विक्रम चोल

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विक्रम चोल (1120-1133 ई.) कुलोत्तंग की मृत्यु के बाद उसका पुत्र विक्रम चोल चालुक्य राजसिंहासन पर बैठा। विक्रमादित्य षष्ठ के मरने के उसने पुनः वेंगी पर अधिकार कर लिया। 1133 के लगभग उसने पश्चिमी चालुक्य नरेश सोमेश्वर तृतीय को पराजित किया। वह अपने पिता की नतियों एवं आदर्शो के प्रतिकूल था। वह धार्मिक दृष्टि से असहिष्णु था। उसने चिदंबरम् के नटराज मंदिर को अपार दान दिया। उसने ‘अकलक’ एवं ‘त्याग समुद्र’ की उपाधियां धारण की।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