहजहाँपुर]] ज़िले में 11 जून, 1897 को हुआ। यह वह समय था, जब देश में राष्ट्रीय आन्दोलन ज़ोरों पर था। देश में ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक ऐसी लहर उठने लगी थी, जो पूरे [[अंग्रेज़]] शासन को लीलने के लिए बेताब हो चली थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राम प्रसाद बिस्मिल]]


{उपन्यास 'दुर्गेश नन्दनी' के लेखक कौन हैं?
{उपन्यास 'दुर्गेश नन्दनी' के लेखक कौन हैं?
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+[[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]]
+[[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]]
-तारकनाथ गंगोपाध्याय
-तारकनाथ गंगोपाध्याय
||[[चित्र:Bankim-Chandra-Chatterjee.jpg|बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय|100px|right]]'बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय' के दूसरे उपन्यास 'कपाल कुण्डली', 'मृणालिनी', 'विषवृक्ष', 'कृष्णकांत का वसीयत नामा', 'रजनी', 'चन्द्रशेखर' आदि प्रकाशित हुए। राष्ट्रीय दृष्टि से '[[आनंदमठ]]' उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। इसी में सर्वप्रथम '[[वन्दे मातरम्]]' गीत प्रकाशित हुआ था। ऐतिहासिक और सामाजिक तानेबाने से बुने हुए इस उपन्यास ने देश में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करने में बहुत योगदान दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]]  
||[[चित्र:Bankim-Chandra-Chatterjee.jpg|बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय|100px|right]]'बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय' ने [[साहित्य]] के क्षेत्र में कुछ कविताएँ लिखकर प्रवेश किया। उस समय [[बांग्ला भाषा]] में गद्य या उपन्यास कहानी की रचनाएँ कम लिखी जाती थीं। बंकिम ने इस दिशा में पथ-प्रदर्शक का काम किया। 27 वर्ष की उम्र में उन्होंने 'दुर्गेश नंदिनी' नाम का उपन्यास लिखा। इस ऐतिहासिक उपन्यास से ही साहित्य में उनकी धाक जम गई। फिर उन्होंने 'बंग दर्शन' नामक साहित्यिक पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]]  


{चरक किसके राज-चिकित्सक थे?
{[[चरक]] किसके राज-चिकित्सक थे?
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-हर्ष
-[[हर्षवर्धन]]
-[[चन्द्रगुप्त मौर्य]]
-[[चन्द्रगुप्त मौर्य]]
-[[अशोक]]
-[[अशोक]]
+[[कनिष्क]]
+[[कनिष्क]]
||[[चित्र:Kanishka-Coin.jpg|कनिष्क का सिक्का|100px|right]]कनिष्क के संरक्षण में न केवल बौद्ध धर्म की उन्नति हुई, अपितु अनेक प्रसिद्ध विद्वानों ने भी उसके राजदरबार में आश्रय ग्रहण किया। वसुमित्र, पार्श्व और [[अश्वघोष]] के अतिरिक्त प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान [[नागार्जुन बौद्धाचार्य|नागार्जुन]] भी उसका समकालीन था। नागार्जुन [[बौद्ध धर्म]] का प्रसिद्ध दार्शनिक हुआ है, और [[महायान]] सम्प्रदाय का प्रवर्तक उसी को माना जाता है। उसे भी कनिष्क का संरक्षण प्राप्त था। [[आयुर्वेद]] का प्रसिद्ध आचार्य [[चरक]] भी उसके आश्रय में पुष्पपुर में निवास करता था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कनिष्क]]  
||[[चित्र:Kanishka-Coin.jpg|कनिष्क का सिक्का|100px|right]]कनिष्क के संरक्षण में न केवल [[बौद्ध धर्म]] की उन्नति हुई, अपितु अनेक प्रसिद्ध विद्वानों ने भी उसके राजदरबार में आश्रय ग्रहण किया। वसुमित्र, पार्श्व और [[अश्वघोष]] के अतिरिक्त प्रसिद्ध [[बौद्ध]] विद्वान [[नागार्जुन बौद्धाचार्य|नागार्जुन]] भी उसका समकालीन था। नागार्जुन बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध दार्शनिक हुआ है, और [[महायान]] सम्प्रदाय का प्रवर्तक उसी को माना जाता है। उसे भी [[कनिष्क]] का संरक्षण प्राप्त था। [[आयुर्वेद]] का प्रसिद्ध आचार्य [[चरक]] भी उसके आश्रय में पुष्पपुर में निवास करता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कनिष्क]]  


