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'''सहमत ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sehmat Khan'') भारतीय जासूस थीं। उन्होंने [[पाकिस्तान]] में दुश्मनों के बीच रहते हुए भारत को बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई थीं। साथ ही वह उन चंद गुप्त एजेंट में से एक रहीं, जो पाकिस्तान में जासूसी करने बाद भी भारत लौट पाई थीं। दरअसल, [[1971]] में हुए भारत-पाकिस्तान के युद्ध से पहले आर्मी को एक ऐसे जासूस की ज़रूरत पड़ गई थी, जो पाकिस्तान में रहकर उनकी हर हरकत पर नज़र रख सके। इसके लिए एक कश्मीरी बिज़नेसमैन अपनी बेटी सहमत ख़ान को मनाने में कामयाब हो जाते हैं।
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'''सहमत ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sehmat Khan'') भारतीय जासूस थीं। उन्होंने [[पाकिस्तान]] में दुश्मनों के बीच रहते हुए [[भारत]] को बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई थीं। साथ ही वह उन चंद गुप्त एजेंट में से एक रहीं, जो पाकिस्तान में जासूसी करने बाद भी भारत लौट पाई थीं। दरअसल, [[1971]] में हुए भारत-पाकिस्तान के युद्ध से पहले आर्मी को एक ऐसे जासूस की ज़रूरत पड़ गई थी, जो पाकिस्तान में रहकर उनकी हर हरकत पर नज़र रख सके। इसके लिए एक कश्मीरी बिज़नेसमैन अपनी बेटी सहमत ख़ान को मनाने में कामयाब हो जाते हैं।
 
==उपन्यास 'कॉलिंग सहमत'==
 
==उपन्यास 'कॉलिंग सहमत'==
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[[पंजाब]] के हरिदंर सिक्का ने सहमत ख़ान के बारे में अपने [[उपन्यास]] 'कॉलिंग सहमत' में लिखा है। इस उपन्यास को लिखने की प्रेरणा उन्हें तब मिली, जब वो [[कारगिल युद्ध]] के बारे में रिसर्च करने के दौरान सहमत ख़ान के बेटे से मिले थे। कहते हैं कि सहमत पंजाब के मलेरकोटला में रहती हैं और सिक्का उनसे मिलने भी गए थे।
 
[[पंजाब]] के हरिदंर सिक्का ने सहमत ख़ान के बारे में अपने [[उपन्यास]] 'कॉलिंग सहमत' में लिखा है। इस उपन्यास को लिखने की प्रेरणा उन्हें तब मिली, जब वो [[कारगिल युद्ध]] के बारे में रिसर्च करने के दौरान सहमत ख़ान के बेटे से मिले थे। कहते हैं कि सहमत पंजाब के मलेरकोटला में रहती हैं और सिक्का उनसे मिलने भी गए थे।
  
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सहमत ख़ान का निकाह पाकिस्तानी आर्मी के एक ऑफिसर के साथ होता है। वह अपने पति के घर से ही खुफिया तरीके से इंडियन आर्मी को पाकिस्तान की बहुत सी गोपनीय और अहम जानकारियां देती हैं। कहते हैं कि सहमत ख़ान ने जो इंटेलीजेंस मुहैया कराई, उसकी वजह से कई लोगों की जान बच सकी थी। जब वो पाकिस्तान से वापस आईं, तो गर्भवती थीं। उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया जो आगे चलकर अपनी मां के जैसे ही इंडियन आर्मी ज्वाइन कर देश की सेवा करता है।<ref name="pp"/>
 
सहमत ख़ान का निकाह पाकिस्तानी आर्मी के एक ऑफिसर के साथ होता है। वह अपने पति के घर से ही खुफिया तरीके से इंडियन आर्मी को पाकिस्तान की बहुत सी गोपनीय और अहम जानकारियां देती हैं। कहते हैं कि सहमत ख़ान ने जो इंटेलीजेंस मुहैया कराई, उसकी वजह से कई लोगों की जान बच सकी थी। जब वो पाकिस्तान से वापस आईं, तो गर्भवती थीं। उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया जो आगे चलकर अपनी मां के जैसे ही इंडियन आर्मी ज्वाइन कर देश की सेवा करता है।<ref name="pp"/>
 
==फ़िल्म निर्माण==
 
==फ़िल्म निर्माण==
साल [[2018]] में आलिया भट्ट की एक फिल्‍म रिलीज हुई थी ‘राजी’। इसमें उन्‍होंने सहमत ख़ान नामक एक ऐसी महिला जासूस का किरदार अदा किया था जो [[कश्‍मीर]] की रहने वाली होती हैं लेकिन उन्‍हें [[पाकिस्‍तान]] जाकर दुश्‍मन के मंसूबों का पता लगाने की बड़ी जिम्‍मेदारी सौंपी जाती है। आलिया ने इसमें जो किरदार निभाया था, वह कोई काल्पनिक चरित्र नहीं था बल्कि एक असली जासूस की [[कहानी]] थी। यह फिल्‍म हरिंदर सिक्‍का के उपन्यास ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित थी। हरिंदर सिक्‍का खुद भी एक इंडियन नेवी ऑफिसर रहे हैं और सहमत ख़ान की कहानी उनके ही प्रयासों की वजह से सबके सामने आ सकी थी।
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साल [[2018]] में आलिया भट्ट की एक फिल्‍म रिलीज हुई थी ‘राजी’। इसमें उन्‍होंने सहमत ख़ान नामक एक ऐसी महिला जासूस का किरदार अदा किया था जो [[कश्मीर]] की रहने वाली होती हैं लेकिन उन्‍हें [[पाकिस्तान ]] जाकर दुश्‍मन के मंसूबों का पता लगाने की बड़ी जिम्‍मेदारी सौंपी जाती है। आलिया ने इसमें जो किरदार निभाया था, वह कोई काल्पनिक चरित्र नहीं था बल्कि एक असली जासूस की [[कहानी]] थी। यह फिल्‍म हरिंदर सिक्‍का के उपन्यास ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित थी। हरिंदर सिक्‍का खुद भी एक इंडियन नेवी ऑफिसर रहे हैं और सहमत ख़ान की कहानी उनके ही प्रयासों की वजह से सबके सामने आ सकी थी।
  
