केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग

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केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग (सीबीईसी) (अंग्रेज़ी: Central Board of Excise and Customs or CBEC) भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्‍व विभाग का हिस्‍सा है। यहाँ सीमा शुल्‍क और केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क की वसूली और संग्रह करने से संबंधित नीतियों का कार्य, सीमा शुल्‍क से संबंधित मामलों का प्रशासन और अवैध रूप से निर्यात की रोकथाम, सीबीईसी के अधिकार क्षेत्र के तहत सीमा तक केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और मादक द्रव्‍यों से संबंधित कार्य किए जाते हैं। यह विभाग अपने अधीनस्‍थ संगठनों के लिए सीमा शुल्‍क घरानों, केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क आयुक्‍तालयों और केंद्रीय राजस्‍व नियंत्रण प्रयोगशाला सहित प्रशासनिक प्राधिकरण है।

क्‍या है 'एसीईएस'

केंद्रीय उत्‍पाद और सेवा कर का स्‍वचालन राजस्‍व विभाग, वित्त मंत्रालय के अधीन केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) द्वारा किया गया ई-शासन प्रयास है। यह राष्‍ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) के तहत भारत सरकार की एक मिशन मोड परियोजना (एमएमपी) है। यह एक सॉफ्टवेयर अनुप्रयोग है, जिसका लक्ष्‍य कर भुगतान कर्ता सेवाओं में सुधार, पारदर्शिता, जवाबदेही और भारत में अप्रत्‍यक्ष कर प्रशासन में दक्षता लाना है। यह अनुप्रयोग वेब आधारित है और कार्य प्रवाह आधारित प्रणाली है, जिसे केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और सेवा कर सभी प्रक्रियाओं में स्‍वचालित बनाया गया है। भारत में अप्रत्‍यक्ष कर प्रशासन के स्‍वतंत्रता पश्‍चात युग में एसीईएस सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण आईटी आधारित प्रयास है, जिसे कार्यान्वित किया गया है और जिसने केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और सेवा कर विभाग के साथ व्‍यापार में 18.20 लाख अप्रत्‍यक्ष कर भुगतान कर्ताओं के व्‍यापार में लेन देन का तरीका बदल दिया है।

अप्रत्‍यक्ष कर विभाग में एक नवाचारी सुधार प्रयास होने के नाते एसीईएस को व्‍यापार, उद्योग और वाणिज्यिक के सदस्‍यों से लाभ मिला है। एसीईएस अनुप्रयोग आरंभ में बैंगलोर में दिसम्बर, 2008 के दौरान विशाल कर भुगतान कर्ता इकाई (एलटीयू) आयुक्‍तालय में आरंभ किया गया था। इसके बाद इसे सभी 104 केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क, सेवा कर और एलटीयू आयुक्‍तालयों में सभी मॉड्यूलों के साथ चरण गत रूप से कार्यान्वित किया गया था। एसीईएस अनुप्रयोग के परिणाम स्‍वरूप केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और सेवा कर क्षेत्र इकाइयों के गठन से व्‍यापार तथा उद्योग के साथ उनके नियमित व्‍यापार की प्रमुख बदलाव आया है। दस्‍तावेजों की ई-फाइलिंग और ई-संसाधन अब कागजी दस्‍तावेजों के स्‍थान पर आने आरंभ हो गए हैं। इस पहल का उद्देश्‍य व्‍यापार प्रक्रियाओं का नवनिर्माण करना और मौजूदा कर प्रशासन को एक आधुनिक, दक्ष तथा पारदर्शी प्रणाली में रूपांतरित करना है। इसका उद्देश्‍य व्‍यापार सुविधा और प्रवर्तन के बीच एक अनुकूलतम संतुलन लाना और स्‍वैच्छिक पालन की संस्‍कृति का बढ़ावा देना है। इसका लक्ष्‍य विभागीय अधिकारियों के साथ व्‍यापार समुदाय का भौतिक अंतरा पृष्‍ठ कम करना और एक स्‍वचालित प्रक्रिया के माध्‍यम से उन्‍नत कर भुगतान कर्ता सेवाओं की प्रदायगी के साथ एक पारदर्शी और कागज रहित व्‍यापार परिवेश प्रदान करना है।

उन कर भुगतान कर्ताओं को सेवाएं प्रदान करना, जिनके पास आवश्‍यक आईटी मूल संरचना/संसाधन नहीं है, ताकि वे एसीईएस का उपयोग कर सके, इसके लिए सीबीईसी में सदस्‍यों द्वारा 'इंस्‍टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इण्डिया' (आईसीएसआई), 'द इंस्‍टीट्यूट ऑफ कोस्‍ट एण्‍ड वर्क्‍स एकाउंटेंट्स ऑफ इण्डिया' (आईसीडब्‍ल्‍यूएआई) और 'इंस्‍टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरी ऑफ इण्डिया' (आईसीएसआई) के सदस्‍यों के साथ एसीईएस प्रमाणित सुविधा केंद्र (सीएफसी) की स्‍थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन में प्रवेश किया है। इन केंद्रों की स्‍थापना संस्‍थानों द्वारा जारी कार्य के वैध प्रमाण पत्र धारण करने वाले आईसीए/आईसीडब्‍ल्‍यूएआई/आईसीएसआई सदस्‍यों द्वारा की गई है। ये सेवाएं एसीईएस में विभिन्‍न सेवाओं के लिए निर्धारित सेवा प्रभारों के भुगतान पर निर्धारिती के लिए उपलब्‍ध होंगी, जैसे ये काग़ज़ी दस्‍तावेजों का डिजिटल रूप में परिवर्तन, पंजीकरण आवेदन, विवरणी दावों, अनुमतियों और सूचना आदि के दस्‍तावेजों को ऑनलाइन जमा करने/अपलोडिंग के लिए प्रदान की जाएंगी।


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