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कन्यातीर्थ सुदूर दक्षिण में समुद्र तट पर स्थित [[कन्याकुमारी]] का ही नाम है। [[पद्मपुराण]] 38,23 में भी कन्यातीर्थ का उल्लेख है। कन्यातीर्थ का प्राचीन कुमारीदेवी का मंदिर उल्लेखनीय है। पौराणिक कथा के अनुसार कुमारी-देवी ने [[शिव]] की आराधना इस स्थान पर की थी। [[बाणासुर]] [[दैत्य]] को भी कुमारी ने इसी स्थान पर मारा था। कन्याकुमारी दक्षिण [[भारत]] के [[प्रायद्वीप]] की नोक पर स्थित है, यहाँ एक ओर से [[बंगाल की खाड़ी]] का और दूसरी ओर से [[अरब सागर]] का जल [[हिंद महासागर]] से मिलता है।  
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पौराणिक कथा के अनुसार कुमारी-देवी ने [[शिव]] की आराधना इस स्थान पर की थी। [[बाणासुर]] [[दैत्य]] को भी कुमारी ने इसी स्थान पर मारा था।  
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{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कन्याकुमारी]]
 
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*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 132| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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'ततस्तीरे समुद्रस्य कन्यातीर्थमुपस्पृशेत् तत्रोपस्पृश्य राजेन्द्र सर्वपापै: प्रमुच्यते।'[1]

कन्यातीर्थ सुदूर दक्षिण में समुद्र तट पर स्थित कन्याकुमारी का ही नाम है। पद्मपुराण[2] में भी कन्यातीर्थ का उल्लेख है। कन्यातीर्थ का प्राचीन कुमारीदेवी का मंदिर उल्लेखनीय है।

पौराणिक कथा के अनुसार कुमारी-देवी ने शिव की आराधना इस स्थान पर की थी। बाणासुर दैत्य को भी कुमारी ने इसी स्थान पर मारा था।

कन्याकुमारी दक्षिण भारत के प्रायद्वीप की नोंक पर स्थित है, यहाँ एक ओर से बंगाल की खाड़ी का और दूसरी ओर से अरब सागर का जल हिंद महासागर से मिलता है।

{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- कन्याकुमारी


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 132| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


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