"आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट अक्टूबर-दिसम्बर 2015" के अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - "वैश्या" to "वेश्या") |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
; दिनांक- 21 दिसम्बर, 2015 | ; दिनांक- 21 दिसम्बर, 2015 | ||
<poem> | <poem> | ||
− | मैं यहाँ किसी धर्म-संप्रदाय-मज़हब के पक्ष-विपक्ष में नहीं लिख रहा हूँ। इसलिए किसी धर्म-संप्रदाय या मज़हब के अति उत्साही समर्थक निम्न पंक्तियों को सामान्य अर्थों में ही लें। कारण यह है कि मैं स्वयं को | + | मैं यहाँ किसी धर्म-संप्रदाय-मज़हब के पक्ष-विपक्ष में नहीं लिख रहा हूँ। इसलिए किसी धर्म-संप्रदाय या मज़हब के अति उत्साही समर्थक निम्न पंक्तियों को सामान्य अर्थों में ही लें। कारण यह है कि मैं स्वयं को विद्वान् न मानते हुए मात्र एक जिज्ञासु के समान ही लिखता हूँ। मेरे लिखे पर जो टिप्पणी आती हैं उससे मेरी जानकारी बढ़ती है। कभी-कभी कुछ लोग मेरी पोस्ट पर मुझे किसी एक पक्ष का मानते हुए टिप्पणी कर देते हैं जिसका कोई अर्थ नहीं है। मैं भारतकोश (www.bharatkosh.org) चला रहा हूँ और भारत की परंपरा, संस्कृति और इतिहास आदि की खोज में लगा रहता हूँ। मुझे जब भी जो भी जानने को मिलता है, लिखने का प्रयास करता हूँ। मैं किसी विषय पर कोई अथॉरिटी नहीं हूँ और एक साधारण रूप से पढ़ा-लिखा व्यक्ति हूँ। |
− | अज़ीज़ के राय मेरे फ़ेसबुक मित्र हैं। | + | अज़ीज़ के राय मेरे फ़ेसबुक मित्र हैं। विद्वान् हैं और साथ ही मेरी लेखनी के प्रशंसक भी हैं। उनकी एक पोस्ट आई, |
Aziz K. Rai | Aziz K. Rai | ||
पंक्ति 56: | पंक्ति 56: | ||
; दिनांक- 15 दिसम्बर, 2015 | ; दिनांक- 15 दिसम्बर, 2015 | ||
<poem> | <poem> | ||
− | महिष या महिषी शब्द का अर्थ संस्कृत में, भैंसा, भैंस, रानी और | + | महिष या महिषी शब्द का अर्थ संस्कृत में, भैंसा, भैंस, रानी और वेश्या के लिए है। गाय के लिए नहीं। मैंने लिखा है कि सामान्य भोजन में गाय को खाना कहीं उद्दृत नहीं है। डी एन झा, डी डी कोसंबी, रोमिला थापर, राजवाड़े, भगवतशरण उपाध्याय आदि क्या यह प्रमाणित करते हैं कि वैदिक काल में 'मनुष्य का प्रिय भोजन गौमांस था'? मैंने इन सभी को पढ़ा है। मुझे ऐसा कहीं नहीं मिला। कई अंग्रेज़ इतिहासकारों ने वैदिक कालीन शब्द 'अन्न' को गाय मानकर लिखा है। जो सही प्रतीत नहीं होता। |
इन इतिहासकारों ने जो उदाहरण दिए हैं वे विशेष अवसरों के हैं। ऐसे अवसर 'बलि चढ़ाना', श्राद्ध, मधुपर्क, विशाल यज्ञ आदि। इन उदाहरणों में भी स्पष्ट रूप से प्रत्येक अवसर पर गाय का ज़िक्र हो ऐसा नहीं है। | इन इतिहासकारों ने जो उदाहरण दिए हैं वे विशेष अवसरों के हैं। ऐसे अवसर 'बलि चढ़ाना', श्राद्ध, मधुपर्क, विशाल यज्ञ आदि। इन उदाहरणों में भी स्पष्ट रूप से प्रत्येक अवसर पर गाय का ज़िक्र हो ऐसा नहीं है। | ||
