हरीश भिमानी

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हरीश भिमानी

हरीश भिमानी (अंग्रेज़ी: Harish Bhimani, जन्म- 15 फ़रवरी, 1946) एक लेखक, प्रस्तोता, आवाज़ के कलाकार, समाचार वाचक, दस्तावेजी सिनेमा व कॉर्पोरेट फिल्मों के निर्माता हैं। उन्हें 'राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार'- 2016 में वोईस ओवर/नेरेशन श्रेणी में 'राष्ट्रपति पदक' प्रदान किया गया। हरीश भिमानी ने अपने कॅरियर में 22 हजार से भी ज्यादा रिकॉर्डिंग्स की हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि उन्हें दूरदर्शन के धारावाहिक 'महाभारत' के सूत्रधार समय के रूप में मिली। अपने कॅरियर में हरीश भिमानी ने तमाम टीवी धारावाहिक, फ़िल्में, रंगमंच कार्यक्रम, रेडियो, खेल, एंकरिंग समेत कई जगह अपनी अवाज का जादू बिखेरा।

परिचय

हरीश भिमानी का जन्म 15 फ़रवरी, 1946 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ। उनका पैतृक सम्बन्ध राजस्थान के जैसलमेर से है, वहां से उनके पूर्वज ने गुजरात के मांडवी और फिर कोलकाता को निवास बनाया। हरीश भिमानी अपने पांच भाई-बहनों में चौथी संतान है। उन्होंने भद्र न्यू हाई स्कूल, हंसराज मोरारजी पब्लिक स्कूल, एलफिन्स्टन कॉलेज, मुंबई; लक्ष्मीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नागपुर में अध्ययन किया और प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, बॉम्बे विश्वविद्यालय से एमबीए किया। हरीश भिमानी अपनी 'वोईस आर्टिस्ट' पत्नी रेखा के साथ मुंबई में रहते हैं। उनकी दो बेटियाँ हैं- अदिति भोसले तथा रूचि भिमानी, जो कि फीचर फिल्म तथा वृत्तचित्र निर्माता हैं।

महाभारत में 'समय'

हरीश भिमानी ने भारतीय टीवी धारावाहिक 'महाभारत' (बी. आर. चोपड़ा कृत) में सूत्रधार 'समय' को आवाज दी और देश में सर्वाधिक पहचाने जाने वाली आवाज बन गए। उन्हें 22000 से अधिक रेकोर्डिंग का अनुभव है। 1980 के दशक के बाद से उन्होंने अग्रणी सार्वजनिक कार्यक्रमों और समारोहों की मेजबानी के अलावा कई वृत्तचित्रों, कॉर्पोरेट फिल्मों, फीचर फिल्मों, टीवी और रेडियो विज्ञापनों, खेल, संगीत एल्बमों में अपनी आवाज दी। मीडिया ने हरीश भीमनी को भारत के सबसे मान्यता प्राप्त आवाज़ों में से एक और ए राइटर विद ए ज़िंग के रूप में वर्णित किया है।

एक साक्षात्कार में हरीश भिमानी ने बताया था कि जिस वक्त यह सीरियल बनाया जा रहा था, उस वक्त उन्हें गूफी पेंटल का फोन आया। गूफी पेंटल, जिन्होंने महाभारत में 'शकुनी' का किरदार निभाया था। गूफी पेंटल ने हरीश को मिलने के लिए बुलाया। जब हरीश मिलने पहुंचे तो उनकी मुलाकात महाभारत के निर्माता बी. आर. चोपड़ा से हुई। उनके ही साथ दिग्गज लेखक राही मासूम रज़ा भी मौजूद थे। हरीश भिमानी ने जब उनसे काम के बारे में पूछा तो उन्होंने अपने बारे में बताने और एक छोटी सी कमेंट्री का वाइस ओवर टेस्ट देने के लिए कहा। हरीश भिमानी ने बोलना शुरू किया। उन्हेंने जब 'मैं समय हूं' कहा, तब उनकी आवाज की पिच से राही साहब ज्यादा खुश नहीं थे। उन्होंने फिर हरीश को जाने के लिए कह दिया। कुछ दिन के बाद हरीश को फिर से गूफी पेंटल का फोन आया और उन्होंने फिर से मिलने की बात कही। जब हरीश मुलाकात करने पहुंचे तो उनके सामने फिर से वही लोग और वही स्क्रिप्ट थी।[1]

हरीश ने फिर से कोशिश की और इस बार थोड़ी भारी आवाज में बोलना शुरू किया। जब वह बोल रहे थे, तभी उनके पीछे से राही साहब आए और कहा कि उन्हें यही पिच पकड़ कर रखना होगा और आगे की बात बोलनी पड़ेगी। हरीश भिमानी उस वक्त यंग थे और उन्हें इस तहर की कमेंट्री थोड़ी गुजरे जमाने की लग रही थी और किसी टीवी सीरियल के सूत्रधार के मुताबिक़ कतई नहीं लग रही थी; लेकिन राही मासूम रज़ा के कहने पर उन्होंने अपनी उसी पिच में सीरियल महाभारत के लिए 'समय' के रूप में पूरे सीरियल के सूत्रधार बनकर एक अमूर्त किरदार निभाया। इसके बाद जो हुआ वह इतिहास में दर्ज है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 'महाभारत' में कैसे गूंजी 'मैं समय हूं' की आवाज? (हिंदी) abplive.com। अभिगमन तिथि: 18 अप्रॅल, 2020।

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