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'''पुलिंद जाति''' के विषय में यह माना जाता है कि यह जाति मूलत: [[तिब्बत]] की रहने वाली थी और कालांतर में [[भारत]] में आकर बस गई थी। पुलिंदों के देश का वर्णन [[पाण्डव|पाण्डवों]] की [[गंधमादन पर्वत]] की यात्रा के प्रसंग में आया है।
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'''पुलिंद जाति''' के विषय में यह माना जाता है कि यह [[जाति]] मूलत: [[तिब्बत]] की रहने वाली थी और कालांतर में [[भारत]] में आकर बस गई थी। पुलिंदों के देश का वर्णन [[पाण्डव|पाण्डवों]] की [[गंधमादन पर्वत]] की यात्रा के प्रसंग में आया है।
  
 
*[[मौर्य]] सम्राट [[अशोक के शिलालेख]] तैरह में 'पारिंदों' का उल्लेख हुआ है।
 
*[[मौर्य]] सम्राट [[अशोक के शिलालेख]] तैरह में 'पारिंदों' का उल्लेख हुआ है।
 
*कुछ विद्वानों के अनुसार पुलिंद ही पारिंद हैं।
 
*कुछ विद्वानों के अनुसार पुलिंद ही पारिंद हैं।
*दूसरी ओर डॉक्टर भंडारकर के मत में पारिंद, वरेंद्र ([[बंगाल]]) के निवासी थे।
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*दूसरी ओर डॉक्टर भंडारकर के मत में पारिंद, [[वरेंद्र]] (बंगाल) के निवासी थे।
 
*[[पुराण|पुराणों]] में पुलिंदों का [[विंध्याचल]] में निवास करने वाली अन्य जातियों के साथ वर्णन है-
 
*[[पुराण|पुराणों]] में पुलिंदों का [[विंध्याचल]] में निवास करने वाली अन्य जातियों के साथ वर्णन है-
 
#'पुलिंदा विंध्यपुषिका वैदर्भा दंडकै: सह'।<ref>मत्स्य पुराण 114, 48 </ref>
 
#'पुलिंदा विंध्यपुषिका वैदर्भा दंडकै: सह'।<ref>मत्स्य पुराण 114, 48 </ref>

12:56, 11 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

पुलिंद जाति के विषय में यह माना जाता है कि यह जाति मूलत: तिब्बत की रहने वाली थी और कालांतर में भारत में आकर बस गई थी। पुलिंदों के देश का वर्णन पाण्डवों की गंधमादन पर्वत की यात्रा के प्रसंग में आया है।

  • मौर्य सम्राट अशोक के शिलालेख तैरह में 'पारिंदों' का उल्लेख हुआ है।
  • कुछ विद्वानों के अनुसार पुलिंद ही पारिंद हैं।
  • दूसरी ओर डॉक्टर भंडारकर के मत में पारिंद, वरेंद्र (बंगाल) के निवासी थे।
  • पुराणों में पुलिंदों का विंध्याचल में निवास करने वाली अन्य जातियों के साथ वर्णन है-
  1. 'पुलिंदा विंध्यपुषिका वैदर्भा दंडकै: सह'।[1]
  2. 'पुलिंदा विंध्यमूलीका वैदर्भा दंडकै: सह'।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मत्स्य पुराण 114, 48
  2. वायुपुराण 55, 126

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