कपिष्ठल

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'कपिस्थलं वृकस्थलं माकन्दीं वारणावतम्,
अवसानं भवत्यत्र किंचिदेकं च पंचमम्'।

  • अन्य पाठ में कपिलस्थल के स्थान पर अविस्थल है जिसका अभिज्ञान अनिश्चित है।
  • अलबेरूनी ने कपिस्थल को कवितल लिखा है।[3]
  • एरियन ने इसे कंबिस्थलोई कहा है।




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 136| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


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