"वारियम व्यवस्था": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(''''वारियम व्यवस्था''' चोल साम्राज्य में प्रचलित थी।...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{चोल राजवंश}} | {{चोल राजवंश}} | ||
[[Category:चोल साम्राज्य | [[Category:चोल साम्राज्य]][[Category:इतिहास कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
11:05, 16 मई 2017 के समय का अवतरण
वारियम व्यवस्था चोल साम्राज्य में प्रचलित थी। चोल कालीन शासन व्यवस्था में 'वारियम' एक प्रकार की कार्यकारिणी समिति थी।
- वारियम की सदस्यता हेतु 35 से 70 वर्ष के बीच तक के व्यक्तियों को अवसर दिया जाता था।
- यह भी आवश्यक था कि सदस्यता लेने वाला व्यक्ति कम-से-कम डेढ़ एकड़ भूमि का मालिक एवं वैदिक मंत्रों का ज्ञाता हो।
- उपरोक्त अर्हताओं को पूरा करके चुने गये 30 सदस्यों में से 12 ज्ञानी व्यक्तियों को वार्षिक समिति 'सम्वत्सर वारियम्' के लिए चुना जाता था और शेष बचे 18 सदस्यों में 12 उद्यान समिति के लिए एवं 6 को तड़ाग समिति के लिए चुना जाता था।
- सभी की बैठक गांव में मन्दिर के वृक्ष के नीचे एवं तालाब के किनारे होती थी।
|
|
|
|
|