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| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
| {| class="bharattable-green" | | {{हिन्दी सामान्य ज्ञान नोट}} |
| | {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} |
| | {| class="bharattable-green" width="100%" |
| |- | | |- |
| | valign="top"| | | | valign="top"| |
| {| | | {| width="100%" |
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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कृत 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' की अधिकांश सामग्री पुस्तकाकार प्रकाशन के पूर्व 'हिन्दी शब्द- सागर की भूमिका में छपी थी। इस भूमिका में उसका शीर्षक था?
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| |type="()"}
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| - [[हिन्दी]] साहित्य का उद्भव और विकास
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| +हिन्दी साहित्य का विकास
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| - हिन्दी साहित्य का विकासात्मक इतिहास
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| -हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा
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| {जॉर्ज ग्रियर्सन का इतिहास ग्रन्थ 'मॉडर्न वर्नाक्युलर लिटरेचर ऑफ़ नॉदर्न हिन्दुस्तान' का प्रकाशन हुआ था?
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| |type="()"}
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| -([[1887]])
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| +([[1888]])
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| -([[1889]])
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| -([[1890]])
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| {"जिस कालखण्ड के भीतर किसी विशेष ढंग की रचनाओं की प्रचुरता दिखाई पड़ी है, वह एक अलग काल माना गया है और उसका नामकरण उन्हीं रचनाओं के अनुसार किया गया है" यह मान्यता किस इतिहासकार की है?
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| |type="()"}
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| -डॉ. श्यामसुन्दर दास
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| +आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
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| -डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी
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| -डॉ. रामविलास शर्मा
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| {आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के उस इतिहास ग्रंथ का नाम बतलाइए जिसमें मात्र आदिकालीन हिन्दी साहित्य सम्बन्धी सामग्री संग्रहीत है?
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| |type="()"}
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| -[[हिन्दी]] साहित्य की भूमिका
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| -हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास
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| -मध्यकालीन धर्मसाधना)
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| +हिन्दी साहित्य का आदिकाल
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| {आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर 'हिन्दी साहित्य के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है?
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| |type="()"}
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| -ग्रंथों की प्रसिद्धि
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| +ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि
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| -ग्रंथों की उपलब्धता
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| -रचनाकारों की संख्या
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| {इनमें किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए है?
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| |type="()"}
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| -डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
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| -डॉ. नगेन्द्र
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| -डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'
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| +मिश्रबन्धु
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| {'हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक' के लेखक का नाम है?
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| |type="()"}
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| -आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी
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| +डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
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| -डॉ. माताप्रसाद गुप्त
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| -डॉ. विद्यानिवास मिश्र
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| {प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है?
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| |type="()"}
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| -रामभक्ति शाखा
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| -ज्ञानाश्रयी शाखा
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| +कृष्णभक्ति शाखा
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| -प्रेममार्गी शाखा
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| {मनुष्यत्व की सामान्य भावना को आगे करके निम्न श्रेणी की जनता में आत्म- गौरव का भाव जगाने वाले सर्वश्रेष्ठ कवि थे? | | {'देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक हाथ, दूजौ न लगाऊँ, वार करौ एक करको।' ये पंक्तियाँ किस कवि द्वारा सृजित हैं? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| | -[[हृदयराम]] |
| | -[[अग्रदास]] |
| -[[तुलसीदास]] | | -[[तुलसीदास]] |
| +[[कबीर]] | | +[[नाभादास]] |
| -[[जायसी]]
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| -[[सूरदास]]
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| ||महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]]
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| {'हंस जवाहिर' रचना किस सूफी कवि द्वारा रची गई थी?
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| |type="()"}
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| -मंझन
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| -कुतुबन
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| -उसमान
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| +क़ासिमशाह
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| {'देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक हाथ, दूजौ न लगाऊँ, वार करौ एक कर को।' ये पंक्तियाँ किस कवि द्वारा सृजित हैं?
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| |type="()"}
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| -ह्रदयराम
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| -अग्रदास
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| -[[तुलसीदास]]
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| +नाभादास
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| {'[[भक्तमाल]]' भक्तिकाल के कवियों की प्राथमिक जानकारी देता है, इसके रचयिता थे? | | {'[[भक्तमाल]]' भक्तिकाल के कवियों की प्राथमिक जानकारी देता है, इसके रचयिता थे? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[वल्लभाचार्य]] | | -[[वल्लभाचार्य]] |
| +नाभादास | | +[[नाभादास]] |
| -रामानन्द | | -[[रामानंद]] |
| -नन्ददास | | -[[नन्ददास]] |
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| {आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने रीतिकाल को 'श्रृंगारकाल' नाम दिया, लेकिन उन्होंने इस पर जो ग्रंथ लिखा, उसका नाम 'हिन्दी का श्रृंगारकाल' नहीं है, बल्कि उसका नाम है? | | {[[अमीर ख़ुसरो]] ने किसके विकास में अग्रणी भूमिका निभाई? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -रीतिकाव्य की भूमिका | | -[[ब्रज भाषा]] |
| -रीतिकाव्य की पृष्ठभूमि | | -[[अवधी भाषा|अवधी]] |
| -रीतिकाव्य की प्रस्तावना
| | +[[खड़ी बोली]] |
| +हिन्दी साहित्य का अतीत, भाग -2
| | -[[भोजपुरी]] |
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| {'भारत मित्र' पत्र (जो [[कलकत्ता]] से स. [[1934]] वि. में प्रकाशित हुआ था) के एक सम्पादक थे? | | {[[त्रिपुरा]] की राजभाषा है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -तोताराम | | -[[हिन्दी]] |
| +रुद्रदत्त शर्मा
| | -नागा |
| -[[कन्हैयालाल नंदन|कन्हैयालाल]] | | -[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] |
| -बल्देव प्रसाद
| | +[[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] |
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| | | {'हरिश्चन्द्री हिन्दी' शब्द का प्रयोग किस [[इतिहासकार]] ने अपने इतिहास ग्रंथ में किया है? |
| {'हरिश्चन्द्री हिन्दी' शब्द का प्रयोग किस इतिहासकार ने अपने इतिहास ग्रंथ में किया है? | |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -मिश्रबंधु | | -मिश्रबंधु |
| -शिवसिंह 'सेंगर' | | -शिवसिंह 'सेंगर' |
| +रामचन्द्र शुक्ल | | +[[रामचन्द्र शुक्ल]] |
| -रामविलास शर्मा | | -[[रामविलास शर्मा]] |
| | || [[चित्र:RamChandraShukla.jpg|100px|right|रामचन्द्र शुक्ल]]रामचन्द्र शुक्ल जी का जन्म [[बस्ती ज़िला|बस्ती ज़िले]] के अगोना नामक गाँव में सन् 1884 ई. में हुआ था। सन् 1888 ई. में वे अपने पिता के साथ राठ हमीरपुर गये तथा वहीं पर विद्याध्ययन प्रारम्भ किया। सन् 1892 ई. में उनके पिता की नियुक्ति मिर्ज़ापुर में सदर क़ानूनगो के रूप में हो गई और वे पिता के साथ [[मिर्ज़ापुर]] आ गये। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचन्द्र शुक्ल]] |
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| {'गिला' कहानी के लेखक का नाम है?
