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{एक संसदीय सरकार में राज्य के प्रधान को है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-94,प्रश्न-4
{द्विसदनवाद निम्नलिखित शासन प्रणालियों में से किस एक ही एक अनिवार्य विशिष्टता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-94,प्रश्न-7
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-पूर्व शक्ति
-अध्यात्मक व्यवस्था
-सीमित शक्ति
-संसदात्मक व्यवस्था
+नाममात्र की शक्ति
+संघात्मक व्यवस्था
-कोई शक्ति नहीं
-एकात्मक व्यवस्था
||संसदीय सरकार में [[राष्ट्रपति]] सांविधानिक अध्यक्ष होता है, लेकिन वास्तविक शक्ति मंत्रिपरिषद में निहित होती है, जिसका प्रधान [[प्रधानमंत्री]] होता है। मंत्रिपरिषद लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि संसदीय शासन प्रणाली में वास्तविक कार्यपालिका शक्ति शासनाध्यक्ष के पास होती है जबकि नाममात्र की कार्यपालिका शक्ति राज्याध्यक्ष के पास होती है। राज्याध्यक्ष देश का संवैधानिक प्रशासन होता है।
||द्विसदनवाद संघात्मक शासन प्रणाली की अनिवार्य विशिष्टता है।


{दबाव समूह की प्रमुख विशेषता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-107,प्रश्न-22
{दबाव समूह की प्रमुख विशेषता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-107,प्रश्न-22
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-अनिश्चित कार्यकाल
-अनिश्चित कार्यकाल
+प्रशासन में अरोक्ष भूमिका
+प्रशासन में परोक्ष भूमिका
-सर्वव्यापक प्रकृति
-सर्वव्यापक प्रकृति
-संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग
-संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग
||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोक्ष भूमिका निभाता है।
||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोक्ष भूमिका निभाता है।


{नवीन लोक प्रशासन के उदय एवं विकास में कौन-सी घटना सहायक है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-130,प्रश्न-12
{'अहस्तक्षेप की नीति' किसकी विशेषता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-38, प्रश्न-15
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-सार्वजनिक सेवाओं संबंधी उच्च शिक्षा पर हनी प्रतिवेदन, 1967
-मिन्नोब्रुक सम्मेलन, 1968
-ड्वाइट वाल्ड द्वारा संपादित पुस्तक 'पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इन ए टाइम ऑफ़ टर्बुलेंस', 1971
+उपर्युक्त सभी
||नवीन लोक प्रशासन के उदय एवं विकास में सार्वजनिक सेवाओं संबंधी उच्च शिक्षा पर हनी प्रतिवेदन, 1967 मिन्नोब्रुक सम्मेलन, 1968 तथा ड्वाइड वाल्डो द्वारा संपादित पुस्तक 'पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इन ए टाइम ऑफ़ टर्बुलेंस, 1971 विशेष रूप से सहायक हैं।
 
{नाटो (एन.ए. टी.ओ.) का मुख्यालय स्थित है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-21
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+ब्रुसेल्स में
-न्यूयॉर्क में
-[[लंदन]] में
-उपर्युक्त में से कोई भी नहीं
 
||नाटो (NATO- North Atlantic Treaty Organization) एक सैन्य संगठन है, जिसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को उत्तर अटलांटिक संघि पर हस्ताक्षर के साथ हुई। नाटो का मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है। इस संगठन के अंतर्गत सामूहिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से सदस्य राज्य बाहरी हमले की स्थिति में सहयोग के लिए सहमत होंगे। वर्तमान में 28 राज्य इसके सदस्य सदस्य हैं।
 
{नौकरशाह की नियुक्ति का आधार है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-135,प्रश्न-42
|type="()"}
-अस्थायी आधार
+स्थायी आधार
-विशेष कार्य की समाप्ति तक (तदर्थ आधार)
-दिन के दिन वेतन पर (दैनिक वेतन)
||नौकरशाह की नियुक्ति का आधार 'स्थायी आधार' है। किसी बड़ी संस्था या सरकार के परिचालन के लिए निर्धारित की गई संरचनाओं एवं नियमों को समग्र रूप से 'नौकरशाही' या 'अफसरशाही' या 'ब्यूरो क्रेसी' कहते हैं। शक्ति का विभाजन (औपचारिक रूप से) एवं पदानुक्रम इसके मुख्य लक्षण हैं।
 
