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समग्र पूर्वोत्तर क्षेत्र में [[असम]] की अर्थव्‍यवस्‍था सबसे बडी अर्थव्‍यवस्‍था है। यह मुख्‍यतया [[कृषि]] और संबद्ध कार्यकलापों में लगी हुई है। इसकी [[भारत]] में ब्रह्मपुत्र घाटी के साथ-साथ सबसे अधिक उर्वर भूमि फैली हुई है जो कि वाणिज्यिक आधार पर विविध न‍कदी फसलों और खाद्य फसलों की पैदावार के लिए उपयुक्‍त है। यहाँ पर प्राकृतिक संसाधन जैसे तेल और प्राकृतिक गैस, कोयला, रबड इत्‍यादि, खनिज जैसे ग्रेनाइट, चूना पत्‍थर इत्‍यादि तथा वन और जल संसाधन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह राज्‍य अन्‍य पूर्वोत्तर राज्‍यों की तुलना में औद्योगिक रूप से अधिक विकसित है। यह [[चाय]] और तेल पेट्रोलियम क्षेत्र में अपने बडे उद्योगों के लिए जाना जाता है। यह राज्‍य कुटीर उद्योगों से संबंधित कला और शिल्‍प के लिए प्रसिद्ध है। कुटीर उद्योगों में हथकरघा, रेशम‍कीट पालन, केन और [[बाँस]] की वस्‍तुएँ, बढई गिरी पीतल और बेल मेटल शिल्‍प शामिल है। असम में एन्‍डी, मूगा, टसर जैसे विभिन्‍न प्रकार के रेशम का उत्‍पादन होता है।<ref>{{cite web |url=http://business.gov.in/hindi/investment_incentives/investment_opp_assam.php |title=निवेश के अवसर  |accessmonthday=[[9 जून]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी. |publisher=व्यापार ज्ञान संसाधन |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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[[पूर्वोत्तर भारत]] में [[असम]] की अर्थव्‍यवस्‍था सबसे बडी अर्थव्‍यवस्‍था है। यह मुख्‍यत: [[कृषि]] और संबद्ध कार्यकलापों में लगी हुई है। इसकी [[भारत]] में ब्रह्मपुत्र घाटी के साथ-साथ सबसे अधिक उर्वर भूमि फैली हुई है जो कि वाणिज्यिक आधार पर विविध न‍कदी फसलों और खाद्य फसलों की पैदावार के लिए उपयुक्‍त है। यहाँ पर प्राकृतिक संसाधन जैसे तेल और [[प्राकृतिक गैस]], [[कोयला]], [[रबड]] इत्‍यादि, खनिज जैसे ग्रेनाइट, चूना पत्‍थर इत्‍यादि तथा वन और जल संसाधन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह राज्‍य अन्‍य पूर्वोत्तर राज्‍यों की तुलना में औद्योगिक रूप से अधिक विकसित है। यह [[चाय]] और तेल [[पेट्रोलियम]] क्षेत्र में अपने बडे उद्योगों के लिए जाना जाता है। यह राज्‍य [[कुटीर उद्योग|कुटीर उद्योगों]] से संबंधित कला और शिल्‍प के लिए प्रसिद्ध है। कुटीर उद्योगों में हथकरघा, रेशम‍कीट पालन, केन और [[बाँस]] की वस्‍तुएँ, बढई गिरी पीतल और बेल मेटल शिल्‍प शामिल है। असम में एन्‍डी, मूगा, टसर जैसे विभिन्‍न प्रकार के रेशम का उत्‍पादन होता है।<ref>{{cite web |url=http://business.gov.in/hindi/investment_incentives/investment_opp_assam.php |title=निवेश के अवसर  |accessmonthday=[[9 जून]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी. |publisher=व्यापार ज्ञान संसाधन |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
 
