सोचने दो -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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सोचने दो -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कवि फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
जन्म 13 फ़रवरी, 1911
जन्म स्थान सियालकोट
मृत्यु 20 नवम्बर, 1984
मृत्यु स्थान लाहौर
मुख्य रचनाएँ 'नक्श-ए-फरियादी', 'दस्त-ए-सबा', 'जिंदांनामा', 'दस्त-ए-तहे-संग', 'मेरे दिल मेरे मुसाफिर', 'सर-ए-वादी-ए-सिना' आदि।
विशेष जेल के दौरान लिखी गई आपकी कविता 'ज़िन्दा-नामा' को बहुत पसंद किया गया था।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की रचनाएँ

इक ज़रा सोचने दो
इस ख़याबाँ में
जो इस लहज़ा बयाबाँ भी नहीं
कौन-सी शाख़ में फूल आए थे सब से पहले
कौन बेरंग हुई रंज-ओ-ता'ब से पहले
और अब से पहले
किस घड़ी कौन-से मौसम में यहाँ
ख़ून का क़हत पड़ा
गुल की शहरग पे कड़ा
वक़्त पड़ा
सोचने दो
इक ज़रा सोचने दो
यह भरा शहर जो अब वादिए वीराँ भी नहीं
इस में किस वक़्त कहाँ
आग लगी थी पहले
इस के सफ़बस्ता दरीचों में से किस में अव्वल
ज़ह हुई सुर्ख़ शुआओं की कमाँ
किस जगह जोत जगी थी पहले
सोचने दो
हम से इस देस का, तुम नाम-ओ-निशां पूछते हो
जिसकी तारीख़ न जुग़राफ़िया अब याद आए
और याद आए तो महबूबे-गुज़िश्ता की तरह
रू-ब-रू आने से जी घबराए
हाँ मगर जैसे कोई
ऐसे महबूब या महबूबा का दिल रखने को
आ निकलता है कभी रात बिताने के लिए
हम अब इस उम्र को आ पहुँचे हैं जब हम भी यूँ ही
दिल से मिल आते हैं बस रस्म निभाने के लिए
दिल की क्या पूछते हो
सोचने दो


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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