{निम्न में कौन यह जानता है कि आधुनिक उदारवादी प्रजातांत्रिक राज्य एक औद्योगिक राज्य बन गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-38, प्रश्न-14
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|type="()"}
+गैल्ब्रेथ
-श्रेणी समाजवाद
-मैकफ़र्सन
-समाजवाद
-कींस
-अकारात्मक उदारवाद
-रूजवेल्ट
+नकारात्मक उदारवाद
||समकालीन अमेरिकी अर्थशास्त्रवेत्ता जॉन कैनेथ गैल्ब्रेथ ने अपनी पुस्तक 'द न्यू इंडस्ट्रियल स्टेट' (नया औद्योगिक राज्य) (1971) के अंतर्गत यह  तर्क दिया कि आधुनिक उदारवादी प्रजातांत्रिक राज्य एक औद्योगिक राज्य बन गया है। गैल्ब्रेथ ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'द एफ्लुएंट सोसायटी' के अंतर्गत निजी सुसंपन्नता (Private Affluence) और सार्वजनिक दरिद्रता के सह अस्तित्व की बात की है।
||'अहस्तक्षेप की नीति', नकारात्मक उदारवाद की विशेषता है। यह व्यक्ति की स्वतंत्रता में राज्य के किसी भी तरह के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता है। नकारात्मक उदारवाद 16वीं से 18 वीं सदी के बीच विकसित अवधारणा है जिसके प्रमुख प्रतिपादक विचारक जॉन लॉक, एडम स्मिथ एवं रिकार्डो हैं। इसके अनुसार, राज्य एक आवश्यक बुराई है तथा आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में राज्य की न्यूनतम भूमिका होनी चाहिए, यह व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकारों में विश्वास रखता है जिसमें संपत्ति का अधिकार सबसे महत्त्वपूर्ण है।


{मार्क्स ने निम्न में से किस सिद्धांत का प्रतिपादन किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-24
{'जनवादी लोकतंत्र' की अवधारणा संबंधित हैं: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-25
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|type="()"}
+अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
+लोकतंत्र की मार्क्सवादी अवधारणा से
-आदर्शवादी मूल्य का सिद्धान्त
-लोकतंत्र कि विशिष्ट वर्गीय सिद्धांत से
-समाजवादी मूल्य का सिद्धांत
-लोकतंत्र के बहुलवादी सिद्धांत से
-उपर्युक्त में किसी का भी नहीं
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
||अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत का प्रतिपादन राजनीतिक क्षेत्र में कार्ल मार्क्स द्वारा किया गया। 'अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत' (Theory of Surplus Value) मूलत: रिकार्डो के 'मूल्य का श्रम सिद्धांत' (Labour Theory of value) से प्रभावित है। मार्क्स का अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत रिकार्डो के सिद्धांत का ही व्यापक रूप है। इसलिए रिकार्डो को अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत का जनक माना जाता है। मार्क्स के अनुसार, "अतिरिक्त मूल्य उन दो मूल्यों का अंतर है जिसे एक मजदूर पैदा करता है और जो वह वास्तव में पाता है।"
||जनवादी लोकतंत्र (People's Democracy) की अवधारणा का संबंध लोकतंत्र की मार्क्सवादी धारणा से है। जनवादी लोकतंत्र की अवधारणा को विकसित करने का श्रेय [[चीन]] के साम्यवादी नेता 'माओत्से तुंग' को  जाता है जिन्होंने मार्क्सवाद को एशिया की परिस्थितियों के अनुरूप ढाला जनवादी लोकतंत्र में सरकार के अंग के रूप में कुछ बुर्जुआ, पेटी बुर्जुआ, किसान और सर्वहारा वर्ग रहते हैं।


{परंपरागत संप्रभुता के विचार का बहुलवादी विरोध करते हैं क्योंकि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-26,प्रश्न-23
{लोकप्रिय संप्रभुता किसमें निहित होती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-26,प्रश्न-24
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+दूसरे संगठन उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं जितना कि राज्य
-[[राष्ट्रपति]]
-वह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में आड़े आता है
-[[प्रधानमंत्री]]
-वह जनतंत्र विरोधी है
+जनता
-राज्य जन-सेवा का निगम है
-संसद
||परंपरागत संप्रभुता के विचार का बहुलवादी विरोध करते हैं क्योंकि उनके अनुसार समाज के अन्य संगठन एवं संस्थाएं उतनी ही महत्त्वपूर्ण हैं। जितना कि राज्य वे यह नहीं मानते कि मनुष्यों की सामाजिक प्रकृति एक ही संगठन में पूरी तरह व्यक्त हो सकती है जिसे 'राज्य' कहते हैं।
||लोकप्रिय संप्रभुता जनता में निहित है। लोकप्रिय प्रभुसत्ता का विचार नैतिक आधार पर जनता को प्रभुसत्ता का उपयुक्त पात्र मानता है।