 
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07:45, 21 फ़रवरी 2022 के समय का अवतरण

सहमत ख़ान (अंग्रेज़ी: Sehmat Khan) भारतीय जासूस थीं। उन्होंने पाकिस्तान में दुश्मनों के बीच रहते हुए भारत को बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई थीं। साथ ही वह उन चंद गुप्त एजेंट में से एक रहीं, जो पाकिस्तान में जासूसी करने बाद भी भारत लौट पाई थीं। दरअसल, 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान के युद्ध से पहले आर्मी को एक ऐसे जासूस की ज़रूरत पड़ गई थी, जो पाकिस्तान में रहकर उनकी हर हरकत पर नज़र रख सके। इसके लिए एक कश्मीरी बिज़नेसमैन अपनी बेटी सहमत ख़ान को मनाने में कामयाब हो जाते हैं।

उपन्यास 'कॉलिंग सहमत'

उपन्यास 'कॉलिंग सहमत

पंजाब के हरिदंर सिक्का ने सहमत ख़ान के बारे में अपने उपन्यास 'कॉलिंग सहमत' में लिखा है। इस उपन्यास को लिखने की प्रेरणा उन्हें तब मिली, जब वो कारगिल युद्ध के बारे में रिसर्च करने के दौरान सहमत ख़ान के बेटे से मिले थे। कहते हैं कि सहमत पंजाब के मलेरकोटला में रहती हैं और सिक्का उनसे मिलने भी गए थे।

कहते हैं कि सहमत ख़ान भारतीय इंटेलीजेंस एजेंसी रॉ की महिला जासूस थीं। उनकी पहचान को नॉवेल में सीक्रेट रखा गया था। इस महिला जासूस ने पाकिस्तान में दुश्मनों के बीच रहते हुए भारत को बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई थीं। सहमत ख़ान उन चुनिंदा सीक्रेट एजेंट में से एक थीं, जो पाकिस्तान में जासूसी करने बाद भी भारत लौट सकी थीं। हरिंदर सिक्का ने खुद इस बारे में एक इंटरव्‍यू में बताया था।[1]

भारतीय जासूस

सन 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान के युद्ध से पहले इंडियन आर्मी को एक ऐसे जासूस की जरूरत थी, जो पाकिस्तान में रहकर दुश्‍मन की हर हरकत पर नजर रख सके। इसके लिए एक कश्मीरी बिजनेसमैन अपनी बेटी सहमत ख़ान को वहां जाकर जासूसी करने के लिए मनाने में कामयाब हो जाते हैं। सहमत ख़ान ने कभी जासूसी करने के बारे में सोचा भी नहीं था। वो तो कश्मीर की एक युवा लड़की थीं। नॉवेल के मुताबिक जिस समय सहमत कॉलेज की पढ़ाई कर रही थीं, उसी दौरान उनके पिता ने उनसे जासूस बनने के लिये कहा था। उस समय सहमत ख़ान को जासूसी का जरा भी इल्‍म नहीं था। इसके बाद भी वो अपने पिता और देश की खातिर ये करने के लिए और अपने लिए खतरा उठाने को तैयार हो गई थीं।

विवाह

सहमत ख़ान का निकाह पाकिस्तानी आर्मी के एक ऑफिसर के साथ होता है। वह अपने पति के घर से ही खुफिया तरीके से इंडियन आर्मी को पाकिस्तान की बहुत सी गोपनीय और अहम जानकारियां देती हैं। कहते हैं कि सहमत ख़ान ने जो इंटेलीजेंस मुहैया कराई, उसकी वजह से कई लोगों की जान बच सकी थी। जब वो पाकिस्तान से वापस आईं, तो गर्भवती थीं। उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया जो आगे चलकर अपनी मां के जैसे ही इंडियन आर्मी ज्वाइन कर देश की सेवा करता है।[1]

फ़िल्म निर्माण

साल 2018 में आलिया भट्ट की एक फिल्‍म रिलीज हुई थी ‘राजी’। इसमें उन्‍होंने सहमत ख़ान नामक एक ऐसी महिला जासूस का किरदार अदा किया था जो कश्मीर की रहने वाली होती हैं लेकिन उन्‍हें पाकिस्तान जाकर दुश्‍मन के मंसूबों का पता लगाने की बड़ी जिम्‍मेदारी सौंपी जाती है। आलिया ने इसमें जो किरदार निभाया था, वह कोई काल्पनिक चरित्र नहीं था बल्कि एक असली जासूस की कहानी थी। यह फिल्‍म हरिंदर सिक्‍का के उपन्यास ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित थी। हरिंदर सिक्‍का खुद भी एक इंडियन नेवी ऑफिसर रहे हैं और सहमत ख़ान की कहानी उनके ही प्रयासों की वजह से सबके सामने आ सकी थी।


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