==कृषि एवं संसाधन==
 
==कृषि एवं संसाधन==
असम एक [[कृषि]] प्रधान राज्य है। यहां लगभग दो- तिहाई जनसंख्या खेती करती है। इसके अलावा दस प्रतिशत लोग चाय बगानों, वनों या अन्य कृषि आधारित व्यवसायों में कार्यरत है। कुल कृषि योग्य क्षेत्र के दो-तिहाई हिस्सों में [[चावल]] होता है। विदेशी मुद्रा के आय के स्रोत के रूप में महत्तवपूर्ण चाय और पटसन की पैदावार मुख्यत:  ब्रह्मपुत्र घाटी में होती है। अन्य फसलों में तिलहन, दालें (मटर, फलियां या मसूर), खली (एक तिलहन, इसके पत्ते चारे के काम आते हैं), सरसों, [[आलू]] एवं [[भारत के फल|फल]] है। राज्य के खाद्यान्न की कुल पैदावार खपत से ज़्यादा है जबकि तिलहन एवं दालों से यहां की आवश्यकता पूरी नहीं हो पाती। अब दुहरी फ़सलों एवं कृषि के आधुनिक तरीक़ों का प्रयोग होने लगा है।  
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असम एक [[कृषि]] प्रधान राज्य है। यहाँ लगभग दो- तिहाई जनसंख्या खेती करती है। इसके अलावा दस प्रतिशत लोग चाय बगानों, वनों या अन्य कृषि आधारित व्यवसायों में कार्यरत है। कुल कृषि योग्य क्षेत्र के दो-तिहाई हिस्सों में [[चावल]] होता है। विदेशी मुद्रा के आय के स्रोत के रूप में महत्त्वपूर्ण [[चाय]] और पटसन की पैदावार मुख्यत:  ब्रह्मपुत्र घाटी में होती है। अन्य फसलों में [[तिलहन]], [[दाल|दालें]] ([[मटर]], फलियां या मसूर), खली (एक तिलहन, इसके पत्ते चारे के काम आते हैं), सरसों, [[आलू]] एवं [[भारत के फल|फल]] है। राज्य के खाद्यान्न की कुल पैदावार खपत से ज़्यादा है जबकि तिलहन एवं दालों से यहाँ की आवश्यकता पूरी नहीं हो पाती। अब दुहरी फ़सलों एवं कृषि के आधुनिक तरीक़ों का प्रयोग होने लगा है।  
 
==खनिज==
 
==खनिज==
राज्य के मुख्य खनिज कोयला, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल एवं चूना- पत्थर हैं। ऊपरी असम के पूर्वोत्तर ज़िले शिवसागर एवं डिब्रूगढ़ में खनिज तेल मिलता है। देश के कुल पेट्रोल एवं प्राकृतिक गैस के उत्पादन का छठा हिस्सा असम से निकलता है। ऊपरी असम एवं कार्बी आलंग ज़िले में कोयले का खनन होता है, जिसका उपयोग स्थानीय रेल विभाग, चाय बगान एवं भाप के इंजन वाले पानी के जहाजों में होता है। चूना-पत्थर मिकिर की पहाड़ियों से निकलता है।
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राज्य के मुख्य [[खनिज]] [[कोयला]], [[प्राकृतिक गैस]], [[खनिज तेल|पेट्रोल]] एवं चूना- पत्थर हैं। ऊपरी असम के पूर्वोत्तर ज़िले शिवसागर एवं डिब्रूगढ़ में खनिज तेल मिलता है। देश के कुल [[पेट्रोलियम|पेट्रोल]] एवं [[प्राकृतिक गैस]] के उत्पादन का छठा हिस्सा असम से निकलता है। ऊपरी असम एवं कार्बी आलंग ज़िले में कोयले का खनन होता है, जिसका उपयोग स्थानीय रेल विभाग, चाय बगान एवं भाप के इंजन वाले पानी के जहाजों में होता है। चूना-पत्थर मिकिर की पहाड़ियों से निकलता है।
 
==उद्योग==
 
==उद्योग==
असम में चाय और तेल को छोड़कर अन्य महत्त्वपूर्ण उद्योगों की कमी है। कमज़ोर परिवहन प्रणाली, पर्याप्त स्थानीय बाज़ार की कमी और शेष [[भारत]] से अलग पड़ जाने के कारण यहां का औद्योगिक विकास अवरूद्ध हुआ है। फिर भी अनेक नई औद्योगिक इकाइयां शुरू की जा चुकी है। उर्वरक संयंत्र, जूट, कागज, रेशम व चीनी की मिलें एवं एक सीमेंट कारख़ाना इनमें शामिल है। आरा मिलों एवं प्लाईवुड तथा दियासलाई के कारख़ानों में लकड़ी के संसाधनों का उपयोग हो रहा है। 20वीं सदी की शुरूआत में दिगबोई में और 1962 में [[गुवाहाटी]] स्थित तेलशोधन कारख़ाने ने उत्पादन कार्य प्रारंभ कर दिया था। [[बिहार]] राज्य के तेलशोधन कारख़ाने को असम से पाइप लाइन के द्वारा खनिज तेल भेजा जाता है।
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असम में चाय और तेल को छोड़कर अन्य महत्त्वपूर्ण उद्योगों की कमी है। कमज़ोर परिवहन प्रणाली, पर्याप्त स्थानीय बाज़ार की कमी और शेष [[भारत]] से अलग पड़ जाने के कारण यहाँ  का औद्योगिक विकास अवरुद्ध हुआ है। फिर भी अनेक नई औद्योगिक इकाइयां शुरू की जा चुकी है। [[उर्वरक उद्योग|उर्वरक]], [[जूट उद्योग|जूट]], [[काग़ज़ उद्योग|काग़ज़]], [[रेशम उद्योग|रेशम]] व चीनी की मिलें एवं एक सीमेंट कारख़ाना इनमें शामिल है। आरा मिलों एवं प्लाईवुड तथा [[दियासलाई]] के कारख़ानों में लकड़ी के संसाधनों का उपयोग हो रहा है। 20वीं [[सदी]] की शुरुआत में दिगबोई में और 1962 में [[गुवाहाटी]] स्थित तेलशोधन कारख़ाने ने उत्पादन कार्य प्रारंभ कर दिया था। [[बिहार]] राज्य के तेलशोधन कारख़ाने को असम से पाइप लाइन के द्वारा [[खनिज तेल]] भेजा जाता है।
==यातायात==
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अपर्याप्त परिवहन एवं संचार व्यवस्था ने असम के औद्योगिक विकास की गति धीमी कर दी है। विषम भौगोलिक संरचना के कारण यहां पर एक सुचारू परिवहन व्यवस्था के विकास में कठिनाई हो रही है। उदाहरण के लिए, ब्रह्मपुत्र नदी ही रेलमार्ग सड़्क मार्ग या तो नदी के उत्तर में है या फिर दक्षिण में (असम शेष भारत से केवल एक रेलमार्ग और एक प्रमुख राजमार्ग से जुड़ा हुआ है)। ब्रह्मपूत्र नदी में अंतर्देशीय जल परिवहन, जिसका अपना ऐतिहासिक महत्त्व था, 1947  में देश के विभाजन में गुवाहाटी, डिब्रूगढ़, जोरहाट, तेज़पुर व सिल्वर और कोलकाता (भूत्पूर्व कलकत्ता) के बीच वायुमार्ग द्वारा समुचित आवागमन हो रहा है।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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==संबंधित लेख==
 
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पूर्वोत्तर भारत में असम की अर्थव्‍यवस्‍था सबसे बडी अर्थव्‍यवस्‍था है। यह मुख्‍यत: कृषि और संबद्ध कार्यकलापों में लगी हुई है। इसकी भारत में ब्रह्मपुत्र घाटी के साथ-साथ सबसे अधिक उर्वर भूमि फैली हुई है जो कि वाणिज्यिक आधार पर विविध न‍कदी फसलों और खाद्य फसलों की पैदावार के लिए उपयुक्‍त है। यहाँ पर प्राकृतिक संसाधन जैसे तेल और प्राकृतिक गैस, कोयला, रबड इत्‍यादि, खनिज जैसे ग्रेनाइट, चूना पत्‍थर इत्‍यादि तथा वन और जल संसाधन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह राज्‍य अन्‍य पूर्वोत्तर राज्‍यों की तुलना में औद्योगिक रूप से अधिक विकसित है। यह चाय और तेल पेट्रोलियम क्षेत्र में अपने बडे उद्योगों के लिए जाना जाता है। यह राज्‍य कुटीर उद्योगों से संबंधित कला और शिल्‍प के लिए प्रसिद्ध है। कुटीर उद्योगों में हथकरघा, रेशम‍कीट पालन, केन और बाँस की वस्‍तुएँ, बढई गिरी पीतल और बेल मेटल शिल्‍प शामिल है। असम में एन्‍डी, मूगा, टसर जैसे विभिन्‍न प्रकार के रेशम का उत्‍पादन होता है।[1]

कृषि एवं संसाधन

असम एक कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ लगभग दो- तिहाई जनसंख्या खेती करती है। इसके अलावा दस प्रतिशत लोग चाय बगानों, वनों या अन्य कृषि आधारित व्यवसायों में कार्यरत है। कुल कृषि योग्य क्षेत्र के दो-तिहाई हिस्सों में चावल होता है। विदेशी मुद्रा के आय के स्रोत के रूप में महत्त्वपूर्ण चाय और पटसन की पैदावार मुख्यत: ब्रह्मपुत्र घाटी में होती है। अन्य फसलों में तिलहन, दालें (मटर, फलियां या मसूर), खली (एक तिलहन, इसके पत्ते चारे के काम आते हैं), सरसों, आलू एवं फल है। राज्य के खाद्यान्न की कुल पैदावार खपत से ज़्यादा है जबकि तिलहन एवं दालों से यहाँ की आवश्यकता पूरी नहीं हो पाती। अब दुहरी फ़सलों एवं कृषि के आधुनिक तरीक़ों का प्रयोग होने लगा है।

खनिज

राज्य के मुख्य खनिज कोयला, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल एवं चूना- पत्थर हैं। ऊपरी असम के पूर्वोत्तर ज़िले शिवसागर एवं डिब्रूगढ़ में खनिज तेल मिलता है। देश के कुल पेट्रोल एवं प्राकृतिक गैस के उत्पादन का छठा हिस्सा असम से निकलता है। ऊपरी असम एवं कार्बी आलंग ज़िले में कोयले का खनन होता है, जिसका उपयोग स्थानीय रेल विभाग, चाय बगान एवं भाप के इंजन वाले पानी के जहाजों में होता है। चूना-पत्थर मिकिर की पहाड़ियों से निकलता है।

उद्योग

असम में चाय और तेल को छोड़कर अन्य महत्त्वपूर्ण उद्योगों की कमी है। कमज़ोर परिवहन प्रणाली, पर्याप्त स्थानीय बाज़ार की कमी और शेष भारत से अलग पड़ जाने के कारण यहाँ का औद्योगिक विकास अवरुद्ध हुआ है। फिर भी अनेक नई औद्योगिक इकाइयां शुरू की जा चुकी है। उर्वरक, जूट, काग़ज़, रेशम व चीनी की मिलें एवं एक सीमेंट कारख़ाना इनमें शामिल है। आरा मिलों एवं प्लाईवुड तथा दियासलाई के कारख़ानों में लकड़ी के संसाधनों का उपयोग हो रहा है। 20वीं सदी की शुरुआत में दिगबोई में और 1962 में गुवाहाटी स्थित तेलशोधन कारख़ाने ने उत्पादन कार्य प्रारंभ कर दिया था। बिहार राज्य के तेलशोधन कारख़ाने को असम से पाइप लाइन के द्वारा खनिज तेल भेजा जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. निवेश के अवसर (हिन्दी) (पी.एच.पी.) व्यापार ज्ञान संसाधन। अभिगमन तिथि: 9 जून, 2011

बाहरी कड़ियाँ

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