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'''तालकड़''' अथवा 'तलकाड़' [[मैसूर]] का एक प्राचीन नगर था। [[गंग वंश]] के राजा बूतुंग द्वितीय (लगभग 937-960) ने [[तुंगभद्रा नदी|तुंगभद्रा]] और [[कृष्णा नदी|कृष्णा]] नदियों के बीच अपना व्यापक राज्य कायम किया था। इस समय तालकड़ उसकी राजधानी थी। बाद के समय में [[चोल वंश|चोल]] शासकों ने इस पर शासन किया।
[[चित्र:Maruleshwara-Temple-Talakad.jpg|thumb|250px|मरुलेश्वारा मंदिर, तालकड़]]
 
'''तालकड़''' अथवा 'तलकाड़' [[मैसूर]] का एक प्राचीन नगर था। [[गंग वंश]] के राजा बूतुंग द्वितीय (लगभग 937-960) ने [[तुंगभद्रा नदी|तुंगभद्रा]] और [[कृष्णा नदी|कृष्णा]] नदियों के बीच अपना व्यापक राज्य क़ायम किया था। इस समय तालकड़ उसकी राजधानी थी। बाद के समय में [[चोल वंश|चोल]] शासकों ने इस पर शासन किया।
*प्राचीन नगर तालकड़ शिवसमुद्र से 15 मील दूर [[कावेरी नदी|कावेरी]] के तट पर बसा हुआ था।
*प्राचीन नगर तालकड़ शिवसमुद्र से 15 मील दूर [[कावेरी नदी|कावेरी]] के तट पर बसा हुआ था।
*अब नदी के द्वारा लाई हुई बालू में यह पूरी तरह अंट गया है।
*अब नदी के द्वारा लाई हुई बालू में यह पूरी तरह अंट गया है।

14:16, 29 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

मरुलेश्वारा मंदिर, तालकड़

तालकड़ अथवा 'तलकाड़' मैसूर का एक प्राचीन नगर था। गंग वंश के राजा बूतुंग द्वितीय (लगभग 937-960) ने तुंगभद्रा और कृष्णा नदियों के बीच अपना व्यापक राज्य क़ायम किया था। इस समय तालकड़ उसकी राजधानी थी। बाद के समय में चोल शासकों ने इस पर शासन किया।

  • प्राचीन नगर तालकड़ शिवसमुद्र से 15 मील दूर कावेरी के तट पर बसा हुआ था।
  • अब नदी के द्वारा लाई हुई बालू में यह पूरी तरह अंट गया है।
  • इस नगर के अनेक ध्वंसावशेष आज भी बालू के नीचे दबे पड़े हैं।
  • 1717 ई. में बने हुए कीर्तिनारायण के मंदिर को बालू में से खोद निकाला गया गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 398 |


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