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'''मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mirza Hameedullah Beg'', जन्म- [[22 फ़रवरी]], [[1913]]; मृत्यु- [[19 नवम्बर]], [[1988]]) [[भारत]] के भूतपूर्व 15वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह [[28 जनवरी]], [[1977]] से [[21 फ़रवरी]], [[1978]] तक [[भारत के मुख्य न्यायाधीश]] रहे। [[मोहम्मद हिदायतुल्ला]] के बाद मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग भारत में दूसरे [[मुस्लिम]] मुख्य न्यायाधीश थे।
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08:11, 3 सितम्बर 2022 के समय का अवतरण

एम. हमीदुल्ला बेग
मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग
पूरा नाम मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग
जन्म 22 फ़रवरी, 1913
जन्म भूमि लखनऊ (आज़ादी पूर्व)
मृत्यु 19 नवम्बर, 1988
अभिभावक पिता- मिर्जा समीउल्लाह बेग
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि न्यायाधीश
पद मुख्य न्यायाधीश, भारत- 28 जनवरी, 1977 से 21 फ़रवरी, 1978 तक
संबंधित लेख भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय
द्वारा नियुक्त फ़ख़रुद्दीन अली अहमद
पूर्वाधिकारी ए. एन. राय
उत्तराधिकारी वाई. वी. चंद्रचूड़
अन्य जानकारी मोहम्मद हिदायतुल्ला के बाद मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग भारत में दूसरे मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश थे। उन्होंने भारत के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग (अंग्रेज़ी: Mirza Hameedullah Beg, जन्म- 22 फ़रवरी, 1913; मृत्यु- 19 नवम्बर, 1988) भारत के भूतपूर्व 15वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह 28 जनवरी, 1977 से 21 फ़रवरी, 1978 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे। मोहम्मद हिदायतुल्ला के बाद मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग भारत में दूसरे मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश थे।

परिचय

एक मुस्लिम परिवार में जन्मे मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग के पिता मिर्जा समीउल्लाह बेग हैदराबाद राज्य के मुख्य न्यायाधीश थे। मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग ने सेंट जॉर्ज ग्रामर स्कूल में प्रवेश लिया, जहाँ से उन्होंने सीनियर कैम्ब्रिज एचएसएलसी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और स्वर्ण पदक अर्जित किया। चूंकि भारत अभी भी भारी ब्रिटिश प्रभाव में था, अमीर भारतीयों के लिए इंग्लैंड में उच्च शिक्षा प्राप्त करना आम बात थी। खासकर कानून की पढ़ाई के लिये। मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग ने भी 1931 में प्रसिद्ध ट्रिनिटी कॉलेज और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और पुरातत्व व मानव विज्ञान तथा ऐतिहासिक ट्राइपोज़ में सम्मान अर्जित किया। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में कानून, अर्थशास्त्र और राजनीति का अध्ययन किया।

वकालत

स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग भारत लौटे और एक वकील के रूप में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अभ्यास प्रारम्भ किया। यहीं से उन्होंने न्यायिक प्रणाली में काम करने का अनुभव हासिल करना शुरू किया। सन 1949 में उन्होंने भारत के संघीय न्यायालय के एक अधिवक्ता के रूप में नामांकन किया और अंततः वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता बन गए। व्यापक अभ्यास करने के बाद वे यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के स्थायी वकील बने और अक्सर नगर निकायों के लिए पेश हुए।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

एक अधिवक्ता के रूप में व्यापक अनुभव पाने के बाद मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग को 11 जून 1963 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ में लाया गया। न्यायाधीश के रूप में वह आपराधिक और नागरिक पक्षों के साथ-साथ टैक्स बेंच पर भी बैठे। बाद के समय उन्हें जनवरी 1971 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वह प्रथम मुख्य न्यायाधीश थे।

मुख्य न्यायाधीश, भारत

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अल्पावधि के बाद मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग को 12 दिसंबर, 1971 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। वह 'बंदी प्रत्यक्षीकरण' मामले में भी न्यायाधीश थे। भारतीय लोकतंत्र में यह ऐतिहासिक मामला, जबलपुर के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट बनाम शिवकांत शुक्ला, 1975 में आपात काल के दौरान सामने आया।

कुछ महीने बाद जनवरी 1977 में मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग, जो एच. आर. खन्ना से कनिष्ठ थे, को इंदिरा गांधी सरकार द्वारा भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। यह कानूनी परंपरा के खिलाफ था, हालांकि इसकी शुरुआत ए. एन. राय की नियुक्ति से हुई थी। न्यायपालिका की स्वतंत्रता में इस बाधा का व्यापक रूप से विरोध किया गया। मोहम्मद हिदायतुल्ला के बाद मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग भारत में दूसरे मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश थे। एक साल के कार्यकाल के बाद वह फ़रवरी 1978 को सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद मिर्ज़ा हमीदुल्ला बेग ने भारत के अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।


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