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बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम

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बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम दो स्तरों, 'एक्जोथर्मिक' एवं 'एंडोथर्मिक' वाला भारतीय कार्यक्रम है। एक्जोथर्मिक प्रणाली में पृथ्वी एयर डिफेंस (पीएडी) प्रणाली बड़ी ऊंचाई पर रोकने वाली एंडोथर्मिक मिसाइल है और एडवांस्ड एयर डिफेंस मिसाइल (एएडी) कम ऊंचाई पर रोकने के लिए है। पीएडी का पहली बार परीक्षण नवंबर, 2006 में किया गया था, जिसके बाद दिसंबर, 2007 में एएडी का परीक्षण हुआ था।

  • पीएडी को और भी अधिक ऊंचाई पर रोकने के लिए विकसित किया गया और उसे पृथ्वी डिफेंस व्हीकल (पीडवी) का नाम दिया गया। इस प्रकार अमेरिका, रूस तथा इजरायल के बाद भारत एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम (एबीएस) को सफलतापूर्वक विकसित करने वाला चौथा देश बन गया है।[1]
  • पूरी प्रणाली की सफलता लक्ष्य प्रक्षेपास्त्र को हासिल करने पर निर्भर है, जो स्वॉर्ड फिश एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (एईएसए) रेडार से किया जाता है। यह इजराल के ग्रीन पाइन रेडार का ही एक रूप है, जिसमें भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप एरो सिस्टम विकसित किया गया है। रेडार की क्षमता अभी 600 से 800 कि.मी. है और यह क्रिकेट की गेंद जितनी छोटी वस्तु को भी देख सकता है। इसकी क्षमता को बढ़ाकर 1,500 कि.मी. करने के लिए काम चल रहा है।
  • वास्तव में यह दिलचस्प है कि दोनों इंटरसेप्टरों के लिए परीक्षण हाल ही में सफलतापूर्वक पूरे किए गए हैं। 11 फ़रवरी, 2017 को एक जहाज से दागे गए प्रक्षेपास्त्र को 97 कि.मी. की ऊंचाई पर एक पीडीवी एक्जोथर्मिक प्रक्षेपास्त्र ने विफल कर दिया। प्रक्षेपास्त्र में इन्फ्रा रेड सीकर लगा है और यह लक्ष्य पर सटीक मार करता है।
  • 1 मार्च, 2017 को चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण क्षेत्र से अपनी ओर आ रहे प्रक्षेपास्त्र को एएडी ने 15 कि.मी. की ऊंचाई पर रोक दिया। यह एंडोथर्मिक इंटरसेप्शन था। इन परीक्षणों के साथ ही बीडीएम प्रणाली ने 3 मैक से 8 मैक गति से आ रहे मध्यम दूरी के प्रक्षेपास्त्रों को सफलतापूर्व रोकने की अपनी क्षमता सिद्ध कर दी है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत की प्रक्षेपास्त्र यात्रा (हिंदी) bharatshakti.in। अभिगमन तिथि: 24 जून, 2020।

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