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-[[ग्वालियर]] | -[[ग्वालियर]] | ||
{किस [[सिक्ख]] | {किस [[सिक्ख]] गुरु ने [[गुरु नानक]] की जीवनी लिखी थी? | ||
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-[[गुरु अंगद देव]] ने | -[[गुरु अंगद देव]] ने | ||
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-[[बटुकेश्वर दत्त]] | -[[बटुकेश्वर दत्त]] | ||
-बरकतुल्ला | -बरकतुल्ला | ||
||[[चित्र:Ram-Prasad-Bismil.jpg|राम प्रसाद बिस्मिल|100px|right]]पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[शाहजहाँपुर]] ज़िले में 11 जून, 1897 को हुआ। यह वह समय था, जब देश में राष्ट्रीय आन्दोलन ज़ोरों पर था। देश में ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक ऐसी लहर उठने लगी थी, जो पूरे [[अंग्रेज़]] शासन को लीलने के लिए बेताब हो चली थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राम प्रसाद बिस्मिल]] | ||[[चित्र:Ram-Prasad-Bismil.jpg|राम प्रसाद बिस्मिल|100px|right]]पंडित रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[शाहजहाँपुर]] ज़िले में 11 जून, 1897 को हुआ। यह वह समय था, जब देश में राष्ट्रीय आन्दोलन ज़ोरों पर था। देश में ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ एक ऐसी लहर उठने लगी थी, जो पूरे [[अंग्रेज़]] शासन को लीलने के लिए बेताब हो चली थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राम प्रसाद बिस्मिल]] | ||
{उपन्यास 'दुर्गेश नन्दनी' के लेखक कौन हैं? | {उपन्यास 'दुर्गेश नन्दनी' के लेखक कौन हैं? | ||
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+[[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]] | +[[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]] | ||
-तारकनाथ गंगोपाध्याय | -तारकनाथ गंगोपाध्याय | ||
||[[चित्र:Bankim-Chandra-Chatterjee.jpg|बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय|100px|right]]'बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय' | ||[[चित्र:Bankim-Chandra-Chatterjee.jpg|बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय|100px|right]]'बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय' ने [[साहित्य]] के क्षेत्र में कुछ कविताएँ लिखकर प्रवेश किया। उस समय [[बांग्ला भाषा]] में गद्य या उपन्यास कहानी की रचनाएँ कम लिखी जाती थीं। बंकिम ने इस दिशा में पथ-प्रदर्शक का काम किया। 27 वर्ष की उम्र में उन्होंने 'दुर्गेश नंदिनी' नाम का उपन्यास लिखा। इस ऐतिहासिक उपन्यास से ही साहित्य में उनकी धाक जम गई। फिर उन्होंने 'बंग दर्शन' नामक साहित्यिक पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]] | ||
{चरक किसके राज-चिकित्सक थे? | {[[चरक]] किसके राज-चिकित्सक थे? | ||
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- | -[[हर्षवर्धन]] | ||
-[[चन्द्रगुप्त मौर्य]] | -[[चन्द्रगुप्त मौर्य]] | ||
-[[अशोक]] | -[[अशोक]] | ||
+[[कनिष्क]] | +[[कनिष्क]] | ||