{[[गुप्त साम्राज्य|गुप्त शासकों]] द्वारा जारी किए गए [[चाँदी]] के सिक्के कहलाते थे?
{[[गुप्त]] शासकों द्वारा जारी किए गए [[चाँदी]] के सिक्के क्या कहलाते थे?
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+रुपक  
+रुपक  
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-पण
-पण


{विजय स्तंभ कहाँ स्थित हौ?
{'विजय स्तंभ' कहाँ स्थित है?
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+[[चित्तौड़गढ़]]  
+[[चित्तौड़गढ़]]  
-देहली
-[[दिल्ली]]
-[[झाँसी]]
-[[झाँसी]]
-सीकरी
-[[फ़तेहपुर सीकरी]]
||[[चित्र:Kirti-Stambh-Chittorgarh-1.jpg|कीर्ति स्तम्भ, चित्तौड़गढ़|100px|right]]चित्तौड़गढ़ के सात सात दरवाज़े बहुत प्रसिद्ध हैं। इन दरवाज़ों के नाम हैं—पद्मपोल, भैरवपोल, हनुमानपोल, गणेशपोल, जोठलापोल और रामपोल। भैरवपोल के पास जयमल और कल्लू राठौर के स्मारक हैं। पत्ता का स्मारक भी पास ही है। रामपोल के ही निकट पलालेश्वर है, जहाँ राणा सांगा की कई तोपे रखी हैं। निकटस्थ शांतिनाथ के जैन मन्दिर को बहादुरशाह ने विध्वंस कर दिया था। वीरांगना [[पन्ना धाय]] का महल रानीमहल के निकट ही है। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चित्तौड़गढ़]]
||[[चित्र:Kirti-Stambh-Chittorgarh-1.jpg|कीर्ति स्तम्भ, चित्तौड़गढ़|100px|right]][[चित्तौड़गढ़]] के सात सात दरवाज़े बहुत प्रसिद्ध हैं। इन दरवाज़ों के नाम हैं—पद्मपोल, भैरवपोल, हनुमानपोल, गणेशपोल, जोठलापोल और रामपोल। भैरवपोल के पास जयमल और कल्लू राठौर के स्मारक हैं। रामपोल के ही निकट पलालेश्वर है, जहाँ [[राणा साँगा]] की कई तोपे रखी हैं। निकटस्थ शांतिनाथ के [[जैन धर्म|जैन]] मन्दिर को [[मुग़ल]] शासकों ने विध्वंस कर दिया था। वीरांगना [[पन्ना धाय]] का महल 'रानीमहल' के निकट ही है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चित्तौड़गढ़]]
 
{[[राजस्थान]] के इतिहास का प्रणेता किसे कहा जाता है।
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-जदुनाथ सरकार
-[[कनिंघम]]
+[[कर्नल टॉड]]
-विलियम जोंस
||कर्नल जेम्स टॉड का जन्म इंग्लैड के 'इंस्लिग्टन' नामक स्थान में [[20 मार्च]], सन 1782 में हुआ था। इनके पिता और माता दोनों [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] की सिविल सर्विस में थे। इसलिए इन्हें सरलता से सेना के उच्च उम्मेदवारों में स्थान मिल गया। [[कोलकाता|कलकता]] पहुँचने पर दूसरे नंबर की यूरोपियन रेजिमेंट में इनकी नियुक्ति हुई। कुछ महीने बाद 14 नबंर की सेना में इन्हें 'लेफ्टिनेंट' का पद मिला। सन 1807 में 15 नंबर की देशी सेना में इनका तबादला हुआ।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्नल टॉड]]


