"चाँद की आदतें -राजेश जोशी": अवतरणों में अंतर
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चाँद से मेरी दोस्ती हरगिज़ न हुई होती | चाँद से मेरी दोस्ती हरगिज़ न हुई होती, | ||
अगर रात जागने और सड़कों पर फ़ालतू भटकने की | अगर रात जागने और सड़कों पर फ़ालतू भटकने की, | ||
लत न लग गई होती मुझे स्कूल के ही दिनों | लत न लग गई होती मुझे स्कूल के ही दिनों में। | ||
उसकी कई आदतें तो | उसकी कई आदतें तो | ||
तक़रीबन मुझसे मिलती-जुलती-सी हैं | तक़रीबन मुझसे मिलती-जुलती-सी हैं, | ||
मसलन वह भी अपनी कक्षा का एक बैक-बेंचर छात्र है | मसलन वह भी अपनी कक्षा का एक बैक-बेंचर छात्र है, | ||
अध्यापक का चेहरा ब्लैक बोर्ड की ओर घुमा नहीं | अध्यापक का चेहरा ब्लैक बोर्ड की ओर घुमा नहीं, | ||
कि दबे पाँव निकल भागे बाहर... | कि दबे पाँव निकल भागे बाहर... | ||
और फिर वही मटरगश्ती सारी रात | और फिर वही मटरगश्ती सारी रात, | ||
सारे आसमान | सारे आसमान में। | ||
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09:46, 24 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
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चाँद से मेरी दोस्ती हरगिज़ न हुई होती, |
टीका टिप्पणी और संदर्भबाहरी कड़ियाँसंबंधित लेख
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