||[[चित्र:Kanishka-Coin.jpg|कनिष्क का सिक्का|100px|right]]कनिष्क के संरक्षण में न केवल बौद्ध धर्म की उन्नति हुई, अपितु अनेक प्रसिद्ध विद्वानों ने भी उसके राजदरबार में आश्रय ग्रहण किया। वसुमित्र, पार्श्व और [[अश्वघोष]] के अतिरिक्त प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान [[नागार्जुन बौद्धाचार्य|नागार्जुन]] भी उसका समकालीन था। नागार्जुन | ||[[चित्र:Kanishka-Coin.jpg|कनिष्क का सिक्का|100px|right]]कनिष्क के संरक्षण में न केवल [[बौद्ध धर्म]] की उन्नति हुई, अपितु अनेक प्रसिद्ध विद्वानों ने भी उसके राजदरबार में आश्रय ग्रहण किया। वसुमित्र, पार्श्व और [[अश्वघोष]] के अतिरिक्त प्रसिद्ध [[बौद्ध]] विद्वान [[नागार्जुन बौद्धाचार्य|नागार्जुन]] भी उसका समकालीन था। नागार्जुन बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध दार्शनिक हुआ है, और [[महायान]] सम्प्रदाय का प्रवर्तक उसी को माना जाता है। उसे भी [[कनिष्क]] का संरक्षण प्राप्त था। [[आयुर्वेद]] का प्रसिद्ध आचार्य [[चरक]] भी उसके आश्रय में पुष्पपुर में निवास करता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कनिष्क]] | ||
{[[गुप्त | {[[गुप्त]] शासकों द्वारा जारी किए गए [[चाँदी]] के सिक्के क्या कहलाते थे? | ||
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+रुपक | +रुपक | ||
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-पण | -पण | ||
{विजय स्तंभ कहाँ स्थित | {'विजय स्तंभ' कहाँ स्थित है? | ||
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+[[चित्तौड़गढ़]] | +[[चित्तौड़गढ़]] | ||
- | -[[दिल्ली]] | ||
-[[झाँसी]] | -[[झाँसी]] | ||
-सीकरी | -[[फ़तेहपुर सीकरी]] | ||
||[[चित्र:Kirti-Stambh-Chittorgarh-1.jpg|कीर्ति स्तम्भ, चित्तौड़गढ़|100px|right]]चित्तौड़गढ़ के सात सात दरवाज़े बहुत प्रसिद्ध हैं। इन दरवाज़ों के नाम हैं—पद्मपोल, भैरवपोल, हनुमानपोल, गणेशपोल, जोठलापोल और रामपोल। भैरवपोल के पास जयमल और कल्लू राठौर के स्मारक हैं। | ||[[चित्र:Kirti-Stambh-Chittorgarh-1.jpg|कीर्ति स्तम्भ, चित्तौड़गढ़|100px|right]][[चित्तौड़गढ़]] के सात सात दरवाज़े बहुत प्रसिद्ध हैं। इन दरवाज़ों के नाम हैं—पद्मपोल, भैरवपोल, हनुमानपोल, गणेशपोल, जोठलापोल और रामपोल। भैरवपोल के पास जयमल और कल्लू राठौर के स्मारक हैं। रामपोल के ही निकट पलालेश्वर है, जहाँ [[राणा साँगा]] की कई तोपे रखी हैं। निकटस्थ शांतिनाथ के [[जैन धर्म|जैन]] मन्दिर को [[मुग़ल]] शासकों ने विध्वंस कर दिया था। वीरांगना [[पन्ना धाय]] का महल 'रानीमहल' के निकट ही है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चित्तौड़गढ़]] | ||
{[[कश्मीर]] पर लगभग 50 वर्ष तक शासन करने वाली रानी दिद्दा किस वंश की | {[[कश्मीर]] पर लगभग 50 वर्ष तक शासन करने वाली 'रानी दिद्दा' किस वंश की थीं? | ||
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-[[कर्कोटक वंश]] | -[[कर्कोटक वंश]] | ||
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+[[लोहार वंश]] | +[[लोहार वंश]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||लोहार वंश का संस्थापक संग्रामराज था। संग्रामराज | ||लोहार वंश का संस्थापक 'संग्रामराज' था। संग्रामराज के बाद 'अनन्त' इस वंश का शासक हुआ। उसने अपने शासन काल में सामन्तों के विद्रोह को कुचला। उसके प्रशासन में उसकी पत्नी रानी 'सूर्यमती' सहयोग करती थी। अनन्त का पुत्र 'कलश' एक कमज़ोर शासक था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लोहार वंश]] | ||
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10:16, 23 जुलाई 2011 का अवतरण
इतिहास
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