अनवरूद्दीन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
दिनेश (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:36, 6 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}} '''अनवरूद्दीन''' हैदराबाद के नवाब द्वार...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

अनवरूद्दीन हैदराबाद के नवाब द्वारा नियुक्त कर्नाटक का नवाब, जिसकी राजधानी थी। उस समय पांडिचेरी और मद्रास में स्थित फ्रांसीसी और अंग्रेज व्यापारी अपना-अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने के लिए आपस में लड़ रहे को दोनों अपना संरक्षक समझते थे। जब अंग्रेजों ने फ्रांसिसी जहाजों को आरंभ किया तो फ्रांसिसी गवर्नर ने नवाब से सहायता मांगी। नवाब के पास जहाजी बेड़ा न होने से वह फ्रांसीसियों की सहायता न कर सका और अंग्रेजों का का अभियान जारी रहा। 1746 में जब फ्रांसीसियों ने मद्रास को घेर लिया तो अंग्रेजों के अनुरोध पर नवाब ने उनसे उठा लेने को कहा। उसकी बात नहीं सुनी गई तो उसने अपनी बड़ी सेना भेजी, लेकिन उसकी सेना को दो बार फ्रांसीसियों से पराजित होना इसका राजनीतिक प्रभाव पड़ा। दोनों को विश्वास हो गया कि पश्चिमी देशों की छोटी सेना भी बड़ी भारतीय सेना को पराजित कर सकती है। इसके बाद ही अंग्रेजों और फ्रांसीसियों का युद्ध समाप्त हो गया और अपनी नवाबी बचाने के में अनवरूद्दीन 1749 में मारा गया।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 24 |

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख