रत्नाकर (समुद्र)

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रत्नाकर भारत और लंका के बीच का समुद्र, जो प्राचीन काल से ही सुंदर रत्नों विशेषतः मोतियों के लिए प्रसिद्ध है।

'रत्नाकरं वीक्ष्य मिथः स जायां रामाभिधानो हरिरित्युवाच।'

  • कालीदास के 'रघुवंश'[2] में इस समुद्र के तट पर सीपियों से भिन्न हुए मोतियों[3] का वर्णन है।[4]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रघुवंश 13, 1
  2. रघुवंश 13, 17
  3. पर्यस्तमूक्तापटल
  4. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 776 |

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