बची सिंह रावत
बची सिंह रावत
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पूरा नाम | बची सिंह रावत |
अन्य नाम | आनंद सिंह रावत (मूल नाम) |
जन्म भूमि | 1 अगस्त, 1949 |
मृत्यु | पली गांव, अल्मोड़ा |
मृत्यु स्थान | 18 अप्रॅल, 2021 |
मृत्यु कारण | ऋषिकेश, उत्तराखंड |
पति/पत्नी | चंपा रावत |
संतान | पुत्र- शशांक |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
पद | प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा, उत्तराखंड- 2007 से 2009 |
शिक्षा | विधि की उपाधि, एमए अर्थशास्त्र |
विद्यालय | लखनऊ विश्वविद्यालय, आगरा विश्वविद्यालय |
संबंधित लेख | उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष |
अन्य जानकारी | बची सिंह रावत ने उत्तर प्रदेश सरकार में दो बार विधायक का चुनाव लड़ा और दोनों बार जीते, जबकि उत्तराखंड सरकार में उन्होंने कभी भी विधायक का चुनाव नहीं लड़ा। |
बची सिंह रावत (अंग्रेज़ी: Bachi Singh Rawat, जन्म- 1 अगस्त, 1949; मृत्यु- 18 अप्रॅल, 2021) उत्तराखंड से भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज राजनीतिज्ञ थे। उनका सम्बंध उत्तर प्रदेश से भी था। साल 2007 के चुनाव में बची सिंह रावत राज्य में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। पार्टी को विधान सभा चुनावों में बहुमत दिलवाया और 2009 तक इस पद पर बने रहे। बची सिंह रावत अल्मोड़ा लोकसभा सीट से लगातार चार बार सांसद रहे। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री और विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री रहे।
परिचय
बची सिंह रावत का जन्म 1 अगस्त, 1949 को रानीखेत के पास के पली गांव अल्मोड़ा में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा अल्मोड़ा में ही हुई। उनका मूल गृहस्थान हल्द्वानी था। अपनी परास्नातक की पढ़ाई उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से की, जहां से उन्होंने विधि की उपाधि हासिल की, जिसेक बाद एमए अर्थशास्त्र आगरा विश्वविद्यालय से पूरा किया। उनकी पत्नी चंपा रावत और एक पुत्र शशांक है।
नाम परिवर्तन
बची सिंह रावत के करीबी लोग बताते हैं कि उनका नाम बची सिंह रावत बाद में रखा गया था। उनका असली नाम आनंद सिंह रावत था। बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष और बची सिंह रावत के करीबी रहे अजय वर्मा के अनुसार, जब वह पैदा हुए तो बहुत बीमार हो गए थे। उनके बचने की उम्मीद काफी कम थी। किसी ज्योतिषी के कहने पर उनके पिता ने उनका नाम बची सिंह रावत रखा। बची सिंह रावत नाम रखने बाद एकाएक चमत्कार हुआ। उनकी खराब तबीयत ठीक हो गयी। तब से ही वह परिवार में बची सिंह रावत के नाम से ही जाने जाने लगे।[1]
राजनीति
राजनीति से जुड़ने के बाद वर्ष 1992 में बची सिंह रावत पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए। 1993 में दूसरी बार भी विधायक का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1992 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार में उन्हें पहला उप राजस्व मंत्री का पद मिला। 1996 में भाजपा से पहली बार टिकट मिलने के बाद वह अल्मोड़ा लोकसभा सीट से सांसद बने और राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा। 1998 में दूसरी बार भी लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की। तीसरी बार भी वह चुनाव में जीतकर सांसद बने रहे।
इसके बाद वर्ष 2004 में पहली बार उत्तराखंड सरकार में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को शिकस्त देकर लगातार चौथी बार अल्मोड़ा लोकसभा सीट से चुनाव जीता। पहले उन्हें रक्षा राज्य मंत्री और उसके बाद विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री का पद मिला। बची सिंह रावत ने उत्तर प्रदेश सरकार में दो बार विधायक का चुनाव लड़ा और दोनों बार जीते, जबकि उत्तराखंड सरकार में उन्होंने कभी भी विधायक का चुनाव नहीं लड़ा।
मृत्यु
फेफड़ों में संक्रमण के बाद बची सिंह रावत को 18 अप्रॅल, 2021 को एम्स आईपीडी में संस्थान के पल्मोनरी मेडिसिन व जनरल मेडिसिन विभाग में लाया गया था, जहाँ उनका इलाज किया जा रहा था। इलाज के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा। डॉक्टरों ने उन्हें सीपीआर दिया, लेकिन रात 8.47 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बची सिंह रावत के नाम के पीछे है रोचक कहानी (हिंदी) etvbharat.com। अभिगमन तिथि: 31 जुलाई, 2022।
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