"प्रयोग:गोविन्द 5": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]]'''</div> | <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]]'''</div> | ||
<div id="rollnone"> [[चित्र:Rabindranath-Tagore.jpg|right|100px|रबीन्द्रनाथ ठाकुर|link=रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] </div> | <div id="rollnone"> [[चित्र:Rabindranath-Tagore.jpg|right|100px|रबीन्द्रनाथ ठाकुर|link=रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] </div> | ||
*रबीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म [[7 मई]], [[1861]] कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) में '''देवेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी''' के पुत्र के रूप में एक संपन्न बांग्ला परिवार में हुआ था। | |||
*रबीन्द्रनाथ ठाकुर एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। जिन्हें [[1913]] में साहित्य के लिए [[नोबेल पुरस्कार]] प्रदान किया गया। | *रबीन्द्रनाथ ठाकुर एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। जिन्हें [[1913]] में साहित्य के लिए [[नोबेल पुरस्कार]] प्रदान किया गया। | ||
*'''गल्पगुच्छ की तीन जिल्दों में उनकी सारी चौरासी कहानियाँ''' संगृहीत हैं, जिनमें से केवल दस प्रतिनिधि कहानियाँ चुनना टेढ़ी खीर है। | *'''गल्पगुच्छ की तीन जिल्दों में उनकी सारी चौरासी कहानियाँ''' संगृहीत हैं, जिनमें से केवल दस प्रतिनिधि कहानियाँ चुनना टेढ़ी खीर है। | ||
* | *रबीन्द्रनाथ ठाकुर अपनी कहानियाँ सबुज पत्र (हरे पत्ते) में छपाते थे। आज भी पाठकों को उनकी कहानियों में 'हरे पत्ते' और 'हरे गाछ' मिल सकते हैं। | ||
* | *रबीन्द्रनाथ ठाकुर एकमात्र कवि हैं जिनकी की दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं- [[भारत]] का राष्ट्र-गान [[जन गण मन]] और [[बांग्लादेश]] का राष्ट्रीय गान '''आमार सोनार बांग्ला''' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। | ||
*[[1912]] में श्री टैगोर ने लंबी अवधि भारत से बाहर बिताई, इसमें वह [[यूरोप]], [[अमेरिका]] और पूर्वी एशिया के देशों में व्याख्यान देते व काव्य पाठ करते रहे और [[भारत]] की स्वतंत्रता के मुखर प्रवक्ता बन गए। '''[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर|.... और पढ़ें]]''' | *[[1912]] में श्री टैगोर ने लंबी अवधि भारत से बाहर बिताई, इसमें वह [[यूरोप]], [[अमेरिका]] और पूर्वी एशिया के देशों में व्याख्यान देते व काव्य पाठ करते रहे और [[भारत]] की स्वतंत्रता के मुखर प्रवक्ता बन गए। '''[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर|.... और पढ़ें]]''' |
10:01, 18 जनवरी 2011 का अवतरण
- रबीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई, 1861 कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में देवेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के पुत्र के रूप में एक संपन्न बांग्ला परिवार में हुआ था।
- रबीन्द्रनाथ ठाकुर एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। जिन्हें 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
- गल्पगुच्छ की तीन जिल्दों में उनकी सारी चौरासी कहानियाँ संगृहीत हैं, जिनमें से केवल दस प्रतिनिधि कहानियाँ चुनना टेढ़ी खीर है।
- रबीन्द्रनाथ ठाकुर अपनी कहानियाँ सबुज पत्र (हरे पत्ते) में छपाते थे। आज भी पाठकों को उनकी कहानियों में 'हरे पत्ते' और 'हरे गाछ' मिल सकते हैं।
- रबीन्द्रनाथ ठाकुर एकमात्र कवि हैं जिनकी की दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं- भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।
- 1912 में श्री टैगोर ने लंबी अवधि भारत से बाहर बिताई, इसमें वह यूरोप, अमेरिका और पूर्वी एशिया के देशों में व्याख्यान देते व काव्य पाठ करते रहे और भारत की स्वतंत्रता के मुखर प्रवक्ता बन गए। .... और पढ़ें