"सूरत": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "शुरु" to "शुरू") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "हिंदू" to "हिन्दू") |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:Janjira-Fort.jpg|thumb|220px|जंजीरा क़िला, सूरत<br />Janjira Fort, Surat]] | [[चित्र:Janjira-Fort.jpg|thumb|220px|जंजीरा क़िला, सूरत<br />Janjira Fort, Surat]] | ||
सूरत शहर [[सूरत ज़िला|सूरत ज़िले]] का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह दक्षिण-पूर्वी [[गुजरात]] राज्य, पश्चिम [[भारत]] में स्थित है। यह [[खंभात की खाड़ी]] पर [[ताप्ती नदी]] के मुहाने पर स्थित है। कहा जाता है कि 1516 में एक | सूरत शहर [[सूरत ज़िला|सूरत ज़िले]] का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह दक्षिण-पूर्वी [[गुजरात]] राज्य, पश्चिम [[भारत]] में स्थित है। यह [[खंभात की खाड़ी]] पर [[ताप्ती नदी]] के मुहाने पर स्थित है। कहा जाता है कि 1516 में एक हिन्दू ब्राह्मण गोपी ने इसे बसाया था। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
12वीं से 15वीं शताब्दी तक यह शहर मुस्लिम शासकों, पुर्तग़ालियों, मुग़लों और मराठों के आक्रमणों का शिकार हुआ। 1514 में [[पुर्तग़ाली]] यात्री दुआरते बारबोसा ने सूरत का वर्णन एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में किया था। 18वीं शताब्दी में धीरे-धीरे सूरत का पतन होने लगा था। उस समय अंग्रेज़ और डच, दोनों ने सूरत पर नियंत्रण का दावा किया, लेकिन 1800 में अंग्रेज़ों का इस पर अधिकार हो गया। | 12वीं से 15वीं शताब्दी तक यह शहर मुस्लिम शासकों, पुर्तग़ालियों, मुग़लों और मराठों के आक्रमणों का शिकार हुआ। 1514 में [[पुर्तग़ाली]] यात्री दुआरते बारबोसा ने सूरत का वर्णन एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में किया था। 18वीं शताब्दी में धीरे-धीरे सूरत का पतन होने लगा था। उस समय अंग्रेज़ और डच, दोनों ने सूरत पर नियंत्रण का दावा किया, लेकिन 1800 में अंग्रेज़ों का इस पर अधिकार हो गया। |
09:58, 24 अप्रैल 2011 का अवतरण

Janjira Fort, Surat
सूरत शहर सूरत ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह दक्षिण-पूर्वी गुजरात राज्य, पश्चिम भारत में स्थित है। यह खंभात की खाड़ी पर ताप्ती नदी के मुहाने पर स्थित है। कहा जाता है कि 1516 में एक हिन्दू ब्राह्मण गोपी ने इसे बसाया था।
इतिहास
12वीं से 15वीं शताब्दी तक यह शहर मुस्लिम शासकों, पुर्तग़ालियों, मुग़लों और मराठों के आक्रमणों का शिकार हुआ। 1514 में पुर्तग़ाली यात्री दुआरते बारबोसा ने सूरत का वर्णन एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में किया था। 18वीं शताब्दी में धीरे-धीरे सूरत का पतन होने लगा था। उस समय अंग्रेज़ और डच, दोनों ने सूरत पर नियंत्रण का दावा किया, लेकिन 1800 में अंग्रेज़ों का इस पर अधिकार हो गया।
यातायात और परिवहन
यह सड़क, रेल और हवाई मार्गों से जुड़ा हुआ है।
कृषि और खनिज
आसपास के इलाके में खेती होती है। कपास, बाजरा, दलहन और चावल यहाँ की मुख्य पैदावार हैं। वस्त्रोद्योग सूरत शहर में ही केंद्रित है। 1990 में गन्ना, अंगूर और केले जैसे नकदी फ़सलो की खेती की शुरूआत की गई।

Parle Point, Surat
उद्योग और व्यापार
पुर्तग़ालियों द्वारा (1512 एवं 1530) सूरत को जला दिए जाने के बाद यह एक बड़ा विक्रय केंद्र बना, जहाँ से कपड़े और सोने का निर्यात होता था। वस्त्रोद्योग और जहाज़ निर्माण यहाँ के मुख्य उद्योग थे। अंग्रेज़ों ने 1612 में पहली बार अपनी व्यापारिक चौकी यहीं पर स्थापित की थी। यहाँ के सूती, रेशमी, किमख़्वाब (जरीदार कपड़ा) के वस्त्र तथा सोने व चाँदी की वस्तुएं प्रसिद्ध हैं। सूरत के हीरे पर पॉलिश के उद्योग ने प्रवासी मज़दूरों कों अपनी और आकर्षित किया है।
जनसंख्या
19वीं शताब्दी के मध्य में सूरत एक गतिहीन नगर था, जिसकी आबादी 80,000 थी, लेकिन भारतीय रेलवे की शुरूआत के साथ सूरत फिर से समृद्ध होने लगा। 2001 की जनगणना के अनुसार नगर की जनसंख्या 24,33,787 है। सूरत ज़िले की कुल जनसंख्या 49,96,391 है।
जलवायु
ज़िले से औसत वार्षिक वर्षा 1,071 मिमी है।
|
|
|
|
|
संबंधित लेख