समन अमित उतपात

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
समन अमित उतपात
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

समन अमित उतपात सब भरत चरित जपजाग।
कलि अघ खल अवगुन कथन ते जलमल बग काग॥ 41॥

भावार्थ-

संपूर्ण अनगिनत उत्पातों को शांत करने वाला भरत का चरित्र नदी-तट पर किया जानेवाला जपयज्ञ है। कलियुग के पापों और दुष्टों के अवगुणों के जो वर्णन हैं, वे ही इस नदी के जल का कीचड़ और बगुले-कौए हैं॥ 41॥


पीछे जाएँ
समन अमित उतपात
आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख