"प्रयोग:दीपिका3": अवतरणों में अंतर
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{एक | {द्विसदनवाद निम्नलिखित शासन प्रणालियों में से किस एक ही एक अनिवार्य विशिष्टता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-94,प्रश्न-7 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -अध्यात्मक व्यवस्था | ||
- | -संसदात्मक व्यवस्था | ||
+ | +संघात्मक व्यवस्था | ||
- | -एकात्मक व्यवस्था | ||
|| | ||द्विसदनवाद संघात्मक शासन प्रणाली की अनिवार्य विशिष्टता है। | ||
{दबाव समूह की प्रमुख विशेषता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-107,प्रश्न-22 | {दबाव समूह की प्रमुख विशेषता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-107,प्रश्न-22 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अनिश्चित कार्यकाल | -अनिश्चित कार्यकाल | ||
+प्रशासन में | +प्रशासन में परोक्ष भूमिका | ||
-सर्वव्यापक प्रकृति | -सर्वव्यापक प्रकृति | ||
-संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग | -संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग | ||
||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोक्ष भूमिका निभाता है। | ||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोक्ष भूमिका निभाता है। | ||
{ | {'अहस्तक्षेप की नीति' किसकी विशेषता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-38, प्रश्न-15 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-श्रेणी समाजवाद | |||
- | -समाजवाद | ||
- | -अकारात्मक उदारवाद | ||
+नकारात्मक उदारवाद | |||
|| | ||'अहस्तक्षेप की नीति', नकारात्मक उदारवाद की विशेषता है। यह व्यक्ति की स्वतंत्रता में राज्य के किसी भी तरह के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता है। नकारात्मक उदारवाद 16वीं से 18 वीं सदी के बीच विकसित अवधारणा है जिसके प्रमुख प्रतिपादक विचारक जॉन लॉक, एडम स्मिथ एवं रिकार्डो हैं। इसके अनुसार, राज्य एक आवश्यक बुराई है तथा आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में राज्य की न्यूनतम भूमिका होनी चाहिए, यह व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकारों में विश्वास रखता है जिसमें संपत्ति का अधिकार सबसे महत्त्वपूर्ण है। | ||
{ | {'जनवादी लोकतंत्र' की अवधारणा संबंधित हैं: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-25 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +लोकतंत्र की मार्क्सवादी अवधारणा से | ||
- | -लोकतंत्र कि विशिष्ट वर्गीय सिद्धांत से | ||
- | -लोकतंत्र के बहुलवादी सिद्धांत से | ||
-उपर्युक्त में | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
|| | ||जनवादी लोकतंत्र (People's Democracy) की अवधारणा का संबंध लोकतंत्र की मार्क्सवादी धारणा से है। जनवादी लोकतंत्र की अवधारणा को विकसित करने का श्रेय [[चीन]] के साम्यवादी नेता 'माओत्से तुंग' को जाता है जिन्होंने मार्क्सवाद को एशिया की परिस्थितियों के अनुरूप ढाला जनवादी लोकतंत्र में सरकार के अंग के रूप में कुछ बुर्जुआ, पेटी बुर्जुआ, किसान और सर्वहारा वर्ग रहते हैं। | ||
{ | {लोकप्रिय संप्रभुता किसमें निहित होती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-26,प्रश्न-24 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[राष्ट्रपति]] | |||
- | -[[प्रधानमंत्री]] | ||
+जनता | |||
- | -संसद | ||
|| | ||लोकप्रिय संप्रभुता जनता में निहित है। लोकप्रिय प्रभुसत्ता का विचार नैतिक आधार पर जनता को प्रभुसत्ता का उपयुक्त पात्र मानता है। | ||
{ | {किसने कहा कि "राष्ट्र दैविक आदर्श की अभिव्यक्ति एवं उसका रहस्योद्घाटन" है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-47 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -विपिन चन्द्र पाल | ||
- | +अरविंद | ||
-[[महात्मा गांधी]] | |||
- | -[[भीमराव अम्बेडकर|बी.आर. अम्बेडकर]] | ||
