"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||'अश्वत्थामा' [[महाभारत]] युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले वीरों में से एक थे। [[भीम]] द्वारा [[दुर्योधन]] की जंघाएँ तोड़ देने के बाद दुर्योधन उसी स्थान पर पड़ा तड़पता रहा। तभी संयोग से [[संजय]] वहाँ पहुँचे, दुर्योधन ने उनके सम्मुख सब वृत्तांत कह सुनाया, फिर संदेशवाहकों से [[अश्वत्थामा]], [[कृपाचार्य]] तथा [[कृतवर्मा]] को बुलवाकर सब कृत्य सुनाया। अश्वत्थामा ने क्रुद्ध होकर [[पांडव|पांडवों]] को मार डालने की शपथ ली तथा वहीं पर दुर्योधन ने उन्हें [[कौरव|कौरवों]] के सेनापति-पद पर नियुक्त कर दिया। उन तीनों के जाने के उपरांत उस रात दुर्योधन वहीं तड़पता रहा। अश्वत्थामा ने रात्रि के समय शिविर में [[द्रौपदी]] के सोते हुए पुत्रों को मार डाला। अत: [[अर्जुन]] ने क्रुद्ध होकर रोती हुई द्रौपदी से कहा कि- "वह अश्वत्थामा का सर काटकर उसे अर्पित करेगा"।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अश्वत्थामा]] | ||'अश्वत्थामा' [[महाभारत]] युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले वीरों में से एक थे। [[भीम]] द्वारा [[दुर्योधन]] की जंघाएँ तोड़ देने के बाद दुर्योधन उसी स्थान पर पड़ा तड़पता रहा। तभी संयोग से [[संजय]] वहाँ पहुँचे, दुर्योधन ने उनके सम्मुख सब वृत्तांत कह सुनाया, फिर संदेशवाहकों से [[अश्वत्थामा]], [[कृपाचार्य]] तथा [[कृतवर्मा]] को बुलवाकर सब कृत्य सुनाया। अश्वत्थामा ने क्रुद्ध होकर [[पांडव|पांडवों]] को मार डालने की शपथ ली तथा वहीं पर दुर्योधन ने उन्हें [[कौरव|कौरवों]] के सेनापति-पद पर नियुक्त कर दिया। उन तीनों के जाने के उपरांत उस रात दुर्योधन वहीं तड़पता रहा। अश्वत्थामा ने रात्रि के समय शिविर में [[द्रौपदी]] के सोते हुए पुत्रों को मार डाला। अत: [[अर्जुन]] ने क्रुद्ध होकर रोती हुई द्रौपदी से कहा कि- "वह अश्वत्थामा का सर काटकर उसे अर्पित करेगा"।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अश्वत्थामा]] | ||
{ | {[[दुर्योधन]] के शरीर को वज्र का किसने बनाया था? | ||
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+[[गांधारी]] | +[[गांधारी]] |
11:00, 19 अगस्त 2013 का अवतरण
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