{[[कश्मीर]] पर लगभग 50 वर्ष तक शासन करने वाली रानी दिद्दा किस वंश की थी?
{[[कश्मीर]] पर लगभग 50 वर्ष तक शासन करने वाली 'रानी दिद्दा' किस वंश की थीं?
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-[[कर्कोटक वंश]]
-[[कर्कोटक वंश]]
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+[[लोहार वंश]]
+[[लोहार वंश]]
-इनमें से कोई नहीं  
-इनमें से कोई नहीं  
||लोहार वंश का संस्थापक संग्रामराज था। संग्रामराज की बाद अनन्त पर इस वंश का शासक हुआ। उसने अपने शासन काल में सामन्तों के विद्रोह को कुचला। उसके प्रशासन में उसकी पत्नी रानी सूर्यमती सहयोग करती थी। अनन्त का पुत्र कलश एक कमज़ोर शासक था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लोहार वंश]]
||लोहार वंश का संस्थापक 'संग्रामराज' था। संग्रामराज के बाद 'अनन्त' इस वंश का शासक हुआ। उसने अपने शासन काल में सामन्तों के विद्रोह को कुचला। उसके प्रशासन में उसकी पत्नी रानी 'सूर्यमती' सहयोग करती थी। अनन्त का पुत्र 'कलश' एक कमज़ोर शासक था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लोहार वंश]]
 
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10:16, 23 जुलाई 2011 का अवतरण

इतिहास

1 'महमूद बेगड़ा' किस राज्य का प्रसिद्ध सुल्तान था?

मालवा
गुजरात
ख़ानदेश
जौनपुर

2 प्रसिद्ध 'विरुपाक्ष मंदिर' कहाँ अवस्थित है?

भद्राचलम
चिदम्बरम
हम्पी
श्रीकालहस्ति

3 अकबर द्वारा बनवाई गई कौन-सी इमारत का नक्शा बौद्ध विहार की तरह है?

पंचमहल
दीवान ए ख़ास
जोधाबाई का महल
बुलंद दरवाजा

4 'गुलबदन बेगम' निम्न में से किसकी पुत्री थीं?

बाबर
हुमायूँ
शाहजहाँ
औरंगज़ेब

5 'गोविन्द महल', जो हिन्दू वास्तुकला का अप्रतिम उदाहरण है, कहाँ स्थित है?

दतिया
खजुराहो
ओरछा
ग्वालियर

6 किस सिक्ख गुरु ने गुरु नानक की जीवनी लिखी थी?

गुरु अंगद देव ने
गुरु रामदास ने
गुरु अमरदास ने
गुरु अर्जुनदेव ने

7 दक्षिण अफ़्रीका में महात्मा गाँधी द्वारा प्रकाशित पत्रिका का नाम क्या था?

नवजीवन
इंडियन ओपिनियन
हरिजन
अफ़्रीकन न्यूज

8 कवि मोहम्मद इक़बाल, जिन्होंने 'सारे जहाँ से अच्छा' लिखा, भारत के किस स्थान से संबंधित हैं?

दिल्ली
उत्तर प्रदेश
पंजाब
कश्मीर

9 वर्ष 1919 ई. में जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड कहाँ पर हुआ?

अमृतसर
नागपुर
चंडीगढ़
कलकत्ता

11 उपन्यास 'दुर्गेश नन्दनी' के लेखक कौन हैं?

रवीन्द्र नाथ टैगोर
स्वर्ण कुमारी
बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय
तारकनाथ गंगोपाध्याय

13 गुप्त शासकों द्वारा जारी किए गए चाँदी के सिक्के क्या कहलाते थे?

रुपक
कार्षापण
दीनार
पण

14 'विजय स्तंभ' कहाँ स्थित है?

चित्तौड़गढ़
दिल्ली
झाँसी
फ़तेहपुर सीकरी

15 कश्मीर पर लगभग 50 वर्ष तक शासन करने वाली 'रानी दिद्दा' किस वंश की थीं?

कर्कोटक वंश
उत्पल वंश
लोहार वंश
इनमें से कोई नहीं