|| | ||[[अरविंद घोष]] ने राष्ट्र का महिमा मंडन करते हुए कहा है कि 'राष्ट्र दैविक आदर्श की अभिव्यक्ति एवं उसका रहस्योद्घाटन' है। | ||
{ | {यह कथन कि "स्वतंत्रता और समानता साथ-साथ नहीं रह सकते" किससे संबंधित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-85,प्रश्न-14 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+लॉर्ड एक्टन | -डायसी | ||
+लॉर्ड एक्टन | |||
- | -बर्लिन | ||
- | -डांरकिन | ||
||लॉर्ड एक्टन | ||लॉर्ड एक्टन स्वतंत्रता एवं समानता को परस्पर विरोधी मानते हैं। इनके अनुसार, स्वतंत्रता प्रकृति प्रदत्त है जबकि समानता प्रकृति की देन नहीं है यह कृत्रिम है। लॉर्ड एक्टन ने कहा है कि "स्वतंत्रता एवं समानता साथ-साथ नहीं रह सकते"। | ||
{ | {निम्नलिखित सरकारों की व्यवस्थाओं में दोहरा शासन किसका आवश्यक लक्षण है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-95,प्रश्न-8 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -अध्यक्षीय | ||
- | -संसदीय व्यवस्था | ||
+ | +संघीय व्यवस्था | ||
-एकात्मक व्यवस्था | -एकात्मक व्यवस्था | ||
|| | ||केंद्रीय और प्रान्तीय सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन संघात्मक संविधान का एक परमावश्यक तत्व है। संघीय व्यवस्था केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार के रूप में दोसरी शासन पद्धति की व्यवस्था करती है। संविधान के वे उपबंध जो संघीय व्यवस्था से संबंध रखते हैं, उनमें राज्य सरकारों की सहमति के बिना परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। | ||
{दबाव समूह की प्रमुख विशेषता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-107,प्रश्न-22 | {दबाव समूह की प्रमुख विशेषता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-107,प्रश्न-22 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अनिश्चित कार्यकाल | -अनिश्चित कार्यकाल | ||
+प्रशासन में | +प्रशासन में अरोक्ष भूमिका | ||
-सर्वव्यापक प्रकृति | -सर्वव्यापक प्रकृति | ||
-संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग | -संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग | ||
||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोक्ष भूमिका निभाता है। | ||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोक्ष भूमिका निभाता है। | ||
{1968 का मिन्नोब्रुक सम्मेलन संबंधित है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-13 | |||
|type="()"} | |||
-लोक प्रशासन से | |||
+नवीन लोक प्रशासन से | |||
-निजी प्रशासन से | |||
-संगठन से | |||
||वर्ष 1968 के मिन्नोब्रुक सम्मेलन के शासन लोक प्रशासन के क्षेत्र में भी नवीन विचारों का सूत्रपाल हुआ है और इन विचारों को 'नवीन लोक प्रशासन' की संज्ञा दी गयी है। वर्ष 1971 में फ्रेक मेरीनी द्वारा संपादित एक पुस्तक 'नवीन लोक प्रशासन की दिशाएं-मिन्नोब्रुक परिप्रेक्ष्य' के प्रकाशन के साथ ही 'नवीन लोक प्रशासन' को मान्यता प्राप्त हुई है। | |||
{इनमें से किस घटना को तनाव शैथिल्य से जोड़ना अनुचित होगा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-22 | |||
|type="()"} | |||
+नाटो (NATO) का गठन | |||
-निक्सन की चीन यात्रा | |||
-साल्ट (SALT) की संधियां | |||
-[[अमेरिका]] की वियतनाम से वापसी | |||
||नाटो (नार्थ एटलांटिक ट्रिटी आर्गेनाइजेशन) एक सैन्य गठबंधन है जिसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को हुई थी। इस संगठन ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था अपनायी है जिसके अनुसार इस संगठन के किसी सदस्य देश के ऊपर किसी अन्य देश द्वारा हमले की स्थिति में संगठन के सदस्य देश उसकी आक्रमणकारी देश से रक्षा करते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य तीनों घटनाएं तनाव शैथिल्य से संबंधित हैं। | |||
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11:47, 30 जनवरी 2018 का अवतरण
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