बाँध
बाँध (अंग्रेज़ी: Dam) एक अवरोध है, जो जल को बहने से रोकता है और एक जलाशय बनाने में मदद करता है। बाँध से बाढ़ आने से तो रुकती ही है, इसके साथ ही इसमें जमा किया गया जल सिंचाई, जलविद्युत, पेयजल की आपूर्ति, नौवहन आदि में भी सहायक होता है। भारत में टिहरी बाँध, भाखड़ा बाँध, सरदार सरोवर बाँध तथा हीराकुण्ड बाँध आदि काफी बड़े हैं और कृषि में सिंचाई तथा जलविद्युत आदि के उत्पादन के लिए बड़े ही महत्त्वपूर्ण हैं।
क्या है बाँध
बांध नहर अथवा नदी पर जल के प्रवाह को रोकने का एक अवरोध है, तथा इसको कई प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जा सकता है। बांध लघु, मध्यम तथा बड़े हो सकते हैं। बड़े बांधों का निर्माण करना अधिक जटिल होता है, जिससे अत्यधिक कार्य, शक्ति, समय तथा धन खर्च होता है। बांध का निर्माण कंक्रीट, चट्टानों, लकड़ी अथवा मिट्टी से भी किया जा सकता है। भाखड़ा बांध, सरदार सरोवर, टीहरी बांध इत्यादि बड़े बांधों के उदाहारण हैं। एक बांध की इसके पीछे के पानी के भार को वहन करने की क्षमता अति आवश्यक होती है। बांध पर धकेले जाने वाली जल की मात्रा को जल-दाब कहते हैं। जल-दाब जल की गहराई के साथ बढ़ता है। इसके परिणामस्वरूप कई बांधों का तल चौड़ा होता है, जिससे यह सतह के काफी नीचे बहुभागा में बहने वाले जल का भार वहन कर सकें।[1]
बाँधों की आवश्यकता
बांधों का उपयोग सिंचाई, पीने का पानी, बिजली बनाने तथा पुनः सृजन के लिए जल के भण्डारण में होता है। बांधों से बाढ़ के नियंत्रण में भी सहायता मिलती है। बांध के जलाशय से पीने का पानी प्राप्त कर सकते हैं अथवा बांध के जलाशय के जल से सिंचित क्षेत्रों के खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं अथवा जल विद्युत सयंत्र से उत्पन्न बिजली प्राप्त कर सकते हैं। नदी का जल बांधों के पीछे उठता है तथा कृत्रिम झीलों का निर्माण करता है, जो जलाशय कहलाते हैं। संचयन किए गए जल को विद्युत निर्माण अथवा घरों तथा उद्योगों में जल की आपूर्ति सिंचाई अथवा नौवहन में उपयोग किया जा सकता है। जलाशय, मछली पकड़ने तथा खेलने के लिए भी अच्छे स्थान हैं।
प्रकार
बांध के निर्माण तथा अभिकल्प में उपयोग की गई सामग्री के आधार पर बांध कई प्रकार के होते हैं। एक बांध द्वारा कितना पानी उठाया जाए तथा इसे कितना बड़ा एवं शक्तिशाली बनाया जाए, इसका पता लगाने के लिए अभियंताओं द्वारा मॉडलों तथा कम्प्यूटरों का उपयोग किया जाता है। तब वे निर्णय ले सकते हैं कि किस प्रकार के बांध का अभिकल्प किया जाए। बांध के प्रकार बनाए जाने वाले बांध के स्थान, सामग्री, तापमान, मौसम अवस्थाओं मिट्टी एवं चट्टान किस्म तथा बांध के आकार पर निर्भर करते हैं।
गुरुत्व बांध कंक्रीट से बने बहुत बड़े एवं वजनदार बांध होते हैं। इस तरह के बांधों का निर्माण एक बड़ी नींव पर किया जाता है तथा इनके वजनदार होने से इन पर जल के बहाव का असर नहीं होता। गुरुत्व बांधों को केवल ताकतवर चट्टानी नींव पर ही बनाया जा सकता है। अधिकांश गुरुत्व बांधों का निर्माण महँगा होता है, क्योंकि इनके लिए काफी कंक्रीट की आवश्यकता होती है। भाखड़ा बांध, कंक्रीट गुरुत्व बांध है।
चाप बांध केन्यन की दीवारों की सहायता से बनाए जाते हैं। चाप बांध का निर्माण जल की ओर मुडी चाप की भांति किया जाता है। चाप बांध संकरी, चट्टानी स्थानों के लिए उत्तम है। चाप बांध को केवल संकरी केन्यन में ही बनाया जा सकता है, जहाँ चट्टानी दीवारें कठोर एवं ढालुआँ होती है। बांध द्वारा धकेले जाने वाला जल बांध के लिए सहायता करता है। भारत में केवल इद्दूकी बांध ही एक चाप बांध है।
तटबंध बांध प्रायः मिट्टी के बांध अथवा रॉकफिल बांध होते हैं। यह मिट्टी तथा चट्टान के बने विशाल आकार के बांध होते हैं, जिसमें जल के तेज बहाव को रोक सकें। इनमें चट्टानों की दरारों से होने वाले जल के रिसाव को रोकने के लिए मिट्टी अथवा कंक्रीट की परत का इस्तेमाल किया जा सकता है। चूंकि मिट्टी कंक्रीट की भांति शक्तिशाली नहीं होती, मिट्टी के बांध आकार में काफी मोटे होते है। टिहरी बांध , रॉकफिल बांध का एक उदाहरण है।
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