राजा विक्रम

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राजा विक्रम का भारतीय जनश्रुतियों तथा दंत कथाओं में मुख्य स्थान है। इनके नाम से अनेक कहानियाँ बाल मनोरंजन के लिए भारत में विख्यात हैं।[1]

  • इसके सम्बन्ध में 'बैतालपचीसी' (संस्कृत 'बेताल-पंचविंशतिका') में अनेक कहानियाँ हैं, किंतु इसकी ऐतिहासिकता अभी निश्चित रूप से स्थापित नहीं हो पायी है।
  • विश्वास किया जाता है कि गुप्त वंश के तृतीय सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य की उपलब्धियाँ ही इन दंत कथाओं में अतिरंजित होकर वर्णित हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 402 |

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