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*[[महाराष्ट्र]] के वर्धा ज़िलांतर्गत पौनार को वाकाटकों की राजधानी माना जाता है, लेकिन इसकी उन्नति प्रायःपरवर्ती [[सातवाहन|सातवाहनों]] के समय शुरू हुई।  
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*[[महाराष्ट्र]] के वर्धा ज़िला के अंतर्गत पौनार को [[वाकाटक साम्राज्य|वाकाटकों]] की राजधानी माना जाता है, लेकिन इसकी उन्नति प्रायःपरवर्ती [[सातवाहन|सातवाहनों]] के समय शुरू हुई।  
 
*यहाँ [[ठोस]] नींवों पर बने मकान मिले हैं।  
 
*यहाँ [[ठोस]] नींवों पर बने मकान मिले हैं।  
 
*काले और लाल मृद्भाण्ड के अतिरिक्त, लाल पालिशदार मृण्पात्र और दोहत्थे कलश भी मिले हैं।  
 
*काले और लाल मृद्भाण्ड के अतिरिक्त, लाल पालिशदार मृण्पात्र और दोहत्थे कलश भी मिले हैं।  

13:47, 6 जून 2011 का अवतरण

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  • महाराष्ट्र के वर्धा ज़िला के अंतर्गत पौनार को वाकाटकों की राजधानी माना जाता है, लेकिन इसकी उन्नति प्रायःपरवर्ती सातवाहनों के समय शुरू हुई।
  • यहाँ ठोस नींवों पर बने मकान मिले हैं।
  • काले और लाल मृद्भाण्ड के अतिरिक्त, लाल पालिशदार मृण्पात्र और दोहत्थे कलश भी मिले हैं।
  • क्षत्रपों और प्रारम्भिक कलचुरियों के सिक्के मिले हैं। विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है।
  • यहाँ किसानों की बस्ती थी।
  • ईसा की छठी शताब्दी के पश्चात यह स्थल उजड़ गया।
  • ऐसा अनुमान है, कि दसवीं शताब्दी के आस-पास यह स्थल फिर से आबाद हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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