इत पर घर उत घर -कबीर
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अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! यह संसार जीव का नैसर्गिक धाम नहीं है। वास्तविक धाम तो केशवधाम है, जहाँ से हम आए हैं। संसार एक बाज़ार के समान है, जहाँ पर लोग वाणिज्य के लिए आते हैं और अपना कर्म रूपी सौदा बेचकर अपने-अपने मार्ग पर चले जाते हैं। इसलिए हे जीव! संसार तेरा वास्तविक धाम नहीं है वरन् प्रभु ही तेरा वास्तविक शाश्वत धाम है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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