"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Dhritarasthra-Gandhari.jpg|right|100px|धृतराष्ट्र तथा गान्धारी]][[महाभारत]] युद्ध के अंतिम दिन तक सभी [[कौरव]] मारे गये, केवल [[दुर्योधन]] ही अब तक जीवित बचा हुआ था। ऐसे में [[गांधारी]] ने अपनी आँखों की पट्टी खोलकर दुर्योधन के शरीर को वज्र का करना चाहा। गांधारी ने भगवान [[शिव]] से यह वरदान पाया था कि वह जिस किसी को भी अपने नेत्रों की पट्टी खोलकर नग्नावस्था में देखेगी, उसका शरीर वज्र का हो जायेगा। इसीलिए गांधारी ने दुर्योधन से कहा कि वह [[गंगा]] में [[स्नान]] करने के पश्चात उसके सामने नग्न अवस्था में उपस्थित हो। जब दुर्योधन गंगा स्नान के बाद नग्न अवस्था में गांधारी के समक्ष उपस्थित होने के लिए आ रहा था, तभी मार्ग में [[श्रीकृष्ण]] उसे मिल गये और उन्होंने दुर्योधन को बहका दिया, जिस कारण उसने अपनी जाँघों पर पत्ते बाँध लिए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गांधारी]], [[दुर्योधन]] | ||[[चित्र:Dhritarasthra-Gandhari.jpg|right|100px|धृतराष्ट्र तथा गान्धारी]][[महाभारत]] युद्ध के अंतिम दिन तक सभी [[कौरव]] मारे गये, केवल [[दुर्योधन]] ही अब तक जीवित बचा हुआ था। ऐसे में [[गांधारी]] ने अपनी आँखों की पट्टी खोलकर दुर्योधन के शरीर को वज्र का करना चाहा। गांधारी ने भगवान [[शिव]] से यह वरदान पाया था कि वह जिस किसी को भी अपने नेत्रों की पट्टी खोलकर नग्नावस्था में देखेगी, उसका शरीर वज्र का हो जायेगा। इसीलिए गांधारी ने दुर्योधन से कहा कि वह [[गंगा]] में [[स्नान]] करने के पश्चात उसके सामने नग्न अवस्था में उपस्थित हो। जब दुर्योधन गंगा स्नान के बाद नग्न अवस्था में गांधारी के समक्ष उपस्थित होने के लिए आ रहा था, तभी मार्ग में [[श्रीकृष्ण]] उसे मिल गये और उन्होंने दुर्योधन को बहका दिया, जिस कारण उसने अपनी जाँघों पर पत्ते बाँध लिए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गांधारी]], [[दुर्योधन]] | ||
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10:45, 19 अगस्त 2013 का अवतरण
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