वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर

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वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की जगह पर बनी नई इमारत है। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, अमेरिका में न्यू यॉर्क के मैनहैटन में बने दो टावर रूपी इमारतों का जोड़ा था, जिसे आतंकवादी संगठन अल कायदा से जुड़े आतंकवादियों ने 11 सितंबर, 2001 को नष्ट कर दिया था।

जगह पुरानी, ढांचा नया

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (पुरानी इमारत)

11 सितंबर 2001 को न्यूयॉर्क का वर्ल्ड ट्रेड सेंटर आतंक की भेंट चढ़ गया था। हवाईजहाज़ से किए गए इस हमले में 2700 लोगों की जान चली गई थीं। 13 सालों के बाद उसी जगह पर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की नई इमारत काम करने के लिए खोल दी गई है। एक प्रकाशन कंपनी के 175 कर्मचारियों ने पहले दिन यहां काम किया। 104 मंजिल की ये इमारत न्यूयॉर्क या मैनहट्टन ही नहीं बल्कि अमेरिका की सबसे ऊंची इमारतों में शुमार हो गई है। इस नई ईमारत को नाम दिया गया है 'वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर'। इस गगनचुंबी इमारत को फिर से बनाने में 8 साल लगे और अब ये इमारत अमेरिका की सबसे ऊंची इमारत है। इस इमारत का 60 प्रतिशत हिस्सा किराए पर दिया गया है और सरकार ने 2,75,000 वर्ग फीट लेने का करार किया है। 541 मीटर ऊंची आसमान छूती ये इमारत पुरानी इमारत के बीच में बनाई गई है। इस इमारत में पुरानी इमारत की याद में बनाए स्मारक और संग्रहालय को भी जगह दी गई है।[1]

विशेषता

वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (नई इमारत)
  • 104 मंजिल की ये इमारत न्यूयॉर्क या मैनहट्टन ही नहीं बल्कि अमेरिका की सबसे ऊंची इमारतों में शुमार हो गई है। इस इमारत का स्वामित्व पोर्ट अथॉरिटी ऑफ न्यूयॉर्क एंड न्यू जर्सी के पास है, जबकि इसके वास्तुविद टीजे गोट्टाडाइनर हैं।
  • 541 मीटर ऊंचे टावर के पास दो फव्वारे भी बनाए गए हैं। ये फव्वारे ध्वस्त हुए टावरों की जगह पर बनाए गए हैं।
  • इस इमारत को बनाने वालों के मुताबिक़ ये इमारत बेहद मजबूत है क्योंकि स्टील की मदद से कंक्रीट की इमारत को तैयार किया गया है। इसके डिजाइन के लिए एफ़बीआई की भी मदद ली गई थी।
  • ठोस कंक्रीट और स्टील से बनीं इसकी शुरुआती 20 मंजिलें इसके आधार का काम करेगी। इसे बनाने में 45 हजार टन स्टील और 159 मिलियन लीटर कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है।
  • कुछ का दावा है कि ये अमेरिका की सबसे ऊंची इमारत है लेकिन कुछ इससे सहमत नहीं हैं। 1776 फीट ऊंचे इस टावर में इसके स्टील के शिखर को भी जोड़ा गया है। दरअसल 1776 का आंकडा अमेरिका की आज़ादी के साल को प्रदर्शित करता है।
  • इस इमारत में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। माना जा रहा है कि आतंकी इस इमारत पर दोबारा हमला कर सकते हैं लेकिन इस बार उनका कामयाब होना तकरीबन असंभव है।
  • आग से बचने के लिए बायोकेमिकल फ़िल्टर, ज़्यादा चौड़ी सीढ़ियां, तमाम तरह के सुरक्षा कवच और आपातकाल के लिए बिजली समेत तमाम अन्य तरह के इंतजाम किए गए हैं।[2]

विवाद और आलोचना

11 सितम्बर, 2001 को हमले के बाद ही अमेरिका में यह बहस चल रही थी कि ध्वस्त हुए वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की जगह पर आखिर क्या बने। कुछ लोगों की राय वहाँ फिर से दो गगनचुंबी टावर खड़ा करने की थी, जबकि कई लोगों का मानना था कि वहाँ स्मारक बनना चाहिए। ट्विन टावर एलायंस नामक संगठन ने तो ट्विन टावर के पक्ष में आंदोलन भी चलाया। चूँकि पुराने टावर की 107वीं मंजिल पर विंडोज ऑन द वर्ल्ड नामक एक रेस्टोरेंट और बार भी था, जिसकी गिनती दुनिया के बेहतरीन बार में होती थी, इसलिए इसे बनाने को लेकर भी पोर्ट अथॉरिटी पर दबाब बनाया गया। हालांकि अथॉरिटी ने इस योजना को नकार दिया। इसी तरह इस इमारत को लेकर नये विवाद ने जन्म ले लिया था। जब सीबीएस ने वर्ष 2010 में अपने 60 मिनट के कार्यक्रम में बताया था कि यहाँ काम की गति काफ़ी धीमी है और अरबों डालर खर्च होने के बावजूद यह जगह 2037 से पहले गुलजार नहीं हो सकता। इसके नाम को लेकर भी देशभर में व्यापक बहस चली थी।[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. फिर से खुला वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (हिंदी) अमर उजाला। अभिगमन तिथि: 28 नवम्बर, 2014।
  2. आतंक को चुनौती, फिर खड़ा हो गया वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (हिंदी) अमर उजाला। अभिगमन तिथि: 28 नवम्बर, 2014।
  3. समाचार पत्र- अमर उजाला 'उडान' | दिनांक- 19 नवंबर 2014 | पृष्ठ संख्या- 15

बाहरी कड़ियाँ

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