"मुकाम्बिका मंदिर": अवतरणों में अंतर
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[[परशुराम|परशुरामजी]] द्वारा स्थापित सात मुक्ति क्षेत्रों में से यह एक है। यह मंदिर बहुत विशाल है। सौपर्णिका नदी के तट पर स्थित यह मंदिर प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मंदिर में ही स्वर्ण रेखांकित शिवलिंग है। यह मंदिर | [[परशुराम|परशुरामजी]] द्वारा स्थापित सात मुक्ति क्षेत्रों में से यह एक है। यह मंदिर बहुत विशाल है। सौपर्णिका नदी के तट पर स्थित यह मंदिर प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मंदिर में ही स्वर्ण रेखांकित शिवलिंग है। यह मंदिर महान् [[हिन्दू]] संत और वैदिक विद्वान् [[आदि शंकराचार्य]] से संबंधित होने के कारण श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। | ||
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मुकाम्बिका मंदिर से लगभग 4 कि.मी. दूर एक सुंदर झरना है। जिसे अरासिंगुंडी कहते हैं। यह झरना कोदाचद्री की तलहटी में और इस क्षेत्र के सुंदरतम स्थानों में से एक पर स्थित है। यह झरना डली गांव के समीप है। वहां तक पहुंचने के लिए 3 कि.मी. का रास्ता तय करना पड़ता है। | मुकाम्बिका मंदिर से लगभग 4 कि.मी. दूर एक सुंदर झरना है। जिसे अरासिंगुंडी कहते हैं। यह झरना कोदाचद्री की तलहटी में और इस क्षेत्र के सुंदरतम स्थानों में से एक पर स्थित है। यह झरना डली गांव के समीप है। वहां तक पहुंचने के लिए 3 कि.मी. का रास्ता तय करना पड़ता है। |
11:28, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

मुकाम्बिका मंदिर दक्षिण भारत के कोल्लूर, कर्नाटक राज्य में स्थित है। कर्नाटक और केरल राज्य के लोगों के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थानों में से एक है।
परशुरामजी द्वारा स्थापित सात मुक्ति क्षेत्रों में से यह एक है। यह मंदिर बहुत विशाल है। सौपर्णिका नदी के तट पर स्थित यह मंदिर प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मंदिर में ही स्वर्ण रेखांकित शिवलिंग है। यह मंदिर महान् हिन्दू संत और वैदिक विद्वान् आदि शंकराचार्य से संबंधित होने के कारण श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
अन्य पर्यटन
मुकाम्बिका मंदिर से लगभग 4 कि.मी. दूर एक सुंदर झरना है। जिसे अरासिंगुंडी कहते हैं। यह झरना कोदाचद्री की तलहटी में और इस क्षेत्र के सुंदरतम स्थानों में से एक पर स्थित है। यह झरना डली गांव के समीप है। वहां तक पहुंचने के लिए 3 कि.मी. का रास्ता तय करना पड़ता है।
मान्यता
इस मंदिर कि मान्यता है कि कोल्लूर में मूकाम्बिका देवी का मंदिर निर्माण करने का विचार सर्वप्रथम आदि शंकराचार्य का ही था और लगभग 1200 वर्ष पहले इस मंदिर में देवी की प्रतिमा को उन्होंने स्वयं ही स्थापित किया था। लोगों की मूकाम्बिका देवी मंदिर में अगाध श्रद्धा है क्योंकि मूकाम्बिका देवी को शक्ति, सरस्वती और महालक्ष्मी का रूप माना जाता है। असल में मूकाम्बिका देवी का मंदिर 'सात मुक्तिस्थल' तीर्थ स्थानों जोकि कोल्लूर, उडुपी, सुब्रह्मण्य, कुंबाशी, कोटेश्वरा, शंकरनारायणा और गोकर्ण है में से एक है।
कैसे जाएँ
कुंडापुर से 30 मील दूर कोल्लूर स्थान है। कोल्लूर-मूकाम्बिका, एक धातु द्वारा निर्मित सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है और वहां मैंगलोर, उडुपी और कुंडापुर से सीधी बस जाती है। मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन कोंकण रेलवे मार्ग में कुंडापुर या मूकाम्बिका रोड (बायंदूर) है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
हिन्दूओं के तीर्थ स्थान |लेखक: सुदर्शन सिंह 'चक्र' |पृष्ठ संख्या: 175 |