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- [[यजुर्वेद]] से | - [[यजुर्वेद]] से | ||
- [[अथर्ववेद]] से | - [[अथर्ववेद]] से | ||
|| | || सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक। [[चित्र:Rigveda.jpg|thumb|150px|ॠग्वेद का आवरण पृष्ठ]] ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है। ॠग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं और कुल 10,580 ॠचाएँ हैं। ये स्तुति मन्त्र हैं। ॠग्वेद के दस मण्डलों में कुछ मण्डल छोटे हैं और कुछ मण्डल बड़े हैं। ऋग्वेद के समस्य सूक्तों के ऋचाओं (मंत्रों) की संख्या 10600 है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ॠग्वेद]] | ||
{किस [[उपनिषद]] को बुद्ध से भी प्राचीन माना जाता है? | {किस [[उपनिषद]] को बुद्ध से भी प्राचीन माना जाता है? |
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