आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था

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खाद्यान्न उत्पादन में संलग्न आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था का प्राथमिक क्षेत्र कृषि है। आंध्र प्रदेश देश के प्रमुख धान उत्पादन राज्यों में से एक है और भारत में वर्जीनिया तंबाकू का लगभग 4/5 भाग का उत्पादन भी यहीं होता है। राज्य की नदियाँ, विशेषकर गोदावरी और कृष्णा कृषि के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। लंबे समय तक इनके लाभ आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों तक सीमित थे, जिन्हें सर्वोत्तम सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध थीं। स्वतंत्रता के बाद शुष्क आंतरिक क्षेत्रों के लिए इन दो नदियों के अलावा अन्य दो नदियों के पानी को एकत्र करने के प्रयास किए गए हैं। नहरों द्वारा सिंचाई करने से तेलंगाना और रायलसीमा क्षेत्रों में तटीय आंध्र प्रदेश की कृषि-औद्योगिक इकाइयों से होड़ लेती इकाइयों की संख्या बढ़ गई है।

कृषि

नागार्जुन सागर बहुउद्देशीय परियोजना ने कृष्णा नदी के पानी को सिंचाई के लिए मोड़कर चावल और गन्ने का उत्पादन उल्लेखनीय ढंग से बढ़ा दिया है। स्थानीय धान से चावल का आटा, तेल, पेंट, वॉर्निश साबुन, डिटर्जेंट, गत्ता अन्य पैकिंग साम्रगी और पशुओं का चारा प्राप्त किया जाता है। इसके अलावा राज्य में काली मिर्च, दलहन (मटर, फलियाँ और मसूर), अरंडी, मूंगफली और कपास भी उगाया जाता है, इन्हें स्थानीय स्तर पर प्रसंस्कृत किया जाता है। यहाँ पर अंगूर, आम, केला और संतरा आदि फल भी उगाए जाते हैं। नई कृषि प्रौद्योगिक, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशकों के उपयोग, बेहतर विपणन और ऋण प्रणाली से तेलंगाना और रायलसीमा में विकास की गति तीव्र हुई है। इसमें भीतरी और तटीय आंध्र प्रदेश के बीच व्याप्त तनाव के कम होने में मदद मिली है। विकास के लिए होने वाले कुल निवेश का आधा भाग कृषि सिंचाई के लिए आवंटिक किया गया है। राज्य के वन्य क्षेत्र से प्रतिवर्ष बेहतर किस्म की इमारती लकड़ी व अन्य उत्पादन प्राप्त होते हैं।

संसाधन

राज्य के खनिज संसाधनों में एस्बेस्टस, अभ्रक, मैंगनीज, बैराइट और उच्च श्रेणी का कोयला शामिल है। राज्य के दक्षिणी भागों निम्न श्रेणी का लौह अयस्क पाया जाता है। देश के कुल बैराइट का अधिकांश उत्पादन आंध्र प्रदेश में होता है। यह दक्षिण भारत का एक मात्र ऐसा राज्य है, जहाँ कोयले के भंडार पाए जाते हैं। गोदावरी और कृष्णा नदियों के डेल्टा में प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार मिले हैं। कभी विश्व प्रसिद्ध रही गोलकुंडा का हीरे की खानों में नए सिरे से उत्पादन किया जा रहा है। इन्हीं खानों में कोहिनूर हीरा और अन्य प्रसिद्ध पत्थर पाए गए थे। यहाँ स्फटिक, चूना-पत्थर और ग्रेफाइट भी पाया जाता है। अपने खनिज संसाधनों के पूर्ण उपयोग के लिए राज्य ने एक खनन और धातु व्यापार निगम स्थापित किया है।

उद्योग

कभी औद्योगिक रूप से अल्पविकसित रहा आंध्र प्रदेश 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारत के औद्योगिक राज्यों में से एक बन गया है। केंद्र सरकार ने विशाखापट्टनम और हैदराबाद क्षेत्रों में जलपोत निर्माण, वैमानिकी, विद्युत उपकरण, मशीन उपकरण और दवा उद्योग स्थापित किए हैं। अधिकांश निजी उद्योग विजयवाड़ा-गुंटूर क्षेत्र में स्थित हैं, जो रसायन, कपड़ा, सीमेंट, उर्वरक, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पादन और सिगरेट का उत्पादन करते हैं। विशाखापट्टनम में एक तेल परिशोधनशाला है तथा देश का सबसे बड़ा जलपोत निर्माण यार्ड है फिर भी खनन और विनिर्माण उद्योग राज्य की आय का एक छोटा हिस्सा ही है। केंद्र सरकार ने विशाखापट्टनम में एक विशाल इस्पात संयंत्र खोला है, क्योंकि वहाँ कच्चे माल और पत्तन की सुविधाएँ सुलभ हैं। हाल के वर्षों में पनबिजली और ताप विद्युत परियोजनाओं से हुआ विद्युतीकरण भी औद्योगिकीकरण व सिंचाई में सहायक सिद्ध हुआ है। लंबी समुद्री तटरेखा और अनेक नदियों के कारण राज्य में मत्स्य उद्योग भी महत्त्वपूर्ण और विकासोन्मुख उद्योग है।

परिवहन

राज्य में चार प्रमुख हवाई अड्डे हैं- हैदराबाद, विजयवाड़ा, तिरुपति और विशाखापट्टनम। राज्य के अधिकांश भागों में रेल प्रणाली है, जो इसे भारत के अन्य भागों से जोड़ती है। यहाँ की विस्तृत सड़क प्रणाली में तीन राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं, जो आंध्र प्रदेश को देश के अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ते हैं। सड़कों की व्यवस्था राज्य और स्थानीय शासन के हाथ में है। बस परिवहन, जिसके एक बड़े भाग का 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में फिर से निजीकरण कर दिया गया, विभिन्न शहरों के बीच द्रुतगामी सुविधाएँ प्रदान करता है। तटीय क्षेत्रों में नहरों, विशेषकर कृष्णा नदी से चेन्नई तक तट के समानांतर बह रही खारे पानी की कोम्मामुर नहर का उपयोग माल ढोने के लिए किया जाता है। विशाखापट्टनम एक प्रमुख समुद्री अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह है।


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