चित्र:Suryakant Tripathi Nirala.jpg
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति

इस पूर्वावलोकन का आकार: 441 × 600 पिक्सेल। दूसरे रेसोल्यूशन: 1,000 × 1,360 पिक्सेल।
मूल चित्र (1,000 × 1,360 चित्रतत्व, संचिका का आकार: 2 MB, माइम प्रकार: image/jpeg)
चित्र का इतिहास
फ़ाइल पुराने समय में कैसी दिखती थी यह जानने के लिए वांछित दिनांक/समय पर क्लिक करें।
दिनांक/समय | अंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल) | आकार | सदस्य | टिप्पणी | |
---|---|---|---|---|---|
वर्तमान | 14:03, 31 मई 2011 | ![]() | 1,000 × 1,360 (2 MB) | गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) |
आप इस चित्र को ओवर्राइट नहीं कर सकते।
चित्र का उपयोग
68 ये पृृष्ठ इस चित्र का इस्तेमाल करते हैं:
- अट नहीं रही है -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- आज प्रथम गाई पिक -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- उक्ति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- उत्साह -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- कुत्ता भौंकने लगा -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- केशर की कलि की पिचकारी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- ख़ून की होली जो खेली -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- खुला आसमान -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- खेलूँगी कभी न होली -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- गर्म पकौड़ी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- गीत गाने दो मुझे -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- चुम्बन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- टूटें सकल बन्ध -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- तुम और मैं -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- तुम हमारे हो -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- तोड़ती पत्थर -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- दलित जन पर करो करुणा -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- दीन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- ध्वनि -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- पत्रोत्कंठित जीवन का विष -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- पथ आंगन पर रखकर आई -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- पहेली 11 जून 2021
- पहेली 19 अगस्त 2021
- पहेली 1 सितम्बर 2014
- पहेली सितंबर 2014
- प्रपात के प्रति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- प्राप्ति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- प्रिय यामिनी जागी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- प्रियतम -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- बापू, तुम मुर्गी खाते यदि... -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- ब्रजभाषा का प्रयोग
- भर देते हो -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- भारती वन्दना -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- भिक्षुक -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- भेद कुल खुल जाए -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- मद भरे ये नलिन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- मरा हूँ हज़ार मरण -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- मातृ वंदना -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- मार दी तुझे पिचकारी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- मुक्ति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- मौन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- रँग गई पग-पग धन्य धरा -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- राजे ने अपनी रखवाली की -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- वन बेला -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- वर दे वीणावादिनी वर दे ! -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- वे किसान की नयी बहू की आँखें -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- संध्या सुन्दरी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
- स्नेह-निर्झर बह गया है -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- हिन्दी सामान्य ज्ञान 182
- हिन्दी सामान्य ज्ञान 190
- भारतकोश:भारत कोश हलचल/14 अक्टूबर
- भारतकोश:भारत कोश हलचल/15 अक्टूबर
- भारतकोश:भारत कोश हलचल/20 फ़रवरी
- भारतकोश:भारत कोश हलचल/21 फ़रवरी
- साँचा:भारत कोश हलचल-00
- साँचा:भारत कोश हलचल-09
- साँचा:भारत कोश हलचल-11
- साँचा:भारत कोश हलचल-13
- साँचा:भारत कोश हलचल-14
- साँचा:भारत कोश हलचल-16
- साँचा:भारत कोश हलचल-17
- साँचा:भारत कोश हलचल-18
- साँचा:भारत कोश हलचल-20
- साँचा:भारत कोश हलचल-22
- साँचा:भारत कोश हलचल-23