रिहन्द परियोजना

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रिहन्द परियोजना भारत की मुख्य नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है। रिहन्द बाँध एक गुरुत्वीय बाँध है, जो उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में पिपरी नामक स्थान पर रिहन्द नदी पर बनाया गया है।

  • रिहन्द बाँध लगभग उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। इसका निर्माण 1959 से 1962 के बीच हुआ था।
  • छत्तीसगढ़ में सरगुजा की मतिरिंगा पहाड़ी के पास अम्बिकापुर तहसील, पूर्वी सरगुजा से रिहन्द नदी का उद्गम हुआ है।
  • नदी सरगुजा ज़िले में दक्षिण से उत्तर से की ओर प्रवाहित होते हुए उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले के चोपन के समीप सोन नदी में मिल जाती है। छत्तीसगढ़ में इसकी लम्बाई 145 किलोमीटर है।
  • प्रदेश की सीमा पर रिहन्द बाँध बनाया गया है, जिसका आधा हिस्सा उत्तर प्रदेश की सीमा पर[1] पड़ता है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ गोवरी, मोरना, मोहन आदि हैं।
  • इस परियोजना के अंतर्गत 50X6=300 मेगावाट के जल विद्युत गृह बनाये गए हैं।
  • रिहन्द बाँध से बनने वाले जलाशय को 'गोविन्द बल्लभ पंत सागर' या 'रेणु सागर' भी कहते हैं। इस जलाशय के जल को सोन नहर से मिला देने पर सोन नहर की सिंचाई क्षमता बढ़ गयी है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गोविन्द वल्लभ पन्त सागर
  2. भारत में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ (हिन्दी) वाइवेस पेनोरमा। अभिगमन तिथि: 14 नवम्बर, 2014।

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