{निम्नलिखित में से कौन द्विदल पद्धति का एक लाभ नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-46
{किसने कहा कि "राष्ट्र दैविक आदर्श की अभिव्यक्ति एवं उसका रहस्योद्घाटन" है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-47
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-स्थायित्व
-विपिन चन्द्र पाल
-पूर्वानुमेय
+अरविंद
+निर्वाचक की पसंद का सरलीकरण
-[[महात्मा गांधी]]
-समाज का मत ठीक ढंग से प्रतिबिंबित होना
-[[भीमराव अम्बेडकर|बी.आर. अम्बेडकर]]
||द्विदल पद्धति का लाभ यह है कि इससे स्थिर सरकार, स्थायी नीतियाँ का निर्माण, शासन का 'स्वस्थ रचनात्मक विरोध, पूर्वानुमेय आदि है। द्विदलीय पद्धति में राजनीतिज्ञों में असंतोष की भावना उत्पन्न नहीं हो पाती। वे जानते हैं कि आज का विरोधी दल कल का शासक दल होगा अत: वे केवल रचनात्मक विरोध करके शासन को सुचारू रूप से नियंत्रित करते हैं।
||[[अरविंद घोष]] ने राष्ट्र का महिमा मंडन करते हुए कहा है कि 'राष्ट्र दैविक आदर्श की अभिव्यक्ति एवं उसका रहस्योद्घाटन' है।


{'स्वतंत्रता और समानता एक-दूसरे की विरोधी है' यह मत था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-85,प्रश्न-13
{यह कथन कि "स्वतंत्रता और समानता साथ-साथ नहीं रह सकते" किससे संबंधित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-85,प्रश्न-14
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+लॉर्ड एक्टन का
-डायसी
-टी.एच. ग्रीन का
+लॉर्ड एक्टन
-एच.जे. लास्की का
-बर्लिन
-अर्नेस्ट बार्कर का
-डांरकिन
||लॉर्ड एक्टन ने स्वतंत्रता और समानता को एक-दूसरे का विरोधी माना है। इसके अतिरिक्त फ्रांसीसी विचारक अलेक्सी द टाकवील स्वतंत्रता समानता को एक-दूसरे का विरोधी मानते हुए लिखते हैं कि "लोकतंत्र का विस्तार समानता को जितना बढ़ावा देता है, स्वतंत्रता के लिए उटना ही बड़ा खतरा पैदा कर देता है।"
||लॉर्ड एक्टन स्वतंत्रता एवं समानता को परस्पर विरोधी मानते हैं। इनके अनुसार, स्वतंत्रता प्रकृति प्रदत्त है जबकि समानता प्रकृति की देन नहीं है यह कृत्रिम है। लॉर्ड एक्टन ने कहा है कि "स्वतंत्रता एवं समानता साथ-साथ नहीं रह सकते"


{द्विसदनवाद निम्नलिखित शासन प्रणालियों में से किस एक ही एक अनिवार्य विशिष्टता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-94,प्रश्न-7
{निम्नलिखित सरकारों की व्यवस्थाओं में दोहरा शासन किसका आवश्यक लक्षण है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-95,प्रश्न-8
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-अध्यात्मक व्यवस्था
-अध्यक्षीय
-संसदात्मक व्यवस्था
-संसदीय व्यवस्था
+संघात्मक व्यवस्था
+संघीय व्यवस्था
-एकात्मक व्यवस्था
-एकात्मक व्यवस्था
||द्विसदनवाद संघात्मक शासन प्रणाली की अनिवार्य विशिष्टता है।
||केंद्रीय और प्रान्तीय सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन संघात्मक संविधान का एक परमावश्यक तत्व है। संघीय व्यवस्था केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार के रूप में दोसरी शासन पद्धति की व्यवस्था करती है। संविधान के वे उपबंध जो संघीय व्यवस्था से संबंध रखते हैं, उनमें राज्य सरकारों की सहमति के बिना परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।