पंक्ति 117: | पंक्ति 117: | ||
संयुक्त परिवार सुरक्षा की दृष्टि को देखकर बने थे। प्राचीन काल में न तो आज जैसे मकान थे, न राज्य द्वारा दी गई सुरक्षा इतनी सुदृढ़ थी। जंगली जानवरों का भय, डाकुओं का भय, दूसरे परिवार, क़बीले या गाँव द्वारा हमला किए जाने का भय आदि अनेक असुरक्षित वातावरण का सामना करते जीना ही संयुक्त परिवार का कारण बने। | संयुक्त परिवार सुरक्षा की दृष्टि को देखकर बने थे। प्राचीन काल में न तो आज जैसे मकान थे, न राज्य द्वारा दी गई सुरक्षा इतनी सुदृढ़ थी। जंगली जानवरों का भय, डाकुओं का भय, दूसरे परिवार, क़बीले या गाँव द्वारा हमला किए जाने का भय आदि अनेक असुरक्षित वातावरण का सामना करते जीना ही संयुक्त परिवार का कारण बने। | ||
− | इसे समझने के लिए और थोड़ा आदिकाल की ओर चलें तो धरती पर 5 लाख वर्ष तक बने रहने वाली नीएंडरठल नस्ल के आज से 25 हज़ार साल पहले लुप्त हो जाने के कारणों में से एक संयुक्त परिवार की कमज़ोर संरचना भी था। नीएंडरठल शरीर के आकार और शक्ति में होमोसैपियन्स से अधिक थे किंतु भारी हथियारों का प्रयोग करते थे। जिन्हें वे हाथ में पकड़े-पकड़े ही इस्तेमाल करते थे | + | इसे समझने के लिए और थोड़ा आदिकाल की ओर चलें तो धरती पर 5 लाख वर्ष तक बने रहने वाली नीएंडरठल नस्ल के आज से 25 हज़ार साल पहले लुप्त हो जाने के कारणों में से एक संयुक्त परिवार की कमज़ोर संरचना भी था। नीएंडरठल शरीर के आकार और शक्ति में होमोसैपियन्स से अधिक थे किंतु भारी हथियारों का प्रयोग करते थे। जिन्हें वे हाथ में पकड़े-पकड़े ही इस्तेमाल करते थे अर्थात् वे शस्त्रों का प्रयोग करते थे अस्त्रों का नहीं। अस्त्र को फेंककर चलाया जाता है। ये बलिष्ठ नस्ल अपने भारी-भरकम भालों का प्रयोग फेंककर नहीं कर पाती थी इसके विपरीत होमोसैपियन्स अपने हल्के भालों को फेंक भी सकते थे। |
नीएंडरठल के क़बीले-परिवार छोटे थे और इसमें 20 से 30 सदस्य होते थे। होमोसैपियन्स के क़बीले 100 से अधिक सदस्यों के थे। धीरे-धीरे नीएंडरठल यूरोप से ग़ायब हो गए। जिसका कारण था दोनों नस्लों की भोजन को लेकर लड़ाई और आपस में वैवाहिक संबंध न हो पाना। साथ ही संख्या बल से भी होमोसैपियन्स जीत गए। | नीएंडरठल के क़बीले-परिवार छोटे थे और इसमें 20 से 30 सदस्य होते थे। होमोसैपियन्स के क़बीले 100 से अधिक सदस्यों के थे। धीरे-धीरे नीएंडरठल यूरोप से ग़ायब हो गए। जिसका कारण था दोनों नस्लों की भोजन को लेकर लड़ाई और आपस में वैवाहिक संबंध न हो पाना। साथ ही संख्या बल से भी होमोसैपियन्स जीत गए। |
09:14, 15 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
|