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| |type="()"}
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| +[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]]
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| -यशपाल
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| -अज्ञेय
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| -निर्मल वर्मा
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| [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[प्रेमचंद]]
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| {'मेवाड़ की पन्ना नामक धाय के अलौकिक त्याग का ऐतिहासिक वृत्त लेकर 'राजमुकुट' नाटक की रचना की गई थी, इस नाटक के लेखक का नाम है?
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| |type="()"}
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| -हरिकृष्ण प्रेमी
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| -लक्ष्मीनारायण मिश्र
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| -उदयशंकर भट्ट
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| +[[गोविंद बल्लभ पंत]]
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| ||[[चित्र:Pandit-Govind-Ballabh-Pant.jpg|thumb|[[गोविंद बल्लभ पंत]]<br /> Govind Ballabh Pant]] <small><sub>(10 सितम्बर , 1887 - 7 मार्च, 1961)</sub></small> <br /> गोविंद बल्लभ पंत प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और [[उत्तर प्रदेश]] के प्रथम मुख्यमंत्री थे। गोविंद वल्लभ पंत जी अगस्त 15, 1947 - मई 27, 1964 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। अपने संकल्प और साहस के मशहूर पंत जी का जन्म वर्तमान [[उत्तराखंड]] राज्य के [[अल्मोड़ा ज़िला|अल्मोडा ज़िले]] के खूंट (धामस) नामक गाँव में हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गोविंद बल्लभ पंत]]
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| {डॉ. कृष्ण शंकर शुक्ल ने आचार्य [[केशवदास]] पर एक समीक्षात्मक पुस्तक लिखी थी, उस पुस्तक का नाम है?
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| |type="()"}
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| -केशव का आचार्यत्व
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| -केशव की प्रतिभा
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| -केशव की कला
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| +केशव की काव्यकला
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| {'गंगावतरण' काव्य के रचियता हैं?
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| -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
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| +जगन्नाथदास 'रत्नाकर
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| -श्रीधर पाठक
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| -रामनरेश त्रिपाठी
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| {छायावादी कवियों ने जब आध्यात्मिक प्रेम को अपनी कविताओं में व्यक्त किया तो ऐसी कविताओं को किस वाद के अंतर्गत रखा गया है?=====
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| |type="()"}
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| -छायावाद
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| -प्रतीकवाद
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| +रहस्यवाद
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| -बिम्बवाद
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| {'परिवर्तन' नामक कविता सर्वप्रथम सुमित्रानन्दन पंत के किस कविता संग्रह में संगृहीत हुई है?
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| |type="()"}
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| -वीणा
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| +पल्लव
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| -तारापथ
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| -ग्रंथि
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| {भिखारीदास की रचना का नाम है?
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| |type="()"}
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| +काव्य निर्णय
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| -काव्य विवेक
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| -भाव विलास
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| -नवरस तरंग
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| {उन्नीसवीं सदी की साहित्य- सर्जना का मूल हेतु है?
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| |type="()"}
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| -ईसाई विरोध
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| -मुस्लिम विरोध
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| +पराधीनता का बोध
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| -परमाणु परीक्षण
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| {'यह प्रेम को पंथ कराल महा तलवार की धार पै धावनी है', नामक पंक्ति किस कवि द्वारा सृजित है?
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| |type="()"}
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| -घनानंद
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| +बोधा
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| -आलम
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| -ठाकुर
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| {आचार्य [[केशवदास]] को 'कठिन काव्य का प्रेत' किस आलोचक ने कहा है?
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| |type="()"}
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| -आचार्य पद्मसिंह शर्मा
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| -आचार्य नंददुलारे बाजपेयी
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| -आचार्य विश्वनाथप्रसाद मिश्र
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| +आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
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| </quiz> | | </quiz> |
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| |} | | |} |
| | {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} |
| | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
| | [[Category:सामान्य ज्ञान]] |
| | [[Category:हिन्दी सामान्य ज्ञान]] |
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| [[Category:सामान्य ज्ञान]] | | [[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]] |
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