{दबाव समूह की प्रमुख विशेषता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-107,प्रश्न-22
{दबाव समूह की प्रमुख विशेषता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-107,प्रश्न-22
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-अनिश्चित कार्यकाल
-अनिश्चित कार्यकाल
+प्रशासन में परोक्ष भूमिका
+प्रशासन में अरोक्ष भूमिका
-सर्वव्यापक प्रकृति
-सर्वव्यापक प्रकृति
-संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग
-संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग
||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोक्ष भूमिका निभाता है।
||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोक्ष भूमिका निभाता है।
{1968 का मिन्नोब्रुक सम्मेलन संबंधित है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-13
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-लोक प्रशासन से
+नवीन लोक प्रशासन से
-निजी प्रशासन से
-संगठन से
||वर्ष 1968 के मिन्नोब्रुक सम्मेलन के शासन लोक प्रशासन के क्षेत्र में भी नवीन विचारों का सूत्रपाल हुआ है और इन विचारों को 'नवीन लोक प्रशासन' की संज्ञा दी गयी है। वर्ष 1971 में फ्रेक मेरीनी द्वारा संपादित एक पुस्तक 'नवीन लोक प्रशासन की दिशाएं-मिन्नोब्रुक परिप्रेक्ष्य' के प्रकाशन के साथ ही 'नवीन लोक प्रशासन' को मान्यता प्राप्त हुई है।
{इनमें से किस घटना को तनाव शैथिल्य से जोड़ना अनुचित होगा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-22
|type="()"}
+नाटो (NATO) का गठन
-निक्सन की चीन यात्रा
-साल्ट (SALT) की संधियां
-[[अमेरिका]] की वियतनाम से वापसी
||नाटो (नार्थ एटलांटिक ट्रिटी आर्गेनाइजेशन) एक सैन्य गठबंधन है जिसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को हुई थी। इस संगठन ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था अपनायी है जिसके अनुसार इस संगठन के किसी सदस्य देश के ऊपर किसी अन्य देश द्वारा हमले की स्थिति में संगठन के सदस्य देश उसकी आक्रमणकारी देश से रक्षा करते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य तीनों घटनाएं तनाव शैथिल्य से संबंधित हैं।


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11:47, 30 जनवरी 2018 का अवतरण

1 द्विसदनवाद निम्नलिखित शासन प्रणालियों में से किस एक ही एक अनिवार्य विशिष्टता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-94,प्रश्न-7

अध्यात्मक व्यवस्था
संसदात्मक व्यवस्था
संघात्मक व्यवस्था
एकात्मक व्यवस्था

2 दबाव समूह की प्रमुख विशेषता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-107,प्रश्न-22

अनिश्चित कार्यकाल
प्रशासन में परोक्ष भूमिका
सर्वव्यापक प्रकृति
संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग

3 'अहस्तक्षेप की नीति' किसकी विशेषता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-38, प्रश्न-15

श्रेणी समाजवाद
समाजवाद
अकारात्मक उदारवाद
नकारात्मक उदारवाद

4 'जनवादी लोकतंत्र' की अवधारणा संबंधित हैं: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-25

लोकतंत्र की मार्क्सवादी अवधारणा से
लोकतंत्र कि विशिष्ट वर्गीय सिद्धांत से
लोकतंत्र के बहुलवादी सिद्धांत से
उपर्युक्त में से कोई नहीं

5 लोकप्रिय संप्रभुता किसमें निहित होती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-26,प्रश्न-24

राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री
जनता
संसद

6 किसने कहा कि "राष्ट्र दैविक आदर्श की अभिव्यक्ति एवं उसका रहस्योद्घाटन" है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-47

विपिन चन्द्र पाल
अरविंद
महात्मा गांधी
बी.आर. अम्बेडकर

7 यह कथन कि "स्वतंत्रता और समानता साथ-साथ नहीं रह सकते" किससे संबंधित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-85,प्रश्न-14

डायसी
लॉर्ड एक्टन
बर्लिन
डांरकिन

8 निम्नलिखित सरकारों की व्यवस्थाओं में दोहरा शासन किसका आवश्यक लक्षण है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-95,प्रश्न-8

अध्यक्षीय
संसदीय व्यवस्था
संघीय व्यवस्था
एकात्मक व्यवस्था

9 दबाव समूह की प्रमुख विशेषता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-107,प्रश्न-22

अनिश्चित कार्यकाल
प्रशासन में अरोक्ष भूमिका
सर्वव्यापक प्रकृति
संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग

10 1968 का मिन्नोब्रुक सम्मेलन संबंधित है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-13

लोक प्रशासन से
नवीन लोक प्रशासन से
निजी प्रशासन से
संगठन से

11 इनमें से किस घटना को तनाव शैथिल्य से जोड़ना अनुचित होगा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-22

नाटो (NATO) का गठन
निक्सन की चीन यात्रा
साल्ट (SALT) की संधियां
अमेरिका की वियतनाम से वापसी