विक्रमादित्य पंचम
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विक्रमादित्य पंचम, सत्याश्रय के बाद कल्याणी के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ।
- इसने लगभग 1008 ई. में चालुक्य साम्राज्य की गद्दी को सम्भाला था।
- उसके समय में मालवा के परमारों के साथ चालुक्यों का पुनः संघर्ष हुआ, और वाकपतिराज मुञ्ज की पराजय व हत्या का प्रतिशोध करने के लिए परमार राजा भोज ने चालुक्य राज्य पर आक्रमण कर उसे परास्त किया।
- पर बाद में राजा भोज ने भी विक्रमादित्य पंचम से पराजय का मुँह देखा था।
- विक्रमादित्य पंचम ने अपने पूर्वजों की नीतियों का अनुसरण करते हुए कई यु़द्ध लड़े, जिसमें उसे सफलता मिली।
- इसकी और किसी उपलब्धियों के बारे में जानकारी नहीं मिली है।
- अभिलेखों में इसके 'वल्लभवनरेन्द्र' तथा 'त्रिभुवनमल्ल' आदि विरुद्वों का उल्लेख मिलता है।
- एक अभिलेख में उसकी बहन अनुष्कादेवी का उल्लेख मिलता है, जो 'किसकाड' राज्य की शासिका थी।
- इसे 'लक्ष्मी का अवतार', 'दान देने वाली', 'बुद्धिमती', 'सत्य और सच्चरिता' कहा गया है।
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