"अब तुम रूठो -गोपालदास नीरज" के अवतरणों में अंतर
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दीप, स्वयं बन गया शलभ अब जलते-जलते, | दीप, स्वयं बन गया शलभ अब जलते-जलते, | ||
मंजिल ही बन गया मुसाफिर चलते-चलते, | मंजिल ही बन गया मुसाफिर चलते-चलते, | ||
− | गाते गाते गेय हो गया गायक ही खुद | + | गाते गाते गेय हो गया गायक ही खुद, |
सत्य स्वप्न ही हुआ स्वयं को छलते छलते, | सत्य स्वप्न ही हुआ स्वयं को छलते छलते, | ||
डूबे जहां कहीं भी तरी वहीं अब तट है, | डूबे जहां कहीं भी तरी वहीं अब तट है, | ||
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अब हर दूरी पास, दूर है हर समीपता, | अब हर दूरी पास, दूर है हर समीपता, | ||
एक मुझे लगती अब सुख दुःख की परिभाषा, | एक मुझे लगती अब सुख दुःख की परिभाषा, | ||
− | अब न | + | अब न ओंठ पर हंसी, न आंखों में हैं आंसू, |
अब तुम फेंको मुझ पर रोज अंगार, मुझे परवाह नहीं है। | अब तुम फेंको मुझ पर रोज अंगार, मुझे परवाह नहीं है। | ||
अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। | अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। | ||
− | अब मेरी | + | अब मेरी आवाज़ मुझे टेरा करती है, |
− | अब मेरी | + | अब मेरी दुनिया मेरे पीछे फिरती है, |
देखा करती है, मेरी तस्वीर मुझे अब, | देखा करती है, मेरी तस्वीर मुझे अब, | ||
मेरी ही चिर प्यास अमृत मुझ पर झरती है, | मेरी ही चिर प्यास अमृत मुझ पर झरती है, |
11:49, 3 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
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अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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