"अयोमुख": अवतरणों में अंतर
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*युवानच्वांग के वृत्त के अनुसार यह स्थान अयोध्या और [[प्रयाग]] के मार्ग पर अवस्थित था। | *युवानच्वांग के वृत्त के अनुसार यह स्थान अयोध्या और [[प्रयाग]] के मार्ग पर अवस्थित था। | ||
*युवानच्वांग की जीवनी से विदित होता है कि अयोमुख के मार्ग में ठगों ने युवान को पकड़ कर अपनी देवी पर उसकी बलि देने का प्रयत्न किया किंतु तूफान आ जाने से वह बच गया। | *युवानच्वांग की जीवनी से विदित होता है कि अयोमुख के मार्ग में ठगों ने युवान को पकड़ कर अपनी देवी पर उसकी बलि देने का प्रयत्न किया किंतु तूफान आ जाने से वह बच गया। | ||
*ऐसा जान पड़ता है कि उस समय इस प्रदेश में शाक्तों का विशेष | *ऐसा जान पड़ता है कि उस समय इस प्रदेश में शाक्तों का विशेष ज़ोर था। | ||
*कनिंघम के अनुसार यह स्थान प्रतापगढ़, [[उत्तर प्रदेश]] से 30 मील दक्षिण-पश्चिम की ओर था<ref>(दे. तुषारन-विहार)।</ref> | *कनिंघम के अनुसार यह स्थान प्रतापगढ़, [[उत्तर प्रदेश]] से 30 मील दक्षिण-पश्चिम की ओर था<ref>(दे. तुषारन-विहार)।</ref> | ||
15:54, 8 जुलाई 2011 का अवतरण
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- अयोमुख भारत का एक ऐतिहासिक स्थान जहाँ चीनी यात्री युवानच्वांग[1] तक रहा था।
- युवानच्वांग ने इस स्थान को अयोध्या से लगभग 300 मील पूर्व की ओर बताया था।
- युवानच्वांग के वृत्त के अनुसार यह स्थान अयोध्या और प्रयाग के मार्ग पर अवस्थित था।
- युवानच्वांग की जीवनी से विदित होता है कि अयोमुख के मार्ग में ठगों ने युवान को पकड़ कर अपनी देवी पर उसकी बलि देने का प्रयत्न किया किंतु तूफान आ जाने से वह बच गया।
- ऐसा जान पड़ता है कि उस समय इस प्रदेश में शाक्तों का विशेष ज़ोर था।
- कनिंघम के अनुसार यह स्थान प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश से 30 मील दक्षिण-पश्चिम की ओर था[2]
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