जैसा तुम चाहो -रांगेय राघव

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जैसा तुम चाहो -रांगेय राघव
'जैसा तुम चाहो' उपन्यास का आवरण पृष्ठ
लेखक शेक्सपियर
अनुवादक रांगेय राघव
प्रकाशक राजपाल एंड संस
ISBN 8170283868
देश भारत
पृष्ठ: 120
भाषा हिन्दी

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जैसा तुम चाहो शेक्सपियर द्वारा लिखा गया एक सुखांत नाटक है। इसे उसने संभवतः 1599 ई. के उत्तरार्ध में या फिर 1600 ई. के पूर्वार्धकाल में लिखा था। हिन्दी के प्रख्यात साहित्यकर रांगेय राघव ने इस नाटक का हिन्दी अनुवाद किया था। नाटक के हिन्दी अनुवाद का प्रकाशन 'राजपाल एंड संस' द्वारा हुआ था। साहित्यकार रांगेय राघव ने शेक्सपियर के दस नाटकों का हिन्दी अनुवाद किया था, जो इस सीरीज़ में पाठकों को उपलब्ध कराए गये हैं।

भूमिका

'जैसा तुम चाहो' शेक्सपियर का एक सुखांत नाटक है। शेक्सपियर के नाट्यजीवन-विषयक समय में यह उसके दूसरे काल की रचना है। नाटक का मूल स्रोत एक फ़्राँसीसी उपन्यास ‘रोज़ालिंड इयुफुएस गोल्डेन लगैसी’[1] से लिया गया है, जिसमें उपदेशात्मक रूप से बताया गया है कि विपत्ति का अन्त सुखमय होता है। यह एक प्रेमकथा है। प्रतिकार से संधि भली है और भलाई की ही अन्त में जीत होती है।[2]

कथानक

इस नाटक का कथानक कुछ इस प्रकार है-

ऑरलेंडो एक सुन्दर युवक, स्वर्गीय सर रोलैंडा का पुत्र, अपने भाई ओलिवर का संरक्षित, दुर्व्यवहार से रखा गया। उसने विद्रोह किया तो बड़े भाई ने उसके वध की तैयारी की। ऑरलेंडो का मल्ल युद्ध ड्यूक के दरबारी मल्ल चार्ल्स से हुआ। ड्यूक फ्रैडरिक ने अपने भाई का राज्य हड़प लिया था। उसकी पुत्री सीलिया और निर्वासित ड्यूक की पुत्री रोज़ालिंड में बड़ी प्रीति थी। उन्होंने ऑरलेंडो की सुकुमारता देख युद्ध रोकना चाहा। परन्तु ऑरलेंडो ने चार्ल्स को हरा दिया। रोज़ालिंड ने उसे कण्ठहार दिया। दोनों में प्रेम हो गया। ड्यूक फ्रैडरिक ने रोज़ालिंड को देश निकाला दे दिया। रोज़ालिंड चरवाहा बनी और उसने पुरुष-रूप धारण कर लिया। सीलिया देहाती स्त्री बनी। दोनों निर्वासित ड्यूक के वन में चली गईं। इनके साथ विदूषक टचस्टोन भी गया। उधर ऑरलेंडो ने भी भाई के कुचक्रों से तंग आकर पिता के पुराने सेवक आदम के साथ घर छोड़ दिया और दोनों उसी अर्दन वन में पहुंचे।

प्रेम में पागल ऑरलेंडो ने अनेक प्रेम-कविताएँ लिखीं। उसने पेड़ों पर वे कविताएँ लटका दीं। रोज़ालिंड ने उन्हें पढ़ा। एक दिन वह अपने पुरुष-वेश में उससे मिली, किंतु ऑरलेंडो उसे पहचान न सका। रोजालिंड ने कहा, "मुझे प्यार करो तो तुम्हें तुम्हारी प्रिया से मिला दूँगा।" ड्यूक फ्रैडरिक के दोषारोपण से डरकर बड़ा भाई ओलिवर भी घर छोड़ भागा और वहीं पहुँचा। ड्यूक ने उसकी संपत्ति हड़प ली। वन में वह सो रहा था कि भूखी शेरनी ने उसे आ घेरा। ऑरलेंडो ने सिंहनी पर हमला कर भाई के प्राण बचा लिए और स्वयं घायल हो गया। अपने रक्त से सना रूमाल उसने चरवाहे को भेज दिया। रोज़ालिंड उसे देख मूर्छित हो गई। अन्त में दोनों का मिलन हुआ। सीरिया और ओलिवर भी मिल गए। टचस्टोन ने भी एक देहातिन से विवाह कर लिया। गैनीमीड यानी रोज़ालिंड की प्रसन्नता तब पूर्ण हो गई, जब ड्यूक फ्रैडरिक वन में बड़े भाई के पास गया और उसने पश्चाताप करते हुए क्षमा माँगी। इस प्रकार सुखपूर्वक मिलन सम्पन्न हो गया।[2]

रांगेय राघव के अनुसार

'जैसा तुम चाहो' शेक्सपियर का बहुत ही उत्कृष्ट सुखांत नाटक माना जाता है। इसमें हास्य भी है और मस्ती भी। सौंदर्य तो बिखरा पड़ा है। शेक्सपियर ने अपने समय के सुखांत नाटक की परंपरा के आगे बढ़कर ही रचना को उत्कृष्ट बनाया। प्रस्तुत नाटक में नायक से अधिक नारी चित्रण नाटककार ने अधिक सफलता से किया है। विदूषक का पात्र इस नाटक में बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि वह वास्तव में बड़ा चतुर व्यक्ति है। इस नाटक में प्रकृति का बहुत सामीप्य है।

इस नाटक का अनुवाद करना बहुत कठिन कार्य रहा है। एक तो हास्य में शेक्सपियर की अंग्रेज़ी भाषा के कारण दूसरी भाषा में उतारना असंभव-सा बन गया है। दूसरे, गीतों में कुछ ऐसे आनन्दसूचक शब्दों का या ध्वनियों का प्रयोग किया गया है, जिनका हिन्दी में पर्याप्त है ही नहीं। इसलिए मैंने मूलार्थ दे दिया है- गद्य में ताकि पाठक नाटककार के मूल से जानकारी प्राप्त कर लें, और वैसे उसी भावार्थ को लेकर गीत भी लिख दिए हैं ताकि वैसे नाटक पढ़ते समय कोई व्याघात उपस्थित न हो। इस नाटक के गीतों में बहुत-से ऐसे संदर्भ भी आते हैं, जो काव्य के दृष्टिकोण से हिन्दी में अनुवाद कर देने पर पाठक को आनन्द नहीं दे सकते, जैसे- क्लियोपैट्रा इत्यादि के उल्लेख ऐसे ही हैं, अतः उन्हें केवल मूलार्थ में दे दिया गया है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (Rosalynde Euphues Golden Legacie)
  2. 2.0 2.1 2.2 जैसा तुम चाहो (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 27 जनवरी